अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह खुद को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके हैं। सालेह ने मंगलवार को ट्वीट करते हुए कहा कि तालिबानी लड़ाके उत्तरी बघलान की अंदराब घाटी में खाना और ईंधन नहीं जाने दे रहे हैं। सालेह फिलहाल पंजशीर घाटी में हैं जहां तालिबान का कब्जा नहीं है। नॉर्दर्न अलांयस ने उन्हें यहां शरण दी है और घाटी की सुरक्षा का प्रण लिया है।
ईंधन-खाना नहीं पहुंचने से हालात गंभीर : अपने ट्वीट में सालेह ने तालिबान पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, ‘बीते दो दिनों में आतंकी समूह के लड़ाकों ने बच्चों और बुजुर्गों को अगवा कर लिया है। आतंकवादी खुलेआम घूमने और घरों की तलाशी लेने में उनका इस्तेमाल ढाल के तौर पर कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि तालिबानी अंदराब घाटी में खाना और ईंधन जाने नहीं दे रहे हैं। मानवीय हालात बेहद गंभीर हो चुके हैं।
तालिबान शासन को किया खारिज : इंडिया टुडे से बातचीत में सालेह ने कहा, ‘हम तालिबान के शासन को खारिज करते हैं। हम तानाशाही को खारिज करते हैं। हम ताकत के बल पर सत्ता हासिल करने को नकारते हैं। उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ बातचीत जारी है और आतंकी गुट के खिलाफ विरोध बहुत मजबूत है। हम पद या निजी फायदा नहीं चाहते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि अफगान जनता अपने राज्य के चरित्र को निर्धारित करे। हम नहीं चाहते हैं कि अफगानों की व्यक्तिगत पहचान को दबाया जाए।’
अफगानिस्तान से सिर्फ अल्लाह कर सकता है अलग : सालेह ने कहा कि मैं चाहता था कि राष्ट्रपति अशरफ गनी बने रहें लेकिन वह अपने वादों पर खरे नहीं उतरे। इससे पहले सालेह ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा था कि अफगानिस्तान से मेरी आत्मा को सिर्फ अल्लाह ही अलग कर सकता है लेकिन मेरे अवशेष हमेशा यहां की मिट्टी से जुड़े रहेंगे। सालेह फिलहाल पंजशीर घाटी में हैं, जहां तालिबान का कब्जा नहीं है। सालेह नादर्न एलायंस का समर्थन कर रहे हैं जो तालिबान से जंग का ऐलान कर चुका है।