विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान, आर्मेनिया और उज्बेकिस्तान के अपने समकक्षों से शुक्रवार को मुलाकात की और अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रमों, क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। जयशंकर, पिछले महीने तालिबान के अफगानिस्तान को नियंत्रण में लेने के बाद वहां के हालात पर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की एक अहम बैठक में हिस्सा लेने के लिए ताजिकिस्तान की राजधानी में हैं। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि दुशान्बे में SCO की बैठक से इतर ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान से ‘‘मिलकर खुशी हुई”।
जयने कहा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्रीय चुनौतियों पर मिलकर काम करने को लेकर चर्चा हुई।” आर्मेनिया के विदेश मंत्री अरारत मिर्जोयान के साथ बैठक पर जयशंकर ने कहा कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग की ‘‘सकारात्मक समीक्षा” की और इसे आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए। उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री के साथ बैठक के बाद उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री अब्दुलअजीज कामिलोव से मिलकर अच्छा लगा। हमारी बातचीत अफगानिस्तान की स्थिति पर केंद्रित थी। आतंकवाद और कट्टरता का मुकाबला करने वाले देशों के रूप में, हमारा घनिष्ठ सहयोग पारस्परिक हित में है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को वार्षिक SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले हैं, जिसमें अफगानिस्तान में घटनाक्रमों के साथ-साथ समग्र क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य पर व्यापक रूप से विचार विमर्श करने की उम्मीद है। जयशंकर SCO के राष्ट्राध्यक्षों और सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन के साथ अफगानिस्तान मामले पर एक बैठक में हिस्सा लेंगे। SCO आठ सदस्यीय आर्थिक और सुरक्षा संगठन है और सबसे बड़े अंतरक्षेत्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।
साल 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके स्थायी सदस्य बने। भारत ने एससीओ और विशेष रूप से सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों को देखने वाले इसके क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे (RATS) के साथ अपने सुरक्षा संबंधी सहयोग को प्रगाढ़ करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। भारत को 2005 में SCO में पर्यवेक्षक बनाया गया था और वह आम तौर पर समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लेता रहा है जो मुख्य रूप से यूरेशिया क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित रही हैं।