प्रयागराज स्थित मठ बाघमबारी गद्दी के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का शव सोमवार को उनके बेडरूम में पंखे से लटकता मिला। पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है। कमरे से 7 पेज का एक हाथ से लिखा सूइसाइड नोट भी मिला है। जिसमें शिष्यों पर कई आरोप लगाए गए हैं। इनमें प्रमुख शिष्य आनंद गिरी का भी नाम है। सूइसाइड नोट में मठ की संपत्ति को लेकर विवाद और आरोपों को कारण बताया गया है।
कहा गया है कि, शिष्यों ने उन पर दबाव बनाया और उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जिससे वे दुखी थे। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव और सूइसाइड नोट को अपने कब्जे में ले लिया है। यूपी के एडीजी ने बताया कि शिष्य आनंद गिरि को हिरासत में ले लिया गया है। शव का पोस्टमार्टम अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों की सहमति के बाद कराया जाएगा।
दरवाजा नहीं खुला तो शिष्यों ने पुलिस को किया फोन : आईजी के पी सिंह ने सोमवार को जानकारी दी, ‘शाम लगभग 5:25 पर उन्हें महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य बबलू से फोन पर सूचना मिली कि उन्होंने फांसी लगा ली है। गिरी दोपहर में भोजन के बाद कुछ देर आराम करते थे। जब काफी समय बीतने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो शिष्यों ने पहले फोन किया।
पंखे से रस्सी के सहारे झूलता मिला महंत का शव : फोन नहीं उठने के बाद उन्होंने दरवाजा तोड़ा तो उन्हें घटना की जानकारी हुई। महंत का शव उनके कमरे में पंखे से रस्सी के सहारे झूलता मिला। सूचना के बाद मौके पर पहुंचे अधिकारियों की मौजूदगी में पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया। फरेंसिक टीम ने कमरे में मौजूद 7 पेज के सूइसाइड नोट की जांच की और उसे भी कब्जे में ले लिया है। सूइसाइड नोट हाथ से लिखा गया है।
मार्मिक तरीके से लिखा गयासूइसाइड नोट : आईजी ने बताया कि सूइसाइड नोट में महंत ने मठ की संपत्ति को लेकर विवाद के चलते अपनी छवि धूमिल होने को घटना का कारण बताया है। यह नोट बहुत मार्मिक तरीके से लिखा गया है। उसमें लिखा गया है कि, उन्होंने अपने सम्मान को लेकर कभी समझौता नहीं किया।
सूइसाइड नोट में शिष्य आनंद गिरि का भी नाम : मठ को आगे बढ़ाने में उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा दी और मठ की संपत्ति को बचाने और उसे बढ़ाने में अपना जीवन लगा दिया। लेकिन इसके बावजूद उनके ऊपर इल्जाम लगाए गए। पत्र में प्रमुख शिष्य आनंद गिरि का भी नाम है।
अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे नरेंद्र गिरी : आनंद गिरि को कुछ दिन पहले ही नरेंद्र गिरी ने मठ से बाहर कर दिया था। हालांकि बाद में अखाड़ा परिषद की मध्यस्थता के बाद उन्हें वापस मठ में ले लिया गया। नरेंद्र गिरी और आनंद गिरि दोनों ही निरंजनी अखाड़े से जुड़े रहे हैं। नरेंद्र गिरी अपने बयानों को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं। विवादित संतो को फर्जी संत घोषित करने का मामला रहा हो या संतों की हत्या और उत्पीड़न का मामला। ऐसे मामलों में वह हमेशा मुखर रहे।
अयोध्या के संतों ने कहा, मौत की हो उच्च स्तरीय जांच : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए अयोध्या के संतों ने कहा कि वे आत्महत्या नहीं कर सकते। संतों ने कहा उनकी मौत को उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। मंदिर आंदोलन से जुड़े डॉ. राम विलास वेदांती ने महंत नरेंद्र गिरी की मौत के पीछे साजिश की आशंका जताई है। उन्होंने कहा वे आत्महत्या कर ही नहीं सकते। मंदिर आंदोलन में वे हमारे साथ थे। इसके पीछे भारी साजिश हो सकती है।
देश ने एक शीर्ष संत को दिया है-महंत कन्हैया दास : अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा कि जांच होनी चाहिए कि किन परिस्थितियों में उन्होंने आत्महत्या की। देश ने एक शीर्ष संत को दिया है। उन्होंने कहा कि संत समाज में घुसपैठ करने वाले अराजक तत्वों के खिलाफ, उन्होंने अभियान शुरू कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया था।
बेहद गंभीर मामला है-महंत कमल नयन दास : मणिराम छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने भी महंत नरेंद्र गिरी की मौत को संदिग्ध मानते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार मे शीर्ष संत आत्म हत्या कर लें यह गंभीर मामला है।