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September 19, 2024
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प्रह्लाद पटेल का शिव’राज ‘ पर कटाक्ष, अपना ही अध्यादेश वापस लेना… कहां हो गई बीजेपी से चूक

एमपी में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Elections) को शिवराज सरकार ने निरस्त करने का फैसला लिया है। सरकार ओबीसी पर पंचायत में फंस गई है। अपने ही बुने जाल में घिरी सरकार ने यू टर्न ले लिया है। पंचायत चुनाव वाले अध्यादेश को सरकार ने रद्द कर दिया है। वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने अपनी सरकार पर कटाक्ष किया है। ऐसे में सवाल है कि बीजेपी से कहां ओबीसी आरक्षण में चूक हो गई। अब इससे छुटकारा पाने के लिए शिवराज सिंह चौहान दिल्ली दौरे पर हैं। वह केंद्रीय मंत्रियों और दिल्ली में बड़े वकीलों से मिल रहे हैं।
विपक्षियों के साथ-साथ ओबीसी रिजर्वेशन पर शिवराज सरकार अपने लोगों को भी विश्वास में नहीं ले पाई थी। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा था कि जब कभी हमें चुनावी राजनीति में आरक्षण की बात करनी थी तो या तो हमें SC जाना था या फिर सदन में। उसमें जो चूक जिन सरकारों ने की है, उसे दुरुस्त करने के लिए एक बेहतर तरीका ये है कि हम संयम का परिचय दें। पिछडों को आग में ना झोंकें तो अच्छा होगा। इस बयान से साफ है कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का यह संदेश अपनी ही सरकार के लिए हैं।
सरकार ने अध्यादेश वापस लिया : दरअसल, एक महीने पहले सदन में अध्यादेश पास कर शिवराज सरकार ने राज्य में पंचायत चुनाव कराने का फैसला किया था। एक महीने बाद उसी अध्यादेश को वापस ले लिया है। अब इस अध्यादेश के आधार पर राज्य में चुनाव नहीं हो सकेंगे। अध्यादेश रद्द होने के बाद शिवराज सिंह चौहान राज्यपाल से मिलने गए थे। इसके कुछ ही घंटों बाद राज्य सरकार की तरफ से मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश 2021 को वापस लेने की घोषणा कर दी गई।
क्यों फंसा था पेंच : प्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ की सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान 102 ग्राम पंचायतें खत्म कर 1200 नई ग्राम पंचायतें बनाई थीं। पंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जनपद अध्यक्ष के लिए आरक्षण भी हो गया था। जिला पंचायत अध्यक्षों के लिए आरक्षण बाकी था। इसी परिसीमन और रोटेशन को खत्म करने के लिए शिवराज सरकार अध्यादेश लेकर आई। मगर रोटेशन प्रणाली को लेकर पेंच फंस गया। कांग्रेस कोर्ट चली गई।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई और कानून के दायरे में रहकर चुनाव करवाने के लिए कहा। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी के लिए रिजर्व सीटों पर चुनाव स्थगित कर दिया। इसके बाद मामला और उलझ गया। सरकार ने इस मसले पर अपने नेताओं से भी रायमशलविरा नहीं की। इसलिए कई बड़े नेता खुलकर सामने आ गए। उमा भारती ने भी ऐतराज जताया था। अब सरकार ने अध्यादेश वापस लिया है तो उमा भारती का बयान भी सामने आ गया है।
उमा भारती ने फैसले का स्वागत किया : पूर्व सीएम उमा भारती ने कहा कि पंचायत चुनावों में पिछडे वर्गों के आरक्षण की दुविधा को देखकर कुछ समय के लिए एमपी सरकार ने यह पंचायत चुनाव निरस्त किए हैं, इसके लिए सीएम और सरकार का अभिनंदन। उन्होंने कहा कि पिछड़े और दलित वर्ग पुरातन काल से निष्ठावान राम भक्त हिंदू रहे हैं लेकिन कमी यह थी कि उनके बीजेपी से आत्मीय संबंध नहीं थे जो हमसे शुरू हुए और मोदी पर जाकर इसकी पूर्ण आहुति हुई।
उमा भारती ने कहा कि अब बीजेपी को कोई कमजोर नहीं कर सकता क्योंकि पूरी दुनिया के सामने यह बात स्पष्ट हो गई है कि मोदी जी भी पिछड़े वर्ग के हैं। इसीलिए अब तो सभी पिछड़े एवं दलित वर्ग भाजपामय हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह मैं हमेशा करूंगी यदि मैंने पिछड़ों के हित में बोलना छोड़ दिया तो इस देश को, बीजेपी को और हिंदुत्व को भारी नुकसान होगा।
वहीं, सियासी जानकार कहते हैं कि बीजेपी अपनी ही पार्टी के नेताओं को ओबीसी आरक्षण के मसले पर भरोसा नहीं जीत पाई थी। विरोधियों के साथ-साथ पार्टी के अंदर से ओबीसी के बड़े नेताओं की आवाज ने शिवराज सरकार को बेचैन कर दिया। इसके बाद सरकार बैकफुट पर है। ओबीसी पंचायत पर बुरी तरह से घिरी शिवराज सरकार इन चीजों के लिए कांग्रेस के सिर पर ठिकरा फोड़ रही है।
तीन जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई : वहीं, शनिवार की रात सीएम शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंच गए हैं। ओबीसी रिजर्वेशन के मसले पर वह सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता के साथ चर्चा की है। तीन जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने को लेकर सुनवाई है। इसके बाद ही राज्य में फिर से पंचायत चुनाव को लेकर कोई फैसला हो सकता है।

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