हिंदू गाय को मां का दर्जा देते आए हैं। उनकी हमेशा से गाय में अटूट आस्था रही है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी गोरक्षा पर बुधवार को एक अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। इस दौरान कोर्ट ने यह भी बताया कि गाय की रक्षा और उसे बढ़ावा देना किसी मजहब से नहीं जुड़ा है। गाय तो भारत की संस्कृति है और संस्कृति की रक्षा करना देश में रह रहे हर नागरिक का फर्ज है चाहे उनका मजहब कुछ भी हो। यहां तक मुस्लिमों ने भी अपने शासन के दौरान भारतीय संस्कृति में गाय की अहमियत को समझा। 5 मुस्लिम शासकों के राज में भी गोकशी प्रतिबंधित थी। आइए, यहां जानते हैं कि किन-किन मुस्लिम शहंशाहों ने अपने कार्यकाल में हिंदुओं की आस्था को मानते हुए गोकशी पर प्रतिबंध लगाया था। कोर्ट ने इनमें से कुछ का जिक्र भी किया।
बाबर ने दिया था हुक्म : मुगल बादशाह बाबर ने भारत पर 1526 से लेकर 1530 तक शासन किया। अपने शासन काल में बाबर ने गाय की कुर्बानी पर रोक लगाने का हुक्म दिया था। इसका दस्तावेज भी मौजूद है। 1921 में ख्वाजा हसन निजामी देहलवी की किताब ‘तर्क-ए-कुरबानी-ए-गाऊ’ में इसका जिक्र है। बाबर ने अपने बेटों को भी गोकशी से बचने के लिए कहा था। बाबर का मानना था कि इससे हिंदुस्तानियों का दिल जीता जा सकता है। यह कदम आम लोगों को खुश रखेगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने भी कुछ साल पहले एक पुस्तिका में कहा था कि बाबर ने न केवल अपने शासन में गोकशी पर रोक लगाकर रखी थी, बल्कि अपने बेटों से भी ऐसा ही करने के लिए कहा था।
हुमायूं ने मानी पिता की बात : बादशाह हुमायूं ने पिता बाबर की बात मानते हुए गोकशी पर प्रतिबंध बनाए रखा। हुमायूं ने दो बार में पहले 1530 से 1540 और फिर 1555 से 1556 तक देश पर शासन किया। हिंदुओं की आस्था का सम्मान करते हुए इस दौरान गोकशी से परहेज किया जाता रहा।
अकबर ने तो सजा-ए-मौत का हुक्म दिया : पिता और दादा से आगे निकलते हुए अकबर के शासन काल में तो गोकशी पर मौत की सजा तय कर दी गई थी। इसका भी उल्लेख कई जगह मिलता है। अकबर ने 1556-1605 तक शासन किया। उनके शासन में हिंदुओं की आस्था को बहुत ज्यादा सम्मान दिया गया। कहा जाता है कि बादशाह अकबर ने अपनी ही नहीं, बल्कि बेटों और पोतों की सालगिरह के दिन भी पशुओं को नहीं मारने का फरमान दिया था।
जहांगीर ने भी बनाए रखा नियम : अकबर के बाद मुगल बादशाह जहांगीर के शासन में भी गोकशी पर प्रतिबंध बना रहा। जहांगीर ने 1605 से 1627 तक शासन किया।
नवाब हैदर अली ने बनाया अपराध : मैसूर के नवाब हैदर अली ने गोकशी को दंडनीय अपराध घोषित किया था। हैदर अली 1761 से 1782 तक मैसूर के सुल्तान रहे। बताया जाता है कि हैदर अली ने भी यह कदम इसीलिए उठाया था ताकि हिंदुओं की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचे।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या-क्या कहा? : – गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए
- गोरक्षा को हिंदुओं का मूल अधिकार बनाया जाना चाहिए
- गाय की रक्षा और उसे बढ़ावा देना किसी मजहब से नहीं जुड़ा है
- गाय तो भारत की संस्कृति है और संस्कृति की रक्षा करना देश के हर नागरिक का फर्ज है चाहे उनका मजहब कुछ भी हो
- हम जानते हैं कि जब किसी देश की संस्कृति और उसकी आस्था को चोट पहुंचती है तो वह देश कमजोर हो जाता है
- बीफ खाने का अधिकार कभी भी मूल अधिकार नहीं हो सकता
- कोर्ट ने कहा कि देश तभी सुरक्षित रहेगा जब गायों की सुरक्षा होगी और तभी देश आगे बढ़ेगा
- सिर्फ हिंदू गाय की अहमियत नहीं समझते, मुस्लिमों ने भी अपने शासन के दौरान भारतीय संस्कृति में गाय की अहमियत को समझा
- 5 मुस्लिम शासकों के राज में भी गोकशी प्रतिबंधित थी। बाबर, हुमायूं और अकबर ने अपने त्योहारों में गाय की कुर्बानी पर प्रतिबंध लगाया था
- मैसूर के नवाब हैदर अली ने गोकशी को दंडनीय अपराध घोषित किया था