बिहार में दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव (Bihar Vidhansabha ByElections 2021) में अकेले चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस ने बड़ा फैसला लिया है। पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में यादव जाति से कोई नाम नहीं होने पर सवाल उठाए जाने के बाद कांग्रेस अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। पार्टी ने दोनों विधानसभा सीटों के लिए यादव जाति से आने वाले नेताओं को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।
कुशेश्वरस्थान सीट का पर पर्यवेक्षक होंगी रंजीत रंजन : पूर्व सांसद रंजीत रंजन (Ranjeet Ranjan) को कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस ने पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। वहीं चंदन यादव को तारापुर विधानसभा के सीट के लिए ये जिम्मेदारी सौंपी गई है। माना जा रहा है कि आरजेडी का वोटबैंक एमवाई (यादव और मुस्लिम) समीकरण रहा है। अगर कांग्रेस को आरजेडी से बढ़त बनानी है तो उसे उनके वोटबैंक में सेंध लगानी होगी। ऐसे में स्टार प्रचारकों की सूची में यादव जाति के नेता की उपस्थिति नहीं होने से सवाल उठने लगे।
कांग्रेस ने इसलिए उठाया ये कदम : इसी के बाद कांग्रेस ने अब डैमेज कंट्रोल प्रारंभ कर दिया है। ध्यान रहे कि आरजेडी के स्टार प्रचारकों की सूची में कुल 20 नाम हैं, जिसमें लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव समेत कम से कम पांच ऐसे नेताओं के नाम हैं जो यादव समुदाय से आते हैं। इधर, कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की 20 सदस्यीय सूची में पांच भूमिहार, पांच मुस्लिम, तीन ब्राह्मण, तीन दलित, दो राजपूत और एक-एक कायस्थ और ओबीसी नेताओं के नाम शामिल हैं।
चंदन यादव को तारापुर सीट की जिम्मेदारी : कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में यादव जाति से आने वाले नेताओं को तरजीह नहीं दिए जाने सवाल उठाए जाने लगे थे। कांग्रेस ने शुक्रवार को पूर्व सांसद रंजीत रंजन को कुशेश्वरस्थान विाानसभा सीट के लिए जबकि छत्तीसगढ़ के प्रभारी सचिव चंदन यादव को तारापुर विधानसभा के सीट के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया। हालांकि, युवा नेता और युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे ललन कुमार को अभी भी पार्टी ने खास तवज्जो नहीं दी है।
उपचुनाव में कांग्रेस-आरजेडी दोनों ही मुकाबले में : कांग्रेस ने ललन को पिछले विधनसभा चुनाव में तारापुर के समीप सुल्तानगंज सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। बहुत कम मतों से इन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी यादव को भी कांग्रेस ने इस चुनाव में नजरअंदाज किया है। बहरहाल, आरजेडी और कांग्रेस के दोनों सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतार देने के बाद उपचुनाव दिलचस्प हो गया है। चुनाव परिणाम ही बताएगा कि कौन दल किस पर भारी पड़ता है।