Pradesh Samwad
देश विदेश

चाबहार के जरिए आर्मीनिया से दोस्ती बढ़ाएगा भारत, पाकिस्तान के ‘खास’ अजरबैजान को मिर्ची लगना तय

आर्मीनिया और भारत आने वाले दिनों में ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए आपसी कनेक्टिविटी को बढ़ाने जा रहे हैं। इस ऐलान से मध्य एशियाई देशों में भारत की मौजूदगी और व्यापार को बड़ा बूस्ट मिल सकता है। बुधवार को आर्मीनिया की राजधानी येरेवान पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान और विदेश मंत्री अरारत मिरजोयान से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ईरान में रणनीतिक चाबहार बंदरगाह को उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर में शामिल किए जाने का प्रस्ताव दिया। दोनों नेताओं में द्विपक्षीय संबंध, व्यापार, अफगानिस्तान और कई अन्य मुद्दों पर बातचीत भी हुई।
अजरबैजान को लग सकती है मिर्ची : आर्मीनिया के साथ भारत की दोस्ती से अजरबैजान को मिर्ची लग सकती है। पिछले साल सितंबर में आर्मीनिया और अजरबैजान ने नागोर्नो-कारबाख को लेकर महीनेभर युद्ध लड़ा था। इस लड़ाई में पाकिस्तान और तुर्की ने खुलकर अजरबैजान का साथ दिया था। यही कारण है कि कश्मीर मुद्दे पर अजरबैजान खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करता है। वहीं, आर्मीनिया हमेशा से कश्मीर पर भारत का साथ देता आया है। ईरान के साथ भी अजरबैजान के रिश्ते तनावपूर्ण हैं, जबकि आर्मीनिया हमेशा से तेहरान का दोस्त रहा है।
चाबहार के जरिए दोस्ती बढ़ाएगा भारत : ईरान के चाबहार पोर्ट के जरिए भारत मध्य एशियाई और यूरोपीय देशों में व्यापार करना चाहता है। यही कारण है कि ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने इस पोर्ट को विकसित करना जारी रखा है। भारत पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के कारण चाहकर भी सड़क मार्ग से मध्य-पूर्व के देशों तक नहीं पहुंच सकता है। ऐसे में चाबहार के रास्ते सड़क और रेल मार्ग से व्यापार करना अधिक आसान और प्रभावी रास्ता है।
आर्मीनिया के प्रसिद्ध विरासत स्थलों पर पहुंचे जयशंकर : आर्मीनिया दौरे पर पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे देश के प्रसिद्ध विरासत स्थलों का दौरा किया। उन्होंने आर्मीनिया और भारत के गहरे ऐतिहासिक संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि अजंता यहां आर्मीनिया में भी मौजूद है। उन्होंने ट्वीट किया कि आर्मीनिया-भारत संबंध येरेवान के मतेनादरन पुस्तकालय में दिखाई देता है।
भारत और आर्मीनिया के ऐतिहासिक संबंध : पहला आर्मेनियाई समाचार पत्र और संविधान जो मद्रास (चेन्नई) में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने 18वीं सदी के दस्तावेजों की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं। मतेनादरन पुस्तकालय की स्थापना 1959 में हुयी थी और यह प्राचीन पांडुलिपियों के दुनिया के सबसे बड़े भंडारों में से एक है।
आर्मीनिया जाने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री बने जयशंकर : जयशंकर आर्मीनिया की यात्रा करने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री हैं। उन्होंने बाद में आर्मेनिया की राष्ट्रीय गैलरी का भी दौरा किया। जयशंकर ने ट्वीट किया कि आर्मीनिया में अजंता। येरेवान में आर्मीनिया की नेशनल गैलरी में प्रसिद्ध आर्मेनियाई कलाकार सरकिस खाचतुरियन द्वारा गुफाओं की पेंटिंग। साथ ही संस्कृत में महाभारत की एक प्रति मतेनादारन पुस्तकालय में।
दोनों देशों ने जारी किया संयुक्त बयान : जयशंकर मध्य एशिया के तीन देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में मंगलवार को आर्मीनिया पहुंचे। उनकी यात्रा का मकसद द्विपक्षीय संबंधों को और आगे ले जाना और अफगानिस्तान के घटनाक्रम सहित प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करना है। इससे पहले जयशंकर ने अपने आर्मेनियाई समकक्ष अरारत मिरजोयान के साथ एक संयुक्त प्रेस बयान में कहा कि वास्तव में दोनों देशों के संबंध कई सदियों से हैं और भारत में आर्मेनियाई प्रवासियों की उपस्थिति तथा चर्चों, शिक्षण संस्थान के साथ समृद्ध आर्मेनियाई विरासत रही है।

Related posts

बाइडेन ने यूक्रेन के लिए 80 करोड़ डॉलर की नई सहायता को दी मंजूरी

Pradesh Samwad Team

कनाडा में इमरजेन्सी एक्ट लागू होने का असर, सीमा पर ट्रकों की हड़ताल समाप्त

Pradesh Samwad Team

PCB के लिए छलका इमरान का दर्द, ‘पूरी दुनिया का क्रिकेट अब भारत के हाथों में’

Pradesh Samwad Team

Leave a Comment