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November 24, 2024
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धार्मिक स्वतंत्रता के हनन वाली सूची में शामिल होने पर भड़के पाक-चीन


अमेरिका ने पाकिस्तान और चीन को धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने वाले देशों की सूची में शामिल किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने योजनाबद्ध तरीके से बार-बार धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों की लिस्ट जारी की है। कंट्रीज ऑफ पर्टीकुलर कंसर्न (सीपीसी) नाम की इस लिस्ट में चीन और पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान, ईरान, रूस, सऊदी अरब, एरिट्रिया, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और म्यांमार सहित 10 देशों को शामिल किया गया है।
भारत इस सूची में शामिल नहीं : दुनिया में धार्मिक आजादी का आकलन करने वाले अमेरिकी पैनल ‘यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम’ ने इस सूची में भारत को भी शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, बाइडेन प्रशासन ने ऐन मौके पर भारत का नाम इस सूची में शामिल नहीं किया।
अमेरिका के आरोपों पर भड़का चीन : चीन ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन करने वाले देशों की सूची में खुद को शामिल किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने यहां मीडिया से कहा कि चीन निराधार आरोपों का जोरदार विरोध करता है क्योंकि इससे देश की धार्मिक स्वतंत्रता को बदनाम किया जा रहा है। झाओ ने कहा कि चीन की सरकार कानून के मुताबिक नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करती है।
चीन बोला- पहले अपने गिरेबान में झांके अमेरिका : उन्होंने कहा कि चीन में करीब 20 करोड़ धार्मिक मतों को मानने वाले लोग हैं, 3.80 लाख से अधिक धार्मिक कर्मचारी हैं, 5500 धार्मिक समूह हैं और धार्मिक गतिविधियों के लिए 1.40 लाख से अधिक स्थान हैं। चीन के लोग धार्मिक स्वतत्रंता का पूरा लाभ उठाते हैं। शब्दों से ज्यादा तथ्य इसे बताते करते हैं और किसी झूठ को हजार बार दोहराने पर भी वह झूठ ही रहता है। झाओ ने कहा कि अमेरिका को अपनी गिरेबां में झांकना चाहिए और दूसरे देशों में हस्तक्षेप के लिए धार्मिक मुद्दे उठाने से बचना चाहिए।
पाकिस्तान ने भी दी तीखी प्रतिक्रिया : पाकिस्तान ने भी अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने वाले देशों की सूची में शामिल होने पर कड़ा बयान दिया है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि पाकिस्तान को विशेष चिंता वाला देश घोषित करना पूरी तरह से जमीनी हकीकत से परे है और इस कवायद की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार नामकरण करने से दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा नहीं मिलता है।

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