बीजेपी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय एक बार फिर अपनी जगह बनाने में सफल रहे। उन्हें पहले की तरह राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया है। बंगाल विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार के बाद विजयवर्गीय की मध्य प्रदेश में बढ़ी सक्रियता से कयास लग रहे थे कि पार्टी संगठन में उनकी पूछ-परख कम हो गई है, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि उन्हें जल्द ही किसी राज्य का प्रभारी बनाया जा सकता है।
विजयवर्गीय को लेकर कयास इसलिए लग रहे थे क्योंकि बंगाल में हार के बाद बीजेपी को लगातार झटके लग रहे हैं। चुनाव से पहले टीएमसी से बीजेपी में आए कई नेता घरवापसी कर चुके हैं। भवानीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ममता बनर्जी के सामने गंभीर चुनौती तक नहीं पेश कर पाई। उपचुनाव में विजयवर्गीय खास एक्टिव भी नहीं दिखे।
विजयवर्गीय बंगाल में भले एक्टिव नहीं हों, लेकिन बंगाल चुनावों के बाद वे मध्य प्रदेश की राजनीति में खासे सक्रिय हो रहे थे। पिछले एक-डेढ़ महीने में उनकी कई नेताओं से मुलाकात हुई है। पिछले महीने उन्होंने इंदौर में सड़कों की खराब हालत पर फेसबुक पर तीखा पोस्ट लिखा था। तब यह अंदेशा जताया गया था कि वे प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार से नाराज हैं।
इस बीच विजयवर्गीय को पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा का टिकट मिलने की चर्चा भी हुई थी। मध्य प्रदेश से राज्यसभा की खाली सीट के लिए विजयवर्गीय प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन पार्टी ने एल मुरुगन को टिकट दे दिया। खंडवा लोकसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में भी वे टिकट के दावेदार थे, लेकिन पिछड़ गए।
विजयवर्गीय को कार्यकारिणी में जगह मिलने से सबसे ज्यादा राहत मुख्यमंत्री शिवराज को हो सकती है। विजयवर्गीय 2018 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे। इसके बाद जब भी एमपी में नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहों ने जोड़ पकड़ा, विजयवर्गीय का नाम चर्चा में रहा। अब शिवराज चैन की सांस ले सकते हैं क्योंकि किसी राज्य का प्रभारी बनने के बाद वे स्थानीय राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं रह पाएंगे।