पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में रविवार को ऑर्गनाइजेशन ऑफ कंट्रीज (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की मीटिंग हुई। इस संगठन में कुल 57 मुस्लिम मुल्क मेंबर हैं लेकिन मीटिंग में भाग लेने सिर्फ 16 छोटे देश के ही विदेश मंत्री ही पहुंचे थे। बाकी देशों ने अपने एम्बेसेडर्स या अफसरों को मीटिंग में भाग लेने भेज दिया था।
भारत पहुंचे थे मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्री : दिलचस्प बात यह है कि अफगानिस्तान के पड़ोसी पांच सेंट्रल एशियाई देशों के विदेश मंत्री ओआईसी समिट में जाने की बजाए दिल्ली में अफगान मीटिंग करने पहुंच गए। सोमवार को इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस बौखलाए पाकिस्तान मीडिया का एक तबका भारत पर ओआईसी समिट फेल करने का आरोप लगा रहा है।
फौज के डर से ओआईसी पर जानकारी कम दे रही पाक मीडिया : इसी बीच पाकिस्तान की मेन स्ट्रीम मीडिया सरकार या फौज के डर से ओआईसी पर ज्यादा जानकारी देने से बच रही है। जबकि सोशल मीडिया पर मौजूद पत्रकार समिट को लेकर सरकार को घेरने में लगे हैं। कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान। ये सभी देश ओआईसी के सदस्य हैं। लेकिन इन्होंने पाकिस्तान में हुए समिट में जाने के बजाए नई दिल्ली की इंडिया-सेंट्रल एशिया समिट को तवज्जो दी। पाकिस्तानी मीडिया इसको लेकर ही सवाल उठा रहा है।
इस कारण फेल हुई पाकिस्तान की ओआईसी मीटिंग : दरअसल, पाकिस्तान ने 19 दिसंबर को ओआईसी सदस्य देशों की बैठक रखी थी। बैठक का एजेंडा अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को मान्यता और मदद देने का था। जबकि दूसरी तरफ इसी दिन भारत की राजधानी नई दिल्ली में इंडिया-सेंट्रल एशिया समिट हुआ। इसमें पांच अफगानिस्तान के पड़ोसी पांच देशों के विदेश मंत्री शामिल हुए। हालांकि इस समिट का एजेंडा भी अफगानिस्तान था। भारत के विदेश मंत्री, एस जयशंकर ने कहा भी था कि भारत और सेंट्रल एशिया के पांच देश अफगानिस्तान की मदद करना चाहते हैं क्योंकि अफगानिस्तान से हमारे गहरे सांस्कृतिक रिश्ते हैं।
अफगान तालिबान का प्रवक्ता बना पाकिस्तान : UN और दुनिया के कई संगठन कह चुके हैं कि अफगानिस्तान में भुखमरी बिल्कुल सिर पर खड़ी है और अगर दुनिया ने उसकी जल्द मदद नहीं की तो यह सर्दियां वहां के लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। पाकिस्तान अफगानिस्तान को लेकर दुनिया की इसी हमदर्दी का फायदा उठाना चाहता है। चारों तरफ जमीन से घिरे अफगानिस्तान की सीमाएं पाकिस्तान से सटी हैं। ऐसे में वहां पहुंचने वाली मदद का रास्ता पाकिस्तान होकर ही जाता है। यही वजह है कि अफगानिस्तान का प्रवक्ता बनकर पाकिस्तान दुनियाभर से मिली मदद को अपने जरिए वहां पहुंचाना चाहता है।
भारत की मदद में भी पाक ने लगाया अड़ंगा : पाकिस्तान की इस पहल के पीछे दो एजेंडे हैं। पहला यह कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को मिलने वाली मदद का एक हिस्सा हड़प सकता है। दूसरा यह कि वह अफगानिस्तान तक अपने ट्रकों से राहत सामग्री भेजेगा, ताकि अफगान ये समझें कि पाकिस्तान ही उनकी मदद कर रहा है। इसी वजह से पाकिस्तान ने भारत की तरफ से अफगानिस्तान भेजे जाने वाले गेहूं और दवाइयों की सप्लाई में भी रोड़ा अटका दिया है।