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September 19, 2024
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प्रेग्‍नेंसी में भी आ सकता है हार्ट अटैक, कुछ आसान तरीके इस जानलेवा बीमारी को कर सकते हैं दूर

दुनिया भर के विशेषज्ञ इस अवधि को शरीर में होने वाला ‘नैचुरल स्ट्रेस टेस्ट’ (natural stress test) मानते हैं। इस दौरान होने वाले बदलावों में सबसे महत्वपूर्ण है अत्यधिक रक्त का प्रवाह। यह ब्लड फ्लो मां के हार्ट पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे अक्सर ब्लड प्रेशर या ब्लड शुगर बढ़ने का डर हटा है।
​डिलीवरी में दिक्‍कत : ये बहुत सामान्य बदलाव हैं, जो भ्रूण को पोषण प्रदान करते हैं। कुछ मामलों में डिलीवरी के बाद महिलाओं को यह दिक्कतें होनी बंद हो जाती हैं।
किंतु बहुत तेजी से महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान हृदय संबंधी रोग और मधुमेह होने की संभावनाएं बढ़ने लगी हैं।
यदि इन्हें समय रहते नियंत्रित नही किया गया, तो इससे गर्भ में पल रहा बच्चा भी प्रभावित हो सकता है। गर्भावस्था में हृदय रोग और मधुमेह से ग्रस्त मां को हार्ट अटैक होने का डर रहता है।
​प्रेग्‍नेंसी में हार्ट अटैक के लक्षण
इस स्थिति के निम्नलिखित लक्षण हैं –
हार्ट रेट का बढ़ना
सांस लेने में तकलीफ होना
सीने में दर्द
थकान
चक्कर आना
इससे बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए। ताकि मा और बच्चा स्वस्थ रहे और प्रसव के समय शिशु में किसी प्रकार का जन्मदोष न हो। ध्यान रहे कि इस समय आपको एक्टिव रहना है, लेकिन थकना नहीं है। इसके लिए मां को संतुलित भोजन के साथ नियमित व्यायाम भी करते रहना चाहिए।
​डाइट और न्यूट्रिशन है इलाज : नॉन वेज और सी फूड में भरपूर मात्रा में जिंक पाया जाता है। वेजिटेरियन या वीगन डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें, जिसमें भरपूर मात्रा में जिंक पाया जाता हो।
चूंकि, जिंक और प्रोटीन सबसे अधिक नॉनवेज में ही पाया जाता है, इसलिए वेजिटेरियन माओं को ज्यादा से ज्यादा छोले, दाल और बीन्स जैसे फलियां, बीज और नट्स का सेवन करना चाहिए। यह सभी जिंक के बेहतरीन वैकल्पिक स्रोत हैं।
गर्भावस्था के दौरान आयरन अति आवश्यक है। यह मां और भ्रूण में एनीमिया की कमी को रोकता है। मांस, मुर्गी पालन, मछली, फलियां और पत्तेदार हरी सब्जियां आयरन से भरपूर होती हैं और इन्हें प्रेग्नेंसी से पहले के आहार में शामिल किया जाना चाहिए।
​फोलिक एसिड और विटामिन : एक गर्भवती महिला को प्रतिदिन 400 माइक्रोग्राम (0.4 मिलीग्राम) फोलिक एसिड की आवश्यकता होती है। अंडे, नट्स, बीन्स, खट्टे फल, पत्तेदार सब्जियां, फोर्टिफाइड ब्रेकफास्ट सीरियल्स और विशिष्ट विटामिन सप्लीमेंट्स में फोलिक प्रचूर मात्रा में पाया जाता है।
यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से संबंधित जन्म दोषों के जोखिम को काम करता है। गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में फोलिक एसिड अत्यंत आवश्यक है। इसके अभाव से शिशु में न्यूरल ट्यूब दोष के जोखिम होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
विटामिन बी भ्रूण के मस्तिष्क और शरीर के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक हैं। ये आठ अलग-अलग तरह विटामिन हैं, जो शरीर को कई तरह से स्वस्थ रखते हैं। यह बच्चे के शारीरिक विकास में वृद्धि करता है। साथ ही यह शिशु के ऑर्गन, स्किन, तंत्रिकाओं और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
यह शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। शरीर में कार्बोहाइड्रेट को कम करके लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है और शिशु में जन्म दोषों को कम करता है। साबुत अनाज, हरी सब्जियां, चिकन, अंडे की जर्दी, दूध और मछली जैसे खाद्य पदार्थ बी विटामिन के अच्छे स्रोत माने जाते हैं।
​एक्सरसाइज : एक नॉर्मल प्रेग्नेंसी में मां को एक्सरसाइज करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ताकि नॉर्मल डिलीवरी हो सके। इससे गर्भपात, जन्म के समय कम वजन या समय से पहले प्रसव का खतरा नहीं रहता है।
इसके बावजूद गर्भवती महिला को किसी भी तरह का व्यायाम या योग करने से पहले गायनी से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। इस समय व्यायाम बहुत जरूरी है, क्योंकि, यह माँ और बच्चे दोनों को निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है:
कमर दर्द कम करता है।
कब्ज दूर करता है।
गर्भावधि मधुमेह, प्रीक्लेम्पसिया और सिजेरियन डिलीवरी के जोखिम को कम कर सकता है।
गर्भावस्था के दौरान वजन को संतुलित रखता है।
शरीर को एक्टिव रखता है और हृदय और रक्त वाहिकाओं को मजबूत करता है।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज और योग : गर्भवती महिला को हर हफ्ते लगभग 150 मिनट कम से मध्यम गति में एरोबिक करना चाहिए। इस समय माओं को निम्नलिखित व्यायाम करने चाहिए-
ब्रीदिंग एक्सरसाइज और योग ब्लड सर्कुलेशन और मानसिक विश्राम के लिए काफी अच्छा रहेगा।
स्विमिंग से हृदय संबंधी लाभ भी मिलेंगे और हाथ और पैर की मांसपेशियां ढीली होंगी।
ब्रिस्क वॉकिंग भी होगी फायदेमंद
गर्भवती महिलाओं के लिए पेल्विक व्यायाम अतिसक्रिय मूत्राशय को नियंत्रित करने में मदद करेगा।

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