बुधवार को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रोड शो (Scindia Road Show in Gwalior) किया। इसमें एक लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ (Huge Crowd in Scindia Road Show) जुटी। केंद्रीय मंत्री बनने के बाद पहली बार तीन दिन के गृह प्रवास पर आए सिंधिया ने इसके जरिये शक्ति प्रदर्शन किया। सिंधिया के रोड शो में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद थे, लेकिन इसके अलावा प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर के पार्टी नेता इससे दूर रहे। सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan), बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा, सिंधिया को हराने वाले गुना के सांसद के पी यादव सहित अन्य बड़े नेताओं की गैर मौजूदगी के अब राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं।
सीएम शिवराज सिंह बुधवार को दिल्ली में थे। उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की। सिंधिया के कार्यक्रम के दिन शिवराज के दिल्ली जाने की चर्चा ज्यादा हो रही है। इसका कारण यह है कि सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद चंबल क्षेत्र में तकरीबन हर कार्यक्रम में शिवराज मौजूद रहे हैं।
केवल शिवराज ही नहीं, उनकी कैबिनेट के अधिकांश मंत्री भी इससे अलग रहे। गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट और प्रद्युम्न सिंह तोमर पूरे दिन सिंधिया के साथ रहे, लेकिन ये तीनों उनके पक्के समर्थक हैं। उन्हें सिंधिया कोटे से ही मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इनके अलावा प्रदेश कैबिनेट के अन्य मंत्रियों की इसमें सहभागिता नहीं के बराबर रही। उपचुनाव में हार कर मंत्री पद गंवा चुकी इमरती देवी जरूर लंबे समय बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में नजर आईं।
तोमर साथ मुरैना में ‘महाराज’ का हुआ ऐसा स्वागत, लोग बोले कुछ तो है बात : बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (MP BJP President VD Sharma) की गैर मौजूदगी की भी चर्चा हो रही है। दोनों प्रदेश में रह कर भी इसमें शामिल नहीं हुए। हालांकि, विजयवर्गीय और शर्मा इससे पहले भी सिंधिया से राजनीतिक रूप से दूर ही रहे हैं।
गुना के सांसद केपी यादव का रोड शो में शामिल नहीं होने से यह स्पष्ट है कि सिंधिया के साथ उनके संबंध अब भी सहज नहीं हैं। सिंधिया के मंत्री बनने के बाद यादव की उनसे मुलाकात हुई थी। तब से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि पिछले लोकसभा चुनाव की खटास अब दूर हो गई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यादव ने ही सिंधिया को हराया था।