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November 22, 2024
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इमरान खान ने चीन के इशारों पर रूस से की गेहूं और गैस की डील


रूस इस समय अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना कर रहा है। इससे रूस की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगने की आशंका है। यही कारण है कि चीन और पाकिस्तान रूस को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
इस्लामाबाद: यूक्रेन पर आक्रमण के बाद प्रतिबंधों (Russia Pakistan Relations) का सामना कर रहे रूस को पाकिस्तान ने सहारा दिया है। इमरान खान (Imran Khan Russia Visist) ने रूस दौरे पर व्लादिमीर पुतिन के बाद गेहूं और प्राकृतिक गैस की डील की है। इमरान ने ऐलान किया कि उन्होंने पिछले गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति से मिलने के बाद लगभग 20 लाख टन गेहूं और प्राकृतिक गैस का आयात करेगा। रूस-पाकिस्तान की इस डील को दोनों देशों के बीच बढ़ती नजदीकियों से जोड़कर देखा जा रहा है। इमरान खान ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को पाकिस्तान दौरे के लिए भी आमंत्रित किया है।
रूस को बचाने आगे आए चीन और पाकिस्तान : रूस इस समय अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना कर रहा है। इससे रूस की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगने की आशंका है। यही कारण है कि चीन और पाकिस्तान रूस को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। फरवरी में ही चीन ने रूस के साथ अरबों डॉलर के गैस की डील की है। यह डील खुद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग ने साइन की थी। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने भी गेहूं और गैस की डील चीन के कहने पर ही साइन की है।
इमरान बोले- रूस से गेहूं और गैस खरीदेंगे : इमरान खान ने दो दिवसीय रूस यात्रा के बारे में कहा कि हम वहां गए क्योंकि हमें रूस से 2 मिलियन टन गेहूं आयात करना है। दूसरे, हमने प्राकृतिक गैस के आयात के लिए उनके साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं क्योंकि पाकिस्तान के अपने गैस भंडार कम हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंशाअल्लाह, समय बताएगा कि हमने बहुत चर्चा की है।
रूस पर कई देशों ने लगाया है प्रतिबंध : अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की झड़ी लगा दी है। मामला यहां तक पहुंच गया है कि यूरोपीय देशों के रूस के विमानों के लिए अपनी हवाई सीमा को भी बंद कर दिया है। जर्मनी ने भी रूस के नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन परियोजना पर भी रोक लगा दी है। रूस इससे यूरोपीय देशों तक अपनी सस्ती गैसों को पहुंचाने की योजना पर काम कर रहा था। 11 बिलियन डॉलर की यह गैस पाइपलाइन बाल्टिक सागर से होते हुए रूस के साइबेरिया से जर्मनी तक जाने वाली थी।

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