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पंजाब चुनाव में कहीं ‘खेला’ ना हो जाए! कांग्रेस ने कैप्टन पर छोड़ी ‘बागियों’ को मनाने की जिम्मेदारी

पंजाब कांग्रेस में लगातार तनाव जारी है। कांग्रेस चिंतित है कि अगर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह नाराज विधायकों को मनाने के लिए अपने स्तर पर कदम नहीं उठाते हैं, तो चुनाव में एकजुट चेहरे की उम्मीदें एक सपना हो सकता है।
पार्टी में और भी भयावह स्थिति है कि अगर समय पर चीजों पर लगाम नहीं लगाई गई, तो नेतृत्व का सुलझा हुआ मुद्दा भी सवालों के घेरे में आ सकता है। यह मुद्दा अगर चुनाव में रखा गया, तो रैंक और फाइल में भ्रम पैदा हो सकता है।
चुनाव में दंडित किए जाने का डर : समस्या कुछ विधायकों के बीच व्याप्त असुरक्षा भी है। विधायकों को लगता है कि अमरिंदर सिंह के खिलाफ उनके राजनीतिक गठबंधन के कारण, उन्हें चुनाव में दंडित किया जा सकता है।
प्रशासनिक प्रतिशोध को लेकर चिंतित : हाल ही में सीएम अमरिंदर सिंह के खिलाफ बैठक करने वाले विधायकों के बीच भी डर है। उन्हें लग रहा है कि ज्ञात चुनाव सलाहकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आधार पर उन्हें फिर से नामांकिन नहीं किया जा सकता है, या उन्हें भीतर ही तोड़फोड़ का सामना करना पड़ सकता है। कुछ अपने खिलाफ प्रशासनिक प्रतिशोध को लेकर भी चिंतित हैं।
सूत्रों ने कहा-सीएम को करनी चाहिए पहल : कांग्रेस का मानना है कि मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत रूप से चिंतित सदस्यों से बात करके उन्हें शांत करने की पहल करनी चाहिए ताकि वे अपना विरोध छोड़ दें। हालांकि अमरिंदर का खेमा इस ओर इशारा करता रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से कोई मदद नहीं मिली है।
पार्टी के हित में है विवाद शांत करना : सूत्रों की मानें तो विधायक सीएम के खिलाफ बोलना जारी रख सकते हैं जो उनकी व्यक्तिगत असुरक्षा के लिए एक बचाव होगा। एआईसीसी के एक नेता ने कहा कि इन स्थानीय मतभेदों को हल करने का दायित्व अमरिंदर सिंह के पास है। उन्हें कार्रवाई करनी है, और यह उनके और पार्टी के हित में है।
पंजाब पहुंच रहे हरीश रावत : पार्टी सूत्रों ने कहा कि इस विवाद को ठीक करने के लिए, एआईसीसी के महासचिव हरीश रावत को अगले सप्ताह की शुरुआत में पंजाब का दौरा करने के लिए कहा गया है। हरीश रावत के अमरिंदर के साथ-साथ पीसीसी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू से मिलने की संभावना है, ताकि उनके और विधायकों के बीच की खाई को और कम किया जा सके।
तमाम कोशिशों के बाद नहीं सुलझा विवाद : पार्टी हाई कमान में इस बात को लेकर नाराजगी है कि पहले सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया, फिर अमरिंदर सिंह को चुनाव में सीएम का चेहरा घोषित किया इसके बाद भी गुटों को शांत करने की तमाम कोशिशें उम्मीद के मुताबिक नहीं सुलझीं। कहा जा रहा है कि चुनाव संबंधी समितियों की घोषणा के साथ-साथ कैबिनेट में फेरबदल को लेकर भी विवाद चल रहे हैं।

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