सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें कहा गया है कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीनेशन के मामले में हाई रिस्क कैटिगरी में रखा जाए और उनको मॉनिटर करने के लिए अलग से रजिस्ट्री बनाई जाए।
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (डीसीपीसीआर) की ओर से अर्जी दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता की वकील वृंदा ग्रोवर ने दलील दी कि केंद्र सरकार ने गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के वैक्सीनेशन के लिए गाइडलाइंस जारी कर रखा है। लेकिन याचिकाकर्ता की कुछ चिंंताएं है जिसका अभी समाधान नहीं हुआ है। कोरोना वायरस नया वायरस है और इसके बारे में ज्यादा पता नहीं है। गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर इसके प्रभाव को लेकर साइंटिफिक शोध जरूरी है कि उन पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है। उनकी निगरानी के लिए अलग से रजिस्ट्री बनाई जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सॉलिसिटर जनरल से सहयोग करने को कहा है और याचिकाकर्ता की चिंता पर केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिकाकर्ता की वकील ग्रोवर ने कहा कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को हाई रिस्क कैटिगरी में रखा जाना चाहिए क्योंकि वायरस के बारे में कुछ अभी पता नहीं है।
दिव्यांगों के वैक्सीनेशन पर फोकस करने की मांग : सुप्रीम कोर्ट ने शारीरिक तौर पर अक्षम व्यक्तियों के वैक्सीनेशन पर ध्यान देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। अर्जी में कहा गया है कि ऐसे लोगों को घर पर ही वैक्सीनेशन की सुविधाएं दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सॉलिसटिर जनरल से कहा है कि वह कोर्ट को सहयोग करें और बताएं कि इस मामले में क्या कदम उठाया गया है।
इस याचिका में कहा गया है कि वैक्सीनेशन में शारीरिक तौर पर जो भी अक्षम हैं उन्हें वरीयता दी जाए। उनके लिए अलग से हेल्प लाइन की व्यवस्था की जाए और वैक्सीनेशन सेंटर पर जाने की सुविधा सुनिश्चित हो।