23.9 C
Madhya Pradesh
November 22, 2024
Pradesh Samwad
देश विदेश

काबुल एयरपोर्ट पर कब्जे को लेकर बेचैन क्यों है तुर्की? तालिबानी आतंक के बावजूद फैसले पर अड़े एर्दोगन


अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती हिंसा के बावजूद काबुल एयरपोर्ट के संचालन को लेकर तुर्की अपने फैसले पर अडिग है। तुर्की ने कहा कि वह विदेशी सैनिकों के अफगानिस्तान से हटने के बाद भी काबुल हवाई अड्डे को चलाने और उसकी रखवाली करने के लिए तैयार है। तुर्की के अधिकारियों ने बताया कि वे तालिबान की बढ़ते कब्जे पर करीबी निगाह बनाए हुए हैं। कुछ दिन पहले ही तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने कहा था कि वे काबुल एयरपोर्ट के संचालन को लेकर तालिबान के साथ बातचीत करेंगे।
अमेरिका को खुश करना चाहते हैं एर्दोगन : तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन ने 9 जुलाई को कहा था कि तुर्की और अमेरिका इस बात पर सहमत हैं कि अफगानिस्तान से यूएस फोर्सेज की वापसी के बाद काबुल हवाई अड्डे को तुर्की की सेना के नियंत्रण में रखा जाएगा। अमेरिका से अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश के तौर पर एर्दोगन ने अगले महीने सैनिकों के जाने के बाद काबुल हवाई अड्डे के लिए सुरक्षा प्रदान करने का वादा किया है।
काबुल एयरपोर्ट के हस्तांतरण की प्रक्रिया जारी : तुर्की के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी के लिए टीएएफ (तुर्की सशस्त्र बलों) द्वारा काबुल हवाई अड्डे पर नियंत्रण करने के संबंध में कुछ भी नहीं बदला है। बातचीत और प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि इस आधार पर काम जारी है कि स्थानांतरण होगा, लेकिन निश्चित रूप से अफगानिस्तान की स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। तालिबान ने तुर्की को हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए अफगानिस्तान में सैनिकों को रखने के खिलाफ चेतावनी दी है लेकिन अंकारा ने अपना रुख कायम रखा है।
पाकिस्तान करेगा तुर्की और तालिबान में मध्यस्थता : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को तुर्की के रक्षा मंत्री हुलुसी अकार के साथ बातचीत के बाद कहा कि तालिबान और अंकारा के बीच बातचीत को सुविधाजनक बनाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि तुर्की और तालिबान के लिए आमने-सामने बातचीत करना सबसे अच्छी बात है। इसलिए दोनों काबुल हवाई अड्डे को सुरक्षित करने के कारणों के बारे में बात कर सकते हैं।
तुर्की को पहले भी चेतावनी दे चुका है तालिबान : तालिबान ने एर्दोगन के इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा है कि तुर्की को भी 2020 के समझौते के अनुरूप अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए। इससे पहले भी तालिबान के प्रवक्‍ता सुहैल शाहीन ने तुर्की को अपनी सेना वापस बुलाने को लेकर चेतावनी दी थी। बीबीसी के साथ बातचीत में शाहीन ने कहा था कि तुर्की को अमेरिका के साथ 29 फरवरी, 2020 को हुए समझौते के तहत निश्चित रूप से अपनी सेना को वापस बुलाना होगा।
काबुल एयरपोर्ट पर कब्जे को लेकर इतना बेचैन क्यों तुर्की? : काबुल एयरपोर्ट के संचालन करने के पीछे तुर्की की सोची समझी रणनीति है। अमेरिका और तुर्की के बीच तनाव चरम पर है। अमेरिका ने तुर्की के रक्षा उद्योगों पर कई प्रतिबंध भी लगाए हुए हैं। रूस से नजदीकी के कारण नाटो में तुर्की की पूछ काफी कम हो गई है। इसलिए राष्ट्रपति एर्दोगन अपने देश से हजारों किलोमीटर दूर इस एयरपोर्ट की जिम्मेदारी संभालने की बात कर रहे हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान का एयरस्पेस एक अंतराष्ट्रीय एयर रूट भी है। इसपर कब्जे का मतलब एशिया और यूरोप के आसमान पर कब्जा करना है।
काबुल एयरपोर्ट से तुर्की को क्या फायदा? : काबुल एयरपोर्ट के जरिए मध्य एशिया के हवाई क्षेत्र पर नजर रखी जा सकती है। अमेरिका इस एयरपोर्ट के जरिए ईरान, रूस और चीन तक हवाई घुसपैठ कर सकता है। इसके लिए अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तान से बलूचिस्तान क्षेत्र में एक एयरबेस की मांग की थी। बदले में अमेरिका पाकिस्तान को आर्थिक सहायता बहाल करने को तैयार था। लेकिन, इमरान खान ने अमेरिका के इस प्रस्ताव को नकार दिया। जिसके बाद अमेरिका अब काबुल एयरपोर्ट को किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहता है।

Related posts

लद्दाख में सैन्य तैयारी वाले अमेरिकी जनरल के दावे पर भड़का चीन, बातचीत से हल करेंगे सीमा विवाद…

Pradesh Samwad Team

ऑस्ट्रेलियाई परमाणु पनडुब्बी डील पर बाइडन ने मानी गलती? मैक्रों से बातचीत के बाद सुधरेंगे रिश्ते

Pradesh Samwad Team

WHO प्रमुख ने ओमीक्रोन, डेल्टा के मिलने से संक्रमण के मामलों की ‘सुनामी’ आने की जताई आशंका

Pradesh Samwad Team