ब्रिटेन में लाखों लोग कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट से असुरक्षित और संक्रमण के खतरे के बीच सांस ले रहे हैं। बड़ी संख्या में लोगों के बीच बूस्टर डोज लगवाने की होड़ लगी हुई है, वहीं विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि एनएचएस बुकिंग साइट पर गड़बड़ी के चलते क्रिसमस तक कई लोग वैक्सीन नहीं लगवा पाएंगे। वैक्सीन को लेकर एक जांच ने टेंशन बढ़ा दी है जिसमें एस्ट्राजेनेका वैक्सीन, जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जा रहा है, कुछ महीनों बाद ओमीक्रोन के खिलाफ अप्रभावी पाई गई। हालांकि राहत की बात यह है कि वैक्सीन की तीसरी खुराक यानी बूस्टर डोज नए वेरिएंट के खिलाफ 76 फीसदी तक कारगर साबित हुआ है।
ओमीक्रोन ब्रिटेन में तेजी से पैर पसार रहा है और अगले दो हफ्तों में इसका और भी ज्यादा भयानक रूप देखने को मिल सकता है। ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इस महीने के आखिर तक संक्रमण के मामले 10 लाख तक पहुंच सकते हैं। राहत की बात है कि वैक्सीन की बूस्टर डोज ने ओमीक्रोन के खिलाफ प्रभाविकता दिखाई है लेकिन लाखों लोग जिन्हें अभी भी तीसरी डोज नहीं लगी है, संक्रमण के खतरे के बीच मौजूद हैं। वैक्सीन को लेकर सरकारी वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन में ओमीक्रोन के 581 मामलों की तुलना डेल्टा के 56,000 मामलों से की, ताकि शुरुआती अनुमान लगाया जा सके कि नए वेरिएंट के खिलाफ टीके कितनी अच्छी तरह रक्षा करते हैं।
कुछ महीनों बाद ‘शून्य’ हुई वैक्सीन की प्रभाविकता : उन्होंने पाया कि ज्यादातर बुजुर्गों, जिन्हें कई महीने पहले एस्ट्राजेनेका की दो खुराकें दी गई थीं, में ओमीक्रोन के खिलाफ लगभग कोई सुरक्षा नहीं पाई गई। वहीं दो फाइजर खुराकों ने 30 फीसदी से थोड़ी ज्यादा सुरक्षा दिखाई। लेकिन तीसरी खुराक के रूप में फाइजर का इस्तेमाल करने पर मूलतः एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने वालों में 71 फीसदी और फाइजर वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों में 76 फीसदी की सुरक्षा पाई गई।
विशेषज्ञों ने की बूस्टर डोज लगवाने की अपील : ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड- एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का इस्तेमाल भारत के टीकाकरण अभियान में कोविशील्ड नाम से हो रहा है, जिसका निर्माण भारत में ही हुआ है। विशेषज्ञ लोगों से बूस्टर डोज लगवाने की अपील कर रहे हैं। ब्रिटेन में हर तीन दिनों में ओमीक्रोन के मामले दोगुने हो रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकारी आगामी क्रिसमस को लेकर चिंता में हैं जब बड़ी संख्या में लोग जश्न मनाने के लिए सड़कों पर निकलते हैं। लोगों से संक्रमण से बचने के लिए टेस्टिंग कराने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की गई है।