भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में लगी आग पर करीब तीन घंटे बाद काबू पा लिया गया, लेकिन इस दौरान वहां भयावह हालात बने रहे। अंदर फंसे बच्चों को दूसरे वॉर्ड में शिफ्ट करने की कोशिशों के बीच बाहर उनके परिजन परेशान रहे।
राजधानी भोपाल के सरकारी कमला नेहरू अस्पताल में करीब दो घंटे पहले लगी आग पर काबू पा लिया गया है। अंदर फंसे बच्चों को दूसरे वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया है, हालांकि इस दौरान चार बच्चों की मौत हो गई। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के साथ भोपाल के कलेक्टर अविनाश लवानिया और डीआईजी इरशाद वली सहित सभी आला अधिकारी मौके पर मौजूद रहे, लेकिन करीब तीन घंटे तक अस्पताल के बाहर अफरा-तफरी का माहौल बना रहा।
अस्पताल की तीसरी मंजिल पर पीडियाट्रिक वॉर्ड में आग लगी थी जहां छोटे-छोटे बच्चे भर्ती थे। बाहर उनके परिजन मौजूद थे, लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं दी जा रही थी। आक्रोशित परिजनों को संभालने में पुलिस और अधिकारियों को काफी मुश्किलें आईं।
कुछ परिजनों ने अस्पताल के कर्मचारियों पर लापरवाही के आरोप भी लगाए हैं। उनका कहना है कि आग लगने के तुरंत बाद बच्चों को बचाया जा सकता था, लेकिन कर्मचारी खुद को बचाने में लग गए। बाद में जब बच्चों को बचाने की कोशिश शुरू हुई, तब तक आग गंभीर रूप ले चुका था और अंदर धुआं भर गया था। आग पर काबू पाने की पुष्टि होने के काफी देर बाद तक भी परिजनों को कोई जानकारी नहीं दी गई। इसके चलते वे परेशान दिखे।
अधिकारी अभी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि उनकी पहली प्राथमिकता आग बुझाने और बच्चों को सुरक्षित बचाने पर है। इसके लिए दूसरे इलाकों से फायर ब्रिगेड और डॉक्टरों की टीमें बुलाई गईं। आग बुझने के बाद भी अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं थे क्योंकि अंदर धुआं भरा हुआ था।
इधर, अस्पताल के बाहर बच्चों के परिजन परेशान होते रहे। कई महिलाओं को रोते हुए देखा गया। उन्हें भी इंतजार था कि अंदर का धुआं हटे तो कुछ जानकारी बाहर मिले।