रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। इन देशों ने न सिर्फ रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की बरसात की है, बल्कि इसमें पुतिन के करीबियों को भी शामिल किया है। इसके बावजूद पुतिन ने युद्ध को अंजाम तक पहुंचाने की कसम खाई है। अब व्लादिमीर पुतिन ने भारत और चीन का नाम लेकर अमेरिका को चिढ़ाया है। पुतिन ने कहा है कि रूस के पास न केवल भारत और चीन बल्कि लातिन अमेरिकी व अफ्रीकी देशों के साथ भी साझेदारी कायम करने का अवसर है। उन्होंने यह भी कहा कि रूस जैसे देश को घेरना असंभव है।
‘रूस के पास पूरी दुनिया से साझेदारी करने का अवसर’ : पुतिन ने गुरुवार को मॉस्को में रूस के युवा उद्यमियों के साथ हुई बैठक के दौरान कहा कि दुनिया बड़ी और विविध है। आपने अभी चीन और भारत का जिक्र किया। चीन और भारत ही क्यों? लातिन अमेरिका भी इसमें शामिल है। अफ्रीका अभी पीछे है, लेकिन आगे बढ़ रहा है। वहां 1.5 अरब लोग रहते हैं। दक्षिण-पूर्वी एशिया भी है। रूस के पास न केवल चीन और भारत बल्कि लातिन अमेरिका और अफ्रीका के साथ भी साझेदारी कायम करने का अवसर है।
पुतिन बोले- रूस को घेरना असंभव : यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर पश्चिमी देशों के लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का उल्लेख करते हुए पुतिन ने कहा कि रूस जैसे देश को घेरना असंभव है। उन्होंने दावा किया कि रूस अपने लक्ष्य को लेकर अडिग रहेगा और उससे किसी भी देश को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने युवा उद्यमियों को अपने व्यवसाय का विस्तार करने और घरेलू उत्पादकता को बढ़ाने का आह्वान किया।
व्लादिमीर पुतिन प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका समेत यूरोपीय देशों से नाराज हैं। यही कारण है कि रूस ने यूक्रेन में जारी युद्ध को देरी तक खींचने का फैसला किया है। इससे वैश्विक स्तर पर तेल और गैस के दाम आसमान छू रहे हैं, जिसका सीधा असर यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। इस बीच रूस ने भारत और चीन के साथ सस्ते में तेल बेचने की डील कर अपने व्यापार को आगे बढ़ाया है। इससे रूस को नए विदेशी साझीदार मिल रहे हैं और उसकी अर्थव्यवस्था को सहारा भी मिल रहा है।