कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के साथ ही जहां बीजेपी इसे पीएम मोदी का देशहित में किया फैसला बताने में जुट गई है, वहीं विपक्षी पार्टियों को अपनी जीत नजर आ रही है। बीजेपी ने तो कानून वापसी के बाद से थैंक्यू मोदी का कैंपेन शुरू कर दिया है। वह बताने की कोशिश हो रही है कि मोदी जैसे सशक्त नेता ही ऐसा फैसला कर सकते हैं।
अगले साल पांच राज्यों यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव हैं। बीजेपी नेताओं का मानना है कि यह फैसला पंजाब, यूपी के साथ उत्तराखंड में भी गेमचेंजर साबित होगा। हाल में हुए उपचुनावों में बीजेपी को हिमाचल प्रदेश में भारी झटका लगा था। यूपी में भी किसान आंदोलन का असर लगातार बढ़ता जा रहा था। लखीमपुर-खीरी की घटना के बाद से यह मसला और गरमा गया था।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को डर था कि इसका भारी खमियाजा भुगतना पड़ सकता है, जबकि पिछले चुनावों में बीजेपी की जीत में पश्चिमी यूपी का बड़ा योगदान था। गुरुवार को बीजेपी ने जो रणनीति बनाई उसमें पश्चिमी यूपी में बूथ कॉन्फ्रेंस की जिम्मेदारी अमित शाह को दी गई। बीजेपी को अब उम्मीद है कि चुनाव में विपक्ष जिस मसले को गरमाने की कोशिश कर रहा था, उसकी हवा निकल गई।
पार्टी को पंजाब में भी ऑक्सिजन की उम्मीद : उधर पंजाब में भी बीजेपी ने गेम चेंज कर डाला है। अब बीजेपी पंजाब चुनाव में दौड़ में शामिल हो गई है। कयासबाजी चल रही है कि क्या अब अकाली दल और बीजेपी फिर गठबंधन करेंगे? बीजेपी के एक नेता ने कहा कि बीजेपी के साथ अब कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं जिसका फायदा होगा। अकाली दल पहले ही बीएसपी के साथ गठबंधन कर चुका है। बीजेपी नेता ने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि बीजेपी को अगर पंजाब में अपनी पैठ जमानी है तो अकाली दल से दूरी ही ठीक रहेगी। उन्होंने कहा कि हम क्यों चाहेंगे कि पंजाब में अकाली दल के जूनियर पार्टनर के तौर पर रहें। बीजेपी को उम्मीद है कि उसे उत्तराखंड चुनाव में भी फायदा होगा। उत्तराखंड के तराई इलाके में किसान आंदोलन का असर था।