पंजाब कांग्रेस प्रमुख (PCC) के पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफा देते ही कांग्रेस के कुछ नेताओं का मनोबल सातवें आसमान पर है। इनमें खासतौर से वो नेता हैं जिन्हें सियासी गलियारे में जी-23 के नाम से जाना जाता है। कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी उन्हीं नेताओं में शामिल हैं। पंजाब की सियासी पिच पर ये खुलकर बैटिंग करने के लिए उतर पड़े हैं। दोनों नेताओं ने कांग्रेस को आईना दिखाया है।
पंजाब में जब ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस आलाकमान ने सभी निकले दांतों को बैठा लिया है तो मंगलवार को सिद्धू ने बड़ा धमाका किया। उन्होंने अचानक पंजाब कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया। इसने पंजाब की सियासत में हलचल मचा दी। उनके फैसले ने राज्य कांग्रेस को गहरे संकट में डाल दिया। हालांकि, सिद्धू ने कहा कि वो पार्टी नहीं छोड़ेंगे। चरणजीत सिंह चन्नी की ओर से अपने कैबिनेट सहयोगियों को विभागों के आवंटन की घोषणा के एक घंटे से भी कम समय में सिद्धू ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस्तीफे का ऐलान किया था। वह विभागों के आवंटन और महाधिवक्ता समेत अहम पदों पर नियुक्तियों से नाखुश थे।
फिर बुधवार को सिद्धू ने वीडियो क्लिप जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक सच के लिए लड़ेंगे। यह लड़ाई उन सिद्धांतों के लिए है जिनसे वह समझौता नहीं करेंगे। सिद्धू ने दो-टूक कहा, ‘यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं बल्कि सिद्धांतों की लड़ाई है। मैं सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा।’ यह वीडियो संदेश पंजाबी में था। सिद्धू ने कहा कि उनका एकमात्र धर्म लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है। उन्होंने कहा, ‘मैं आलाकमान से कुछ नहीं छिपा सकता और न ही उन्हें छिपाने दे सकता हूं। मेरी किसी से कोई व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता नहीं है। मेरे 17 साल के राजनीतिक करियर का मकसद बदलाव लाना, स्टैंड लेना और लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है। यही मेरा एकमात्र धर्म है।’ उन्होंने कहा कि वह राज्य में पहली बार अनुसूचित जाति के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में नवगठित राज्य मंत्रिमंडल में दागी मंत्रियों को वापस लाए जाने को स्वीकार नहीं करेंगे।
फोकस में लौटे सिब्बल : पंजाब के इस घमासान के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल पूरे फॉर्म में लौटे दिखाई दिए। सिब्बल ने पार्टी की पंजाब इकाई में मचे घमासान और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को लेकर बुधवार को पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए। कहा कि कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक बुलाकर इस स्थिति पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कई नेताओं के पार्टी छोड़ने का भी उल्लेख किया। इशारों में गांधी परिवार पर तंज भी किया। बोले कि जो लोग इनके खासमखास थे वो छोड़कर चले गए, लेकिन जिन्हें वे खासमखास नहीं मानते वो आज भी इनके साथ खड़े हैं।
सिब्बल ने कहा कि सीमावर्ती राज्य में ऐसी कोई भी स्थिति नहीं होनी चाहिए जिसका पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और सीमापार के दूसरे तत्व फायदा उठा सकें। उन्होंने कहा कि एक सीमावर्ती राज्य (पंजाब) जहां कांग्रेस पार्टी के साथ ऐसा हो रहा है, इसका क्या मतलब है? इससे ISI और पाकिस्तान को फायदा है। कांग्रेस को सुनिश्चित करना चाहिए कि वह एकजुट रहे। अगर किसी को दिक्कत है तो वह पार्टी के वरिष्ठ नेता से चर्चा करें।
सिब्बल ने प्रेस वार्ता में कहा, ‘मैं निजी तौर पर बात कर रहा रहा हूं। उन साथियों की तरफ से बोल रहा हूं जिन्होंने पिछले साल अगस्त में पत्र लिखा था। हम अपने नेतृत्व की ओर से अध्यक्ष का चुनाव, सीडब्ल्यूसी और केंद्रीय चुनाव समिति के चुनाव कराने से जुड़े कदम उठाए जाने का इंतजार कर रहे हैं।’ सिब्बल बोले, ‘मैं भारी मन से आप लोगों से बात कर रहा हूं। मैं एक ऐसी पार्टी से जुड़ा हूं जिसकी ऐतिहासिक विरासत है और जिसने देश को आजादी दिलाई। मैं अपनी पार्टी को उस स्थिति में नहीं देख सकता जिस स्थिति में पार्टी आज है।’
कांग्रेस नेता ने कहा कि देश बड़े संकट का सामना कर रहा है। चीन घुसपैठ कर रहा है। तालिबान के अफगानिस्तान में आने से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हुआ है। करोड़ों लोग गरीबी से घिरे हैं। ऐसे हालात में कांग्रेस इस स्थिति में है, यह दुखद है। यह ऐसा समय है कि हमें इस सरकार के खिलाफ मिलकर लड़ना चाहिए।
क्यों पार्टी छोड़ रहे नेता? : सिब्बल ने कहा कि हमारे लोग हमें छोड़कर जा रहे हैं। सुष्मिता (देव) चली गईं और गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री (लुईजिन्हो) फालेरयो भी चले गए। जितिन प्रसाद चले गए, (ज्योतिरादित्य) सिंधिया चले गए, ललितेश त्रिपाठी चले गए, अभिजीत मुखर्जी भी चले गए। कई अन्य नेता चले गए। सवाल उठता है कि ये लोग क्यों जा रहे हैं? हमें यह खुद सोचना होगा कि शायद हमारी भी कोई गलती रही होगी। उन्होंने कहा, ‘इस समय हमारे यहां अध्यक्ष नहीं है। हम जानते भी हैं और नहीं भी जानते हैं कि फैसले कौन कर रहा है।’
सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की तत्काल बैठक बुलाने को कहा है।
मनीष तिवारी ने भी उठाए सवाल : पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने भी पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के सुर में सुर मिलाते हुए सिद्धू की मंशा पर सवाल उठा दिया है। उन्होंने कहा कि सिद्धू के इस्तीफे के बाद इस सीमावर्ती प्रांत में जैसी राजनीतिक अस्थिरता पैदा हुई है, उससे सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान और उसके यहां पल रहे आतंकी संगठन ही खुश होंगे।
मनीष तिवारी उस वक्त भी हमला करने से नहीं चूके थे जब सिद्धू के दो सलाहकारों ने विवादित टिप्पणी की थीं। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से इस पर आत्ममंथन करने का आग्रह किया था। साथ ही पूछा था कि क्या ऐसे लोगों को पार्टी में होना चाहिए जो जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते और जिनका रुझान पाकिस्तान समर्थक है। उन्होंने सिद्धू के दो सलाहकारों प्यारे लाल गर्ग और मलविंदर सिंह माली की टिप्पणियों को लेकर यह बयान दिया था।
पंजाब कांग्रेस में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच आंतरिक कलह चरम पर थी तब भी उन्होंने एक ट्वीट के जरिये आलाकमान पर निशाना साधा था। सिद्धू के ‘ईंट से ईंट बजा देने वाले बयान’ का वीडियो पोस्ट करते हुए तिवारी ने उन पर तंज कसा था। तब उन्होंने लिखा था, ‘हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती’। यह शेर अकबर इलाहाबादी का है।
सिद्धू के इस्तीफे पर पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तत्काल ट्वीट किया, ‘मैंने पहले ही बताया था… वह एक अस्थिर व्यक्ति हैं और पंजाब जैसे बॉर्डर वाले राज्य के लिए ठीक नहीं है।’ अमरिंदर ने सीएम पद से इस्तीफे के तुरंत बाद भी सिद्धू पर जमकर हमला किया था। उन्हें पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और जनरल बाजवा का दोस्त बताया था।
लखनऊ संसदीय सीट से राजनाथ के खिलाफ कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े आचार्य प्रमोद ने भी सिद्धू पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, ‘पंजाब में पार्टी की साख दांव पर लगी है, ऐसे में सिद्धू का इस्तीफा। पार्टी हाईकमान के विश्वास के साथ एक बड़ा धोखा है।’
कौन हैं जी-23 के नेता? :: पिछले साल अगस्त के पहले हफ्ते में ही कांग्रेस के 23 सीनियर नेताओं ने पार्टी की कार्यशैली, संस्कृति व हाइकमान को लेकर सवाल उठाते हुए एक चिठ्ठी लिखी थी, जिनमें आजाद, सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, भूपेंद्र हुड्डा, पृक्वीराज चव्हाण और लवली जैसे नेता शामिल थे।
खेमे में बंटी कांग्रेस? : वहीं, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के समर्थन वाले नेताओं ने सिब्बल पर हमला किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने सिब्बल का नाम लिए बगैर कहा – याद रखना चाहिए, कितनी हैसियत थी और गांधी परिवार ने क्या दिया। सांसद बनाने के लिए क्या क्या हथकंडे अपनाने पड़े। जितनी योग्यता थी उससे बढ़ कर उन्हें गांधी परिवार ने दिया है। उनकी नैतिक हैसियत नहीं कि वो आला कमान पर उंगली उठाएं। वो याद रखें कि नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब का पार्टी अध्यक्ष कैसे बनाया गया था। अश्विनी कुमार एक निजी चैनल के साथ बातचीत कर रहे थे।
वरिष्ठ नेता अजय माकन ने भी सिब्बल पर प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने यह सुनिश्चित किया था कि संगठनात्मक पृष्ठभूमि न होने के बावजूद कपिल सिब्बल केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री बनें। पार्टी में सभी की बात सुनी जा रही है। सिब्बल और अन्य लोगों को बताना चाहते हैं कि उन्हें उस संगठन को नीचा नहीं दिखाना चाहिए जिसने उन्हें एक पहचान दी।