दुनिया में एक बड़ी आबादी सुई के डर से वैक्सीन लगवाने से बच रही है। लेकिन अब वह दिन दूर नहीं जब लोगों को वैक्सीन की सुरक्षा पाने के लिए सुई के डर से नहीं जूझना होगा। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मंगलवार को सूई रहित, वायु चालित टीके का क्लिनिकल परीक्षण शुरू किया। इससे कोविड के भविष्य के स्वरूपों से निपटने में मदद मिलने की उम्मीद है। विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जोनाथन हेनी और डीआईओसायनवैक्स कंपनी ने यह डीआईओएसवैक्स प्रौद्योगिकी विकसित की है।
हवा के दबाव के जरिए इसकी खुराक त्वचा में प्रवेश कराई जाएगी। सफल रहने पर यह सूई लगवाने से डरने वाले लोगों के लिए भविष्य में एक विकल्प हो सकता है। इसका निर्माण चूर्ण के रूप में किया जा सकता है जिससे वैश्विक टीकाकरण प्रयासों को , खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बढ़ावा मिलेगा। हेनी ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि हम नई पीढ़ी के टीके विकसित करना जारी रखे हुए हैं जो वायरस के अगले स्वरूपों से सुरक्षित रखेगा।’
यूनिवर्सल कोरोना वायरस वैक्सीन की दिशा में पहला कदम
उन्होंने कहा कि हमारा टीका इनोवेटिव है। यह हमारे द्वारा विकसित किए जा रहे एक यूनिवर्सल कोरोना वायरस टीके की दिशा में पहला कदम है। और हमें न सिर्फ कोविड-19 के स्वरूपों से बल्कि भविष्य के कोरोना वायरस से भी बचाएगा। यह टीका इस हफ्ते प्रथम स्वयंसेवी को लगाया जाएगा। सूई मुक्त टीके के परीक्षण के लिए इनोवेट यूके ने यूके रिसर्च एंड इनवेंशन नेटवर्क के तहत कोष उपलब्ध कराया है।
ओमीक्रोन पर प्रभावी एंटी कोविड दवा : वहीं दवा कंपनी फाइजर ने मंगलवार को दावा किया कि उसकी प्रयोगात्मक कोविड-रोधी गोली कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन के खिलाफ भी प्रभावी साबित हुई है। कंपनी ने कहा कि 2,250 लोगों पर किए गए शोध के पूर्ण निष्कर्ष में इस बात की पुष्टि हुई है कि उसकी कोविड-रोधी गोली वायरस के खिलाफ प्रभावी है। कंपनी ने कहा कि कोविड-19 के शुरुआती लक्षणों के बाद उच्च जोखिम वाले वयस्कों को दी गई दवा से संयुक्त रूप से अस्पताल में भर्ती होने और मौत के मामलों में करीब 89 फीसदी कमी दर्ज की गई।
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