अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने बुधवार को उन देशों को चेतावनी भेजी है जो रूस के साथ वित्तीय संबंध तोड़ने या यूक्रेन में युद्ध के कारण लगाए गए प्रतिबंधों को कमजोर करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। सीएनएन के मुताबिक, येलेन ने अटलांटिक काउंसिल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘जबकि कई देशों ने रूस के कार्यों के खिलाफ एक एकीकृत स्टैंड लिया है और कई कंपनियों ने रूस के साथ व्यापार संबंधों को जल्दी और स्वेच्छा से तोड़ दिया है, कुछ देशों और कंपनियों ने मगर ऐसा नहीं किया है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं अब उन देशों से कुछ कहना चाहती हूं जो इस समय बाड़ पर बैठे हैं, शायद रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने और दूसरों द्वारा छोड़े गए शून्य को वापस भरने का अवसर देख रहे हैं। इस तरह की प्रेरणा अदूरदर्शी है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि येलेन ने किसी विशिष्ट देश का नाम नहीं लिया, लेकिन चीन और भारत सहित कुछ राष्ट्र रूस से पीछे हटने की जल्दी में नहीं हैं, क्योंकि उन्हें बड़ी मात्रा में ऊर्जा आयात करने की जरूरत है।
यूएनएससी में दिखी भारत और रूस की दोस्ती : येलेन ने कहा, ‘आइए, स्पष्ट हो जाएं। प्रतिबंध लगाने वाले देशों का एकीकृत गठबंधन उन कार्यों के प्रति उदासीन नहीं रहेगा, जो हमारे द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को कमजोर करते हैं।’ भारत ने अभी तक रूस का नाम लेकर इस युद्ध की आलोचना नहीं की है। यूएनएससी में वोट के मामले में भारत-रूस की पुरानी दोस्ती की झलक हम देख चुके हैं। भारत के इस रुख से पश्चिमी देश खफा हैं लेकिन मॉस्को खुश है।
भारत ने अपनाया तटस्थ रुख : यूएनएससी में वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहने पर पश्चिमी देशों ने भारत की आलोचना की है। दूसरी ओर क्रेमलिन ने भारत के ‘स्वतंत्र और तटस्थ’ रुख की प्रशंसा की है। दुनिया के ज्यादातर देश रूस के खिलाफ हैं और मॉस्को का साथ देने वाले देश को भी ‘बदली हुई’ नजर से देख रहे हैं। ऐसे समय में भी भारत तटस्थ बना हुआ है।