जब बच्चे बड़ हो जाते हैं तो पैरेंट्स को उन्हें अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने की थोड़ी आजादी तो देनी चाहिए। यह पेरेंटिंग का एक अहम कदम है। इससे बच्चे अपने पैरेंट्स पर ही निर्भर नहीं रहते बल्कि इससे उन्हें सीखने और बढ़ने में भी मदद मिलती है।
बच्चों को पर्याप्त आजादी देने से वो आत्मनिर्भर बनते हैं और सही और गलत के बीच पहचान कर पाते हैं। पैरेंट्स का बच्चों को थोड़ी आजादी देने के साथ उन पर कुछ पाबंदियां भी लगाएं ताकि बच्चे कोई गलत निर्णय न लें या गलत रास्ते पर जाने से बचें।
अगर आप पेरेंट हैं तो इस बात को बखूबी समझते होंगे कि बच्चों की परवरिश संतुलन में करना कितना मुश्किल होता है। हर पेरेंट को पता नहीं होता कि बच्चों को कब और कहां छूट देनी है और कितनी छूट देनी है और उस पर पाबंदी लगानी है।
इन छोटी-छोटी बातों से अनजान होने का बुरा असर बच्चों पर पड़ सकता है और वो किसी गलत रास्ते पर जा सकते हैं।
अगर आप भी पेरेंट हैं तो यहां आपको जानने का मौका मिलेगा कि असल में आपको बच्चों को कितनी छूट देनी चाहिए।
टीनएज में कितनी छूट देनी चाहिए : बच्चों को सही मात्रा में आजादी देकर आप उन्हें किशोरावस्था के लिए तैयार कर सकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि सही मात्रा में आजादी से क्या मतलब है, आखिर ये सही मात्रा कितनी होती है?
कितनी मात्रा है सही : आपको बता दें कि इसका जवाब हर इंसान के लिए अलग होता है। बच्चे की उम्र, वो कितना मैच्योर है, उसे परिवार का कितना साथ मिल रहा है, उसके पिछले अनुभव कैसे हैं, किसी परिस्थिति को वो कितनी जिम्मेदारी से निपटाता है, इन चीजों पर निर्भर करता है कि बच्चे को कितनी छूट मिलनी चाहिए।
बच्चों का एक्सपीरियंस : कई बार बच्चे सही इंसान को नहीं पहचान पाते हैं या पिछले किसी ट्रामा की वजह से किसी विशेष परिस्थिति को संभाल नहीं पाते हैं। ऐसे में उन्हें अपने पेरेंट्स के मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है।
उम्र पर दें ध्यान : सिर्फ उन चीजों को करने की ही आजादी दें जो बच्चे की उम्र के हिसाब से सही हों। अगर आपका बच्चा 16 साल से कम उम्र का है, तो उसे दोस्त के घर देर रात तक रूकने या बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने की आजादी न दें।
लिमिट सेट करें : जब बच्चे किसी चीज के लिए परमिशन मांगते हैं, तो उन्हें हां करने से पहले कुछ नियम बना दें और उसे बताएं कि अगर वो इनका उल्लंघन करता है तो उसे क्या परिणाम भुगतने होंगे। इससे बच्चे जिम्मेदार होंगे। जब भी वो बाहर जाए तो उसके वापिस आने का समय तय कर दें और बता दें कि उसे दोस्तों के साथ कितना समय मिला है। पढ़ाई और बाकी की चीजों के लिए भी नियम साफ कर दें।