जापान में मौजूद अमेरिकी सेना अपने बेस में कैद हो गई है। अमेरिकी सैनिकों को आपात स्थिति और सुरक्षा कारणों को छोड़कर बेस से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई है। जापान के योकोसुका में अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े का अड्डा भी है। पूर्वी और दक्षिण एशिया में अपनी धमक को बनाए रखने के लिए अमेरिकी मरीन कोर और कोस्ट गार्ड के लगभग 40 हजार नौसैनिक तैनात हैं।
जापान ने अमेरिका के साथ किया समझौता : जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने रविवार को कहा कि कोविड-19 को लेकर बढ़ रही चिंताओं के बीच अमेरिका के साथ एक बुनियादी समझौता हुआ है। इसके तहत अमेरिकी सैनिकों के लिये जापान में स्थित अड्डे को छोड़ने पर पाबंदी रहेगी। किशिदा ने कहा कि अमेरिकी सैनिक अड्डे पर ही रहेंगे। वे केवल बहुत जरूरी होने पर ही अड्डे को छोड़ेगें, जिसका अर्थ है कि आपात स्थिति या सुरक्षा कारणों से ही वे बाहर निकल पाएंगे।
जापानी पीएम बोले- सुरक्षा संधि में कोई बदलाव नहीं : प्रधानमंत्री ने फुजी टीवी पर कहा कि समझौते के विवरण पर अभी काम किया जा रहा है और अमेरिका के साथ संपूर्ण सुरक्षा समझौते में कोई बदलाव नहीं होगा।जापान ने पिछले हफ्ते अमेरिका से अपने सैन्य कर्मियों को अड्डे पर ही रखने के लिए सहयोग मांगा था।
जापान में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े : जापान में हाल में कोविड-19 के नए मामलों में तेज वृद्धि देखी गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे छठी लहर करार दिया है। शनिवार को चार महीने बाद संक्रमण के सबसे अधिक आठ हजार से ज्यादा मामले सामने आए। मामलों में वृद्धि का एक कारण अमेरिका सेना को भी बताया जा रहा है, क्योंकि ज्यादातर नए मामले उसके सैन्य अड्डे के आसपास से सामने आ रहे हैं।
जापान के रक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका पर : अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु हमले के बाद जापान की रक्षा का समझौता किया था। 8 सितंबर 1951 को जापान और अमेरिका के बीच संधि पर हस्ताक्षर किया गया था। इसे सेनफ्रांसिस्को संधि के नाम से भी जाना जाता है। इस संधि में 5 अनुच्छेदों का उल्लेख किया गया है। इसमें अमेरिका को जापान में अपनी नौसेना का बेस बनाने का अधिकार भी शामिल है। इसमें जापान के ऊपर किया हमला अमेरिका पर हमला माना जाएगा और अमेरिकी सेना जापान की रक्षा करेगी।