श्योपुर/मुरैना. श्योपुर में शुक्रवार रात सीप, पार्वती और कूनों नदियों (Rivers) में फिर उफान आ गया. इससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गयी. निचली बस्तियों में पानी भरने लगा और लोग बदहवास होकर अपने घरों से निकल कर सुरक्षित जगहों के लिए भागने लगे. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में हड़कंप मच गया. शहर की सड़कों पर वाहनों की आवाजाही बढ़ गयी. वाहनों की कतार लग गयी.
ग्वालियर चंबल संभाग बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है. बाढ़ का कहर श्योपुर जिले से शुरू हुआ था जो धीरे धीरे बढ़कर शिवपुरी, गुना, दतिया, अशोक नगर, ग्वालियर के कुछ भाग और फिर भिंड-मुरैना तक पहुंच गया. भिंड मुरैना में बाढ़ बाद में आयी और अब पानी उतर गया है लेकिन श्योपुर अब भी बाढ़ में डूबा हुआ है. यहां हाल बुरा है.
कूनो और रीछ नदी में बाढ़ के बाद श्योपुर बाढ़ से घिर गया. धीरे धीरे गांव का जिला मुख्यालय से और फिर जिला मुख्यालय का आसपास के इलाकों से सड़क संपर्क टूट गया. श्योपुर में हर तरफ पानी ही पानी है. हफ्ते भर बाद भी इस इलाके को राहत नहीं मिल पायी है. पानी पूरे शहर और गांव में भरा हुआ है. नदी नाले उफने तो बस्ती, सड़क से होता हुआ पानी अब घरों में घुस गया है. गृहस्थी का सारा सामान पानी की भेंट चढ़ गया है. हालात इतने बिगड़े कि स्थानीय प्रशासन, शासन, SDRF और NDRF के बाद सेना को बुलाना पड़ा. सेना के 4 कॉलम यहां उतारे गए. बाढ़ में घिरे लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
बाढ़ पीड़ित गांव पहुंची टीम : मुरैना में चंबल और क्वारी नदियों के रौद्र रूप ने अंचल में तबाही मचा दी. क्वारी नदी में जब उफान थोड़ा कम हुआ तो न्यूज़ 18 की टीम सुमावली क्षेत्र के नेहरावली गांव पहुंची. यहां तबाही का मंजर है. ग्रामीणों के माथे पर थी चिंता की लकीरें और सबकुछ बर्बाद होने के बाद परिवार के भरण पोषण की चिंता है. लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश था. बाढ़ से घिरने के बाद उनके पास कोई भी प्रशासनिक टीम, रेस्क्यू टीम यहां तक की गांव का सरपंच और सचिव भी नहीं पहुंचे हैं. अगर उनकी मदद अन्य ग्रामीणों ने नहीं की होती तो वो शायद आज अपने परिवार को खो बैठते. ग्रामीणों ने ही उनका रेस्क्यू किया. उनके ठहरने की व्यवस्था और खाद्य सामग्री भी मुहैया कराई.
क्वारी का ये रूप पहले कभी नहीं देखा : गांव के 60 से 70 साल के बुजुर्ग भी हैरान हैं कि क्वारी नदी का यह रूप पहले कभी नहीं देखा. 52 साल पहले नदी में उफान आया था लेकिन इस तरह विनाश नहीं किया था. आज तो पक्के, कच्चे मकान सब बह गए. इतने वर्षों में जो गृहस्थी जोड़ी थी वह सब इस जल सैलाब में बर्बाद हो गई. अब बेटी की शादी, नाती – नातिनों की पढ़ाई और दो जून की रोटी का इंतजाम कैसे होगा. सरकार की ओर सबकी आंखें टिकी हैं. अगर उसने भी प्रशासन की तरह मुंह फेर लिया तो फिर मरने के अलावा कोई रास्ता नहीं.