भोपाल कोलार रोड स्थित जे.के. अस्पताल में 14 वर्ष की बालिका जिसको टॉफ विथ पल्मोनरी ऐट्रिसिया की बीमारी थी। डॉ. आनंद यादव विभाग अध्यक्ष शल्य चिकित्सा ने बताया कि इस तरह के मरीज में आमतौर पर आरवीओटी कन्डियुट की आवश्यकता होती है जिसकी कीमत बहुत अधिक होती है रुपए लगभग 1.5 लाख के करीब होती है। राष्ट्रीय योजनाओं के तहत इस आपरेशन को करने में कन्डियुट की कीमत आडे आती है इसका हल निकालते हुए जे.के. अस्पताल की टीम ने स्वयं का पीटीएफई कन्डियुट का निर्माण किया और मरीज के हद्य में प्रत्यारोपित किया। इसका निर्माण डॉ. समीर चौहान जो नारायण ह्द्य चिकित्सा बैंगलोर से प्रशिक्षण प्राप्त करके आये है।
दूसरा मरीज 17 वर्षीय बालिका थी जो टेट्रोलॉजी आफ फेलोट बीमारी से ग्रसित थी। आपरेशन प्रारंभ करने के पश्चात यह पाया गया की मुख्य कोरोनरी धमनी कुछ इस प्रकार स्थित थी साधारण पद्धति से आपरेशन संभव नही था इसलिए तुरंत फैसला लेकर आन टेबल पर ही इस प्रकार के कन्डियुट का निर्माण किया गया ।
दोनो ही मरीज की सर्जरी पूर्णत: सफल रही जो अपने आप में रिकॉर्ड है। इस प्रकार के कन्डियुट आमतौर पर बोवाईन पेरिकारडियम से बनाये जाते है जिसकी जीवनवधि कम होती है पीटीएफई द्वारा निर्मित कन्डियुट लंबे समय तक कारगर होती है एवं खर्च भी बहुत कम होता है इस जटिलतम सर्जरी के केसों मे निश्चेतना परफयूजन देना अत्यंत दक्षता कार्य होता है। जिसे बहुत कुश्ल रुप से डॉ. आशीष सराव्गीं एवं सहर खान द्वारा किया गया। इसी तरह सभी जन्मजात बाल ह्दय रोग की सर्जरी ह्द्य ईकाई में की जाती है। वरिष्ठ कार्डियोलाजिस्ट डॉ जीसी गौतम एवं डॉ. विवेक त्रिपाठी ने बताया कि जे.के. अस्पताल डिवाइस तकनीकी से जन्मजात ह्द्य रोगों के निदान में सेंट्रल इंडिया के सर्वोच्च संस्थानों में से एक है इस तकनीक में बिना चीर फाड के अच्छे परिणाम मिलते है।
सुश्री रिजवाना खान जो विभाग की मुख्य मैनेजर है उन्होने बताया की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस तरह के मरीजों को ईलाज शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के तहत पूर्णत: निशुल्क रुप से किया जा रहा है और जे.के. अस्पताल में मध्यप्रदेश के लगत्रग 20 जिलो से सैकडों मरीज अब तक लाभान्वित हो चुके है।