म्यांमार में ईरानी सेना के शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी को लेकर नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। दावा किया जा रहा है कि हाल के दिनों में कई ईरानी सैन्य विमान म्यांमार में उतरे हैं। इन विमानों में ईरान के शीर्ष अधिकारी और सेना के जनरल सवार थे। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि म्यांमार की सेना अपने ऊपर अंतराष्ट्रीय प्रतिबंधों के लगने के बाद ईरानी सेना से संबंधों को मजबूत कर रही है। ऐसे में म्यांमार को संवेदनशील ईरानी हथियारों की बिक्री का भी संदेह जताया जा रहा है।
तख्तापलट के बाद तीन बार म्यांमार का दौरा कर चुका ईरान : एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक ईरानी प्रतिनिधिमंडल 13 जनवरी को म्यांमार पहुंचा था। म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद यह ईरानी अधिकारियों का दूसरा या तीसरा दौरा है। ईरान पर पहले भी कई दमनकारी सरकारों के साथ-साथ आतंकवादी, उग्रवादी गुटों को हथियार देने के आरोप लगते रहे हैं। इसमें सीरिया में सक्रिय मिलिशिया और यमन के हूती विद्रोही भी शामिल हैं।
ईरान और म्यांमार के घोषित रूप से कोई सैन्य संबंध नहीं है। म्यांमार की सेना आज भी अपने हथियारों के लिए रूस या भारत पर निर्भर रहती है। हालांकि, पिछले कुछ समय से म्यांमार की सेना की चीन से नजदीकियां काफी बढ़ी है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन ने म्यांमार की सेना को पनडुब्बी समेत कई आधुनिक हथियार दिए हैं। ऐसे में म्यांमार के सैन्य शासन और चीन की दोस्ती काफी मजबूत हो रही है।
म्यांमार का सार्वजनिक रूप से विरोध कर चुका है ईरान : ईरान ने कई मौकों पर म्यांमार की सरकार और सेना की आलोचना भी की है। 2017 में ईरानी संसद के उप प्रमुख ने जातीय अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार की सैन्य हिंसा को रोकने के लिए मुस्लिम देशों से एक संयुक्त सैन्य बलों के निर्माण का आह्वान किया था। इन अत्याचारों से तंग आकर लाखों की संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश और भारत पहुंचे थे। संयुक्त राष्ट्र ने इसकी तुलना नरसंहार से की थी।
फ्लाइट ट्रैकिंग से सामने आया सच : फ्लाइटराडार 24 के आंकड़ों के अनुसार, ईरानी कार्गो एयरलाइन केशम फारस एयर के स्वामित्व वाले एक विमान ने पिछले गुरुवार को ईरान के दूसरे सबसे बड़े शहर मशहद से म्यांमार के लिए उड़ान भरी थी। फ्लाइट ट्रैकर डेटा से पता चला कि यह विमान अगले दिन वापस म्यांमार से ईरान लौट गया। म्यांमार के सैन्य विरोधियों के संगठन नेशनल यूनिटी गवर्मेंट ऑफ म्यांमार के विदेश मंत्री जिन मार आंग ने कहा कि यह दूसरी बार है जब हमने ईरान की फ्लाइट्स को म्यांमार में देखा है। समझा जाता है कि ईरान ने म्यांमार को मिलिट्री कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी दी है।