अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान को अब भारत की अहमियत समझ आई है। तालिबान प्रवक्ता ने भारत से गुजारिश की है कि वह कम से कम अपने दूतावास के कांसुलर सेक्शन को खोल दे। तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहार बल्खी ने बताया कि अफगानिस्तान की इस्लामिक अमीरात सरकार ने भारत के साथ बातचीत के लिए एक कम्यूनिकेशन चैनल भी खोला है। तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा किए 8 महीने से ज्यादा का समय हो गया, इसके बावजूद अभी तक दुनिया के किसी भी देश ने इस्लामिक अमीरात सरकार को मान्यता नहीं दी है। ऐसे में वैश्विक अलगाव झेल रहा तालिबान अब दुनिया के महत्वपूर्ण देशों के साथ अपने संबंध सुधारने की कोशिश में जुटा है।
भारत से दूतावास के कांसुलर सेक्शन को खोलने की अपील : WION NEWS के साथ बातचीत के दौरान अब्दुल कहार बल्खी ने कहा कि भारत काबुल में अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप कम से कम दूतावास के कांसुलर सेक्शन को खोल सकता है क्योंकि हम एक इंटर-कनेक्टेड दुनिया में रहते हैं। इसमे अफगान के नागरिक भी शामिल हैं, जो चार दशकों से युद्ध से पीड़ित हैं। इन लोगों की शिक्षा, चिकित्सा, व्यवसाय और अन्य जरूरतों को पूरा करने की आवश्यकता है। पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा के बाद भारत ने काबुल में अपने दूतावास को बंद कर दिया था। इसके बावजूद भारत ने मानवीय आधार पर पिछले कुछ महीनों में अफगान लोगों को गेहूं और कोरोना वैक्सीन की कई खेप भेजकर मदद की है।
भारत ने अफगानिस्तान को भेजी गेहूं और वैक्सीन : मॉस्को में रूस की मध्यस्थता में बातचीत के दौरान भारत ने अफगानिस्तान को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं उपलब्ध कराने का वादा किया था। भारत सरकार ने इस वादे को पूरा करने के लिए पाकिस्तान के रास्ते गेहूं की खेप अफगानिस्तान भेजी है। अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गठन के बाद बड़ी संख्या में अफगान छात्र भारत पढ़ने आते थे। इनमें से कई छात्र तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में ही फंस गए। ऐसे में इन छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया। अब तालिबानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कि उन्होंने भारत से अनुरोध किया है कि वे उन्हें अपने पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए लौटने में मदद करने के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करें।
तालिबान बोला- भारत की मदद को याद रखेंगे : भारत के साथ संबंधों के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता अब्दुल कहार बल्खी ने कहा कि हम भारत सहित सभी देशों के साथ पारस्परिक सम्मान और हितों के आधार पर सकारात्मक संबंध चाहते हैं। हमने भारत के साथ बातचीत के लिए एक कम्यूनिकेशन लाइन भी स्थापित की है। और कई मौकों पर हम भारत के प्रतिनिधियों से मिल चुके हैं। हम भारत द्वारा अफगान लोगों को प्रदान की गई मानवीय सहायता की सराहना करते हैं और इसे अफगानिस्तान के प्रति सद्भावना के रूप में देखते हैं। भारत ने गेहूं उपलब्ध कराने की पेशकश की क्योंकि अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण एक चुनौतीपूर्ण सर्दी का सामना करना पड़ा। हम उन लोगों को हमेशा याद रखेंगे जिन्होंने हमारी जरूरत के समय अफगानिस्तान की मदद की।