17.3 C
Madhya Pradesh
November 22, 2024
Pradesh Samwad
खेल

कागज़ के शेर धराशायी

भारतीय टीम जब दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर रवाना हुई थी तो क्रिकेट प्रेमी आशा तो लगा रहे थे परन्तु शतप्रतिशत आश्वस्त नहीं थे कि भारतीय टीम 29 साल के सूखे को खत्म कर दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट श्रृंखला जीत कर स्वदेश लौटेगी। यक्ष प्रश्न यही है कि भारतीय टीम का बल्लेबाजी क्रम ताश के पत्तों की तरह क्यों उड़ रहा है। विश्वकप 2019 के बाद से भारतीय टीम की तमाम श्रृंखलायें यदि देखें तो बल्लेबाजों का प्रदर्शन औसत ही रहा है। यह सही है कि इस बीच आस्ट्रेलिया में एतिहासिक जीत भी मिली, मगर बल्लेबाजों के प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव था। कभी मजबूत सा दिखता स्कोर मानो 100/0 फिर अचानक जैसे तूफान आता है और भारतीय बल्लेबाजांे को 200-225 तक समेट कर चला जाता है। कभी ऋषभ पंत तो कभी के.एल. राहुल ने अच्छी पारी खेली तो जोहान्सबर्ग टेस्ट की दूसरी पारी में रहाणे व पुजारा ने अर्द्धशतक लगाये जरूर मगर छह पारियों में आये किसी एकल प्रदर्शन से या एकाध पारी से टेस्ट मैच तो नहीं जीते जाते। मजबूत दिखते रिकार्ड, पुरानी सफलतायें जैसे अतीत की बात हो चुकी है और बड़े बड़े नाम जैसे कागजी शेर होकर धराशाई होते चले गये। पहले टेस्ट में भारत जीता तो राहुल के शतक के साथ मयंक व कोहली के रन भी थे और भारत 327 अर्थात 300 के पार जाने में सफल रहा था। लेकिन दूसरे व तीसरे टेस्ट में भारतीय टीम 202, 266, 223 व 198 का स्कोर ही बना सकी। ऋषभ पंत की केपटाउन की साहसिक शतकीय पारी जरूर आई परन्तु उसके पहले पूरी सीरिज में उनका प्रदर्शन एक परिपक्व बल्लेबाज की तरह नहीं था। जोहांसबर्ग हो या केपटाउन, भारतीय ओपनर्स भी फ्लाप हुये तो मध्यक्रम में पुजारा, रहाणे, भी अपेक्षानुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके। छह बल्लेबाज लेकर खेल रही टीम के चार बल्लेबाज दहाई में भी नहीं पहुॅंच पा रहे हों तो ऐसी टीम का दक्षिण अफ्रीका में श्रृंखला जीत पाना किसी दिवास्वप्न जैसा ही प्रतीत हुआ है।
भारतीय गेंदबाजों ने किला जरूर लड़ाया, जोहांसबर्ग हो या केपटाउन, गेंदबाजों ने टीम को वापस मैच में खड़ा भी कर दिया परन्तु लचर बल्लेबाजी या बल्लेबाजों के टीम की तरह न खेलने का खामियाजा भारतीय टीम को पराजय के रूप में उठाना पड़ा। इस पराजय में टीम मैनेजमेंट भी उतना ही दोषी है जिसने फ्लाप पुजारा व रहाणे को लगातार खिलाया व श्रेयस अय्यर को बाहर बिठाया। रविचंद्रन अश्विन भारतीय विकेटों पर विश्वस्तरीय होते हैं परन्तु ैम्छ। देशों में वह औसत गेंदबाज बनकर दिखाई देते हैं। जब पूरी सीरिज में इनका गेंदबाज के रूप में ज्यादा उपयोग नहीं किया गया तो इनकी जगह एक अतिरिक्त बल्लेबाज को खिलाकर बल्लेबाजी मजबूत नहीं करना भी हार का एक कारण रहा।
लेकिन इस सब से दक्षिण अफ्रीकी टीम को श्रेय न दिया जाये तो उचित नहीं होगा। वस्तुतः यह सीरिज एल्गर, पीटरसन, बवूमा और डुसे ने जीती है। पूरी सीरिज में एल्गर दो बार जल्दी आउट जरूर हुये मगर जोहांसबर्ग और केपटाउन में उनकी पारियां और साझेदारियों से अफ्रीका भारत से आगे ही रहा। मध्यक्रम में पीटरसन और बवूमा ने प्रायः हर पारी में अच्छी बल्लेबाजी की और भारतीय गेंदबाजों को परेशान ही करते रहे, पीटरसन आउट होने से पहले अफ्रीका श्रृंखला जीतने की स्थिति में लाकर खड़ा कर चुके थे और बवूमा अफ्रीकी टीम के फिनिशर के रूप में टीम को जिता कर ले गये। मुझे पूर्व अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोनिये का वो बयान याद है कि भारतीय टीम बल्लेबाज फं्रटफुट पर बहुत अच्छा खेलते हैं, इसलिये भारतीय बल्लेबाजों को न तो फं्रट फुट पर और न ही बैकफुट पर जाने देंगे। इतने सालों में कुछ भी नहीं बदला है। इसलिये अफ्रीकी गेंदबाजों की भी तारीफ जरूरी है कि पहले टेस्ट की पहली पारी में की गई गल्तियों को उन्होंने पहले ही टेस्ट की दूसरी पारी में सुधार लिया था। बाद के दोनों टेस्ट मैच में भारतीय बल्लेबाजों को चार फिट की क्रीज़ में न पूरा बैकफुट खेलने की आजादी दी और पूरा पैर खोलकर फ्रंट फुट पर भी नहीं खेलने दिया। अब एक दिवसीय क्रिकेट बाकी है उम्मीद है कि भारतीय टीम का चयन सही होगा, दांये और बांये का सम्मिश्रण गेंदबाजी और बल्लेबाजी में रहेगा। एक दिवसीय क्रिकेट के विकेट टेस्ट से अलग होंगे, इसलिये भारतीय टीम से अच्छे प्रदर्शन की अपेक्षा की जा सकती है।

Related posts

अखिल भारतीय लक्ष्मण दास छाबड़ा क्रिकेट टूर्नामेंट आयुष देशेजा का नाबाद शतक

Pradesh Samwad Team

अंतर सम्भागीय एक दिवसीय लीग बालक अंडर 22 वर्षीय क्रिकेट प्रतियोगिता नर्मदापुरम संभाग ने रीवा संभाग को 8 विकेट से हराकर सेमीफाइनल में किया प्रवेश जबकि भोपाल संभाग ने जबलपुर संभाग को 105 रन से हराया

Pradesh Samwad Team

SAI NCOE भोपाल जूडो एथलीटों का 19वीं ISF वर्ल्ड स्कूल जिमनासीड, नॉरमैंडी (फ्रांस) में चयन

Pradesh Samwad Team