यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) को लेकर अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव (US Russia Tension) को देखते हुए पाकिस्तान (Pakistan News) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान वैश्विक राजनीतिक में किसी भी खेमे में शामिल नहीं होगा। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान की नीति (Foreign Relations of Pakistan) हर देश के रिश्ते बनाए रखने की रही है। पर, इमरान खान यह भूल गए कि पाकिस्तान शुरू से ही किसी न किसी महाशक्ति का पिछलग्गू रहा है। आजादी के बाद पाकिस्तान ब्रिटेन का दोस्त बना, बाद में वह सोवियत संघ के खिलाफ अमेरिकी मोहरा बना और अब चीन के हाथ की कठपुतली बना हुआ है।
इमरान बोले- पाकिस्तान किसी भी खेमे का हिस्सा नहीं : इमरान खान ने इस्लामाबाद में पत्रकारों, पूर्व राजनयिकों और थिंक-टैंक के प्रतिनिधियों से बातचीत में कहा कि हम ऐसी स्थिति में नहीं पहुंचना चाहते, जिससे ऐसा लगे कि हम किसी खास खेमे का हिस्सा हैं। इमरान ने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि पाकिस्तान किसी अन्य देश की तुलना में चीन की ओर ज्यादा प्रभावित है। उन्होंने कहा कि देश की नीति है, हर देश के साथ संबंध बनाये रखना।
पाकिस्तानी सेना पर भी बोले इमरान खान : एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना का रावलपिंडी स्थित मुख्यालय भी इस देश की नीति को लेकर स्पष्ट है। पाकिस्तान की सेना ने देश की आजादी के 74 साल में से आधे समय तक राज किया। ऐसा पहली बार नहीं है जब इमरान खान ने कहा है कि वह नये शीतयुद्ध की स्थिति में अमेरिका और चीन का अनुसरण नहीं करेंगे।
अमेरिका-चीन के बीच मध्यस्थता करना चाहते हैं इमरान : इस महीने की शुरुआत में, खान ने कहा था कि अमेरिका और चीन को एक साथ लाने में पाकिस्तान अपनी भूमिका निभाना चाहता है क्योंकि ‘एक और शीत युद्ध’ से किसी को फायदा नहीं होगा। घरेलू चुनौतियों के बारे में बात करते हुए खान ने कहा कि देश के सुधार में लालफीताशाही सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि संघीय सरकार की कीमत पर प्रांतों के सशक्तीकरण ने भी समस्याएं पैदा की हैं।