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December 6, 2024
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भारतीय सीमा के पास रात में बम बरसा रही चीनी सेना, तैनात किए घातक हथियार

लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक नजरें गड़ाए चीनी ड्रैगन ने भारतीय सीमा पर बेहद कठिन परिस्थितियों में रात के समय में हमले करने की तैयारी तेज कर दी है। चीनी सेना ने हिमालय से लगती सीमा पर रात में जंग लड़ने का अभ्‍यास किया है और इसमें कई नए और अत्‍याधुनिक हथियारों का इस्‍तेमाल किया गया है। चीन का कहना है कि यह अभ्‍यास नए हथियारों से अपने सैनिकों को परिचय कराने के मकसद से किया गया है।
चीनी सेना पीएलए चाहती है कि भारतीय सीमा पर ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात सैनिक ‘उच्‍च क्षमता’ का प्रदर्शन करें। चीनी सेना के एक कंपनी कमांडर यांग यांग ने कहा, ‘हमने अपने स‍िड्यूल को बदला है और सैनिकों से मांग की है कि वे अधिक ऊंचाई वाले इलाके में प्रशिक्षण के लिए उच्‍च क्षमता का प्रदर्शन करें। हमें एक ज्‍यादा कठिन युद्ध के मैदान के लिए तैयार रहना होगा क्‍योंकि सीमाई इलाकों में चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं।’
करीब 5000 मीटर की ऊंचाई पर चल रहा अभ्‍यास : यांग ने कह क‍ि उनकी मैकेनाइज्‍ड फोर्स बर्फ से ढंकी चोट‍ियों को बिना लाइट के रात के समय पार कर रही है और रात के समय मशीनगन से गोलियां बरसाने का अभ्‍यास कर रही है। चीनी सेना के पश्चिमी थिएटर कमांड ने हिमालयी सीम पर तैनात अपने सैनिकों के लिए रात के समय और ज्‍यादा अभ्‍यास करने की योजना बनाई है। साथ ही उन्‍हें नई पीढ़ी के हथियारों से परिचित करा रही है।
बताया जा रहा है कि चीनी सेना का यह रात के समय चल रहा अभ्‍यास शिंजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक में करीब 5000 मीटर की ऊंचाई पर चल रहा है। इसमें बड़े पैमाने पर चीनी सैनिक हिस्‍सा ले रहे हैं। इससे पहले चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने भी बताया था कि पीएलए के तिब्‍बत मिल‍िट्री कमांड ने बड़े पैमाने पर तिब्‍बत के पठारों में संयुक्‍त अभ्‍यास किया है। इसमें चीनी सेना की 10 ब्रिगेड और रेजिमेंट ने हिस्‍सा लिया।
शुक्रवार को हुए ट्राइडेंट II (D5 और D5LE) सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल का यह 184वां सफल परीक्षण था। इससे पहले फरवरी 2021 में फ्लोरिडा के तट से ही ट्राइडेंट II (D5LE) परमाणु मिसाइल का अंतिम टेस्ट किया गया था। अमेरिकी नौसेना के स्ट्रैटजिक सिस्टम प्रोग्राम्स के डायरेक्टर वाइस एडमिरल जॉनी आर. वोल्फ ने कहा कि आज का परीक्षण हमारे समुद्र आधारित परमाणु निवारक (Nuclear Deterrent) की बेजोड़ विश्वसनीयता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस लक्ष्य को सैन्य, नागरिक और रक्षा उद्योगों की भागीदारी से बनी एक समर्पित टीम के जरिए ही संभव बनाया गया है। उन्होंने समझाया कि यही टीम अब ट्राइडेंट स्ट्रेटेजिक वेपन सिस्टम की अगली पीढ़ी का विकास कर रही है। जो 2084 तक हमारे सी बेस्ड स्ट्रेटजिक डिटरेंट को नई ऊंचाईयों पर लेकर जाएगी। नौसेना ने बताया है कि पुरानी पड़ रही ट्राइडेंट II मिसाइलों की हाल में ही ओवरहॉलिंग की गई है। जिसके बाद ये मिसाइलें अब यूके वेंगार्ड-क्लास, यूएस कोलंबिया-क्लास के साथ ड्रेडनॉट-क्लास की फ्लीट में तैनाती के लिए तैयार हैं।
अमेरिका के पास 14 ओहियो-श्रेणी की बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों का बेड़ा है, जो अमेरिका के सक्रिय रणनीतिक थर्मो-न्यूक्लियर वारहेड का लगभग आधा हिस्सा ढोती हैं। प्रत्येक पनडुब्बी में 24 ट्राइडेंट मिसाइलें होती हैं जिनमें से हर एक में 8 परमाणु हथियार लगे होते हैं। इसका मतलब है कि एक ट्राइडेंट मिसाइल लॉन्चिंग के बाद आठ अलग-अलग लक्ष्यों पर परमाणु हमला कर सकती है। UGM-133 Trident II मिसाइल को लॉकहीड मॉर्टिन स्पेस ने बनाया है। यह परमाणु मिसाइल साल 1990 से अमेरिकी और ब्रिटिश नौसेना में तैनात हैं। दरअसल, अमेरिका ने अपने परमाणु पनडुब्बियों की तकनीक को ब्रिटेन के साथ साझा किया हुआ है। ऐसे में ब्रिटिश पनडुब्बियों पर भी यही परमाणु मिसाइल तैनात है। 2019 में एक ट्राइडेंट मिसाइल की कीमत 2277175500 रुपये आंकी गई थी। 44 फीट लंबी और 6 फीट के व्यास वाली यह मिसाइल सॉलिट फ्यूल रॉकेट मोटर से चलती है। 29020 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ने वाली यह मिसाइल 12000 किलोमीटर तक की दूरी तक हमला कर सकती है।
हर ओहियो क्लास की पनडुब्बी में 154 टॉमहॉक के अलावा एंटी शिप मिसाइलें भी तैनात होती हैं। अमेरिकी नौसेना में पूर्व कैप्टन और वर्तमान में रक्षा विशेषज्ञ कार्ल शूस्टर ने कहा कि ओहियो क्लास की पनडुब्बी बहुत ही कम समय में अपने सभी मिसाइलों को फायरस कर सकती है। यह मिसाइलें किसी बड़े भूभाग को पलक झपकते बर्बाद करने में सक्षम हैं। ये मिसाइलें समुद्र में अमेरिकी नौसेना को बढ़त प्रदान करती हैं, क्योंकि कोई भी देश एक साथ 154 मिसाइलों की अनदेखी नहीं कर सकता है। ओहियो क्लास की पनडुब्बियों की मारक क्षमता को दुनिया ने 2011 में देखा था, जब यूएसएस फ्लोरिडा ने ऑपरेशन ओडिसी डॉन के दौरान लीबिया में लक्ष्य के खिलाफ लगभग 100 टॉमहॉक मिसाइलों को लॉन्च किया था। यह अमेरिका के इतिहास में पहला मौका था जब किसी परमाणु शक्ति संचालित पनडुब्बी के जरिए किसी टॉरगेट पर निशाना साधा गया था।
परमाणु शक्ति से चलने वाली गाइडेड मिसाइल सबमरीन यूएसएस ओहियो आकार और प्रहार दोनों के मामले में दुनिया के शीर्ष हथियारों में से एक है। लंदन के रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ सिद्धार्थ कौशल के अनुसार, अमेरिका की ओहियो क्लास की पनडुब्बी दुश्मन के क्षेत्र में अंदर तक घुसपैठ कर सैनिकों और मिसाइलों से हमला कर सकती है। अमेरिका के ओहियो क्लास की पनडुब्बियों में यूएसएस ओहियो के अलावा यूएसएस मिशिगन, यूएसएस फ्लोरिडा और यूएसएस जॉर्जिया शामिल हैं। ये सभी पनडुब्बियां घातक एंटी शिप मिसाइलों से लैस हैं और इनमें दुश्मन की पनडुब्बियों से बचाव करने की भी सबसे आधुनिक तकनीकी लगी हुई है। इस पनडुब्बी में पहले परमाणु मिसाइलों को भी लगाया गया था, लेकिन बाद में उन्हें हटाकर दूसरी इंटरकॉन्टिनेंटर बैलिस्टिक मिसाइलों को लगाया गया है। ओहियो को ताकत देने के लिए एक परमाणु रिएक्टर को लगाया गया है, जो इसके दो टर्बाइनों के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
ओहियो क्लास की पनडुब्बी में तैनात नौसैनिकों को खाने की वस्तुएं न लेनी हो तो वह कई महीनों तक पानी के नीचे गायब रह सकती है। इसमें खुद के ऑक्सीजन जेनरेटर्स लगे होते हैं, जो पनडुब्बी में तैनात नौसैनिकों के लिए ऑक्सीजन पैदा करते हैं। इसके अलावा परमाणु रिएक्टर लगे होने के कारण इनके पास ऊर्जा का अखंड भंडार होता है। जबकि परंपरागत पनडुब्बियों में डीजल इलेक्ट्रिक इंजन होता है। उन्हें इसके लिए डीजल लेने और मरम्मत के काम के लिए बार बार ऊपर सतह पर आना होता है। पानी के नीचे अगर कोई पनडुब्बी छिपी हुई तो उसका पता लगाना बहुत ही कठिन काम होता है। लेकिन, अगर वह पनडुब्बी किसी काम से एक बार भी सतह पर दिखाई दे दे तो उसको डिटेक्ट करना और पीछा करना दुश्मन के लिए आसान हो जाता है।
आकार में बड़ी होने के कारण यूएसएस ओहियो में 154 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें तैनात होती हैं। यह क्षमता अमेरिका के गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर में तैनात मिसाइलों की दोगुनी है। हर एक टॉमहॉक मिसाइल अपने साथ 1000 किलोग्राम तक के हाई एक्सप्लोसिव वॉरहेड को लेकर जाने में सक्षम है। अमेरिकी सेना में 1983 से तैनात यह मिसाइल सीरिया, लीबिया, ईराक और अफगानिस्तान में अपनी ताकत दिखा चुकी है। टॉमहॉक ब्लॉक-2 मिसाइल तो 2500 किमी तक मार कर सकती है। यह मिसाइल बिना बूस्टर के 5.5 मीटर और बूस्टर के साथ 6.5 मीटर तक लंबी होती है। फिलहाल यह मिसाइल अमेरिका और ब्रिटेन की रायल नेवी में तैनात है। ताइवान ने भी अमेरिका से इस मिसाइल की खरीद के लिए समझौता किया है।
अटैक हेलिकॉप्‍टर और टाइप 15 लाइट टैंक का भी इस्‍तेमाल : रात और दिन में चल रहे इस अभ्‍यास में होवित्‍जर तोपों, मल्टिपल रॉकेट लॉन्चर सिस्‍टम और एंटी एयरक्राफ्ट बैटरी का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। खबरों में यह भी दावा किया गया है कि पीएलए ने अपने अटैक हेलिकॉप्‍टर और टाइप 15 लाइट टैंक का भी अभ्‍यास के दौरान इस्‍तेमाल किया है। सूत्रों के मुताबिक पीएलए अपनी युद्धक क्षमता को तेज करने के लिए यह अभ्‍यास कर रही है।

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