भारतीय क्रिकेट बोर्ड और टेस्ट कप्तान विराट कोहली के बीच मतभेद बुधवार को सार्वजनिक हो गया जब टेस्ट कप्तान ने बोर्ड के ‘गलत’ दावे को खारिज किया कि उन्हें टी20 टीम की कप्तानी नहीं छोड़ने के लिये मनाने की कोशिश की गई थी। भारत के सबसे कामयाब क्रिकेटरों में से एक कोहली ने यह भी कहा कि उन्हें वनडे कप्तानी से हटाने के फैसले के बारे में चयन समिति के प्रमुख चेतन शर्मा ने दक्षिण अफ्रीका के लिये टेस्ट टीम की घोषणा से महज डेढ घंटे पहले ही बताया था।
भारतीय क्रिकेट के इतिहास का यह नया अध्याय प्रतीत होता है जिसमें एक हाई प्रोफाइल कप्तान ने सार्वजनिक तौर पर बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली के इस बयान को खारिज कर दिया कि बोर्ड ने उनसे अनुरोध किया था कि वे टी20 टीम की कप्तानी नहीं छोड़ें। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक बीसीसीआई ने अपना पक्ष नहीं रखा है जबकि कहा जा रहा था कि चयन समिति के प्रमुख चेतन शर्मा मीडिया से मुखातिब होंगे।
दक्षिण अफ्रीका दौरे पर रवाना होने से पहले कोहली ने कहा कि जो फैसला किया गया उसे लेकर जो भी संवाद हुआ, उसके बारे में जो भी कहा गया वह गलत है। जब मैंने टी20 कप्तानी छोड़ी तो मैंने पहले बीसीसीआई से संपर्क किया और उन्हें अपने फैसले के बारे में बताया और उनके (पदाधिकारियों) सामने अपना नजरिया रखा। भारतीय कप्तान ने गांगुली के कुछ दिन पहले के बयान से बिलकुल विपरीत जानकारी देते हुए कहा, ‘‘मैंने कारण बताए कि आखिर क्यों मैं टी20 कप्तानी छोड़ना चाहता हूं और मेरे नजरिए को अच्छी तरह समझा गया। कुछ गलत नहीं था, कोई हिचक नहीं थी और एक बार भी नहीं कहा गया कि आपको टी20 कप्तानी नहीं छोड़नी चाहिए।
वनडे कप्तानी को लेकर उन्होंने कहा कि आठ दिसंबर को टेस्ट श्रृंखला के लिए चयन बैठक से डेढ़ घंटा पहले मेरे साथ संपर्क किया गया और इससे पहले टी20 कप्तानी को लेकर मेरे फैसले की घोषणा के बाद से मेरे साथ कोई संपर्क नहीं किया गया था। मुख्य चयनकर्ता ने टेस्ट टीम पर चर्चा की जिस पर हम दोनों सहमत थे। बात खत्म करने से पहले मुझे बताया गया कि पांच चयनकर्ताओं ने फैसला किया है कि मैं वनडे अंतरराष्ट्रीय कप्तान नहीं रहूंगा जिस पर मैंने कहा ‘ठीक है, कोई बात नहीं’।
उन्होंने कहा कि इसके बाद टीम चयन के दौरान हमने इसके बारे में संक्षिप्त में बात की और यही हुआ। बीसीसीआई के पदाधिकारियों ने उनके फैसले को प्रगतिशील बताया। इसके विपरीत बीसीसीआई ने इसे प्रगतिशील और सही दिशा में उठाया गया कदम करार दिया था। उस समय मैंने कहा था कि हां, टेस्ट और एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय में मैं (कप्तान) बरकरार रहना चाहता हूं जब तक कि पदाधिकारियों और चयनकर्ताओं को लगता है कि मुझे इस जिम्मेदारी को निभाते रहना चाहिए।
कोहली ने कहा कि बीसीसीआई के साथ मेरा संवाद स्पष्ट था। मैंने विकल्प दिया था कि अगर पदाधिकारियों और चयनकर्ताओं की सोच कुछ और है तो यह (फैसला) उनके हाथ में है। बीसीसीआई को ‘रेड अलर्ट’ पर डालने वाले आखिरी भारतीय कप्तान खुद गांगुली थे जिनका तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल के साथ विवाद जगजाहिर था। गांगुली को 2005 में जिम्बाब्वे में टेस्ट श्रृंखला जीतने के बाद कप्तानी से हटा दिया गया था।
उन्होंने कहा था कि उन्हें कप्तानी छोड़ने के लिए कहा गया था। इसके बाद दिवंगत जगमोहन डालमिया को बोर्ड अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। उसके बाद से क्रिकेट की राजनीति बद से बदतर हो गई। समझा जाता है कि गांगुली इस मामले से काफी खिन्न है लेकिन बोर्ड अध्यक्ष के तौर पर वह सामूहिक फैसला लेने के पक्ष में होंगे। बोर्ड के एक अनुभवी प्रशासक ने कहा कि बीसीसीआई के लिये यह काफी पेचीदा है। बोर्ड बयान जारी करता है तो कप्तान को झूठा साबित करेगा। बयान जारी नहीं करता है तो अध्यक्ष पर सवाल उठेंगे। कोहली के बयान से बोर्ड को काफी नुकसान हुआ है और ज्यादा इसलिये क्योंकि संवादहीनता की स्थिति है।
बीसीसीआई की मानें तो एक वरिष्ठ ने दावा किया कि जब कोहली से पूछा गया कि क्या टी20 कप्तान छोड़ना उचित होगा तो उसमें नौ लोग शामिल थे। इनमें पांच चयनकर्ता, अध्यक्ष गांगुली, सचिव जय शाह, कप्तान कोहली और रोहित शर्मा शामिल हैं। इस समूचे घटनाक्रम से यह साबित हो गया कि कप्तान और बोर्ड के बीच संवादहीनता है। इसके अलावा रोहित को वनडे कप्तान बनाने की ट्विटर पर एक पंक्ति की घोषणा में कोहली का जिक्र नहीं होना गरिमामय नहीं था। कप्तान कोहली आहत हैं और यह स्पष्ट हो गया जब उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में वनडे नहीं खेलने की अटकलों को भी खारिज किया।