‘‘अखबारों में छपी खबरों को सही मानें कि ‘‘ये साउदी नहीं है जिसे चैके छक्के मार दो’’ इस उकसावे का ही असर था कि इंग्लैंड या यह कहें कि बेयरस्टो (106, 114’) ने मैच भारत के हाथ से छीन लिया और उकसावे के नतीजे में भारत को पराजित होना पड़ा। चार दिन तक मैच पर दबदबा बनाने के बावजूद भारत पांचवे दिन 7 विकेट से पराजित हो गया। एजबेस्टन में इंग्लैंड ने पांचवे टेस्ट मैच में भारत के खिलाफ चैथी पारी में एतिहासिक लक्ष्य हासिल करते हुये 7 विकेट से जीत दर्ज कर सीरिज 2-2 से बराबर कर दी। सही मायने में टेस्ट मैच शुरू होते ही पहले दिन ही जब 98 रन पर भारतीय टीम 5 विकेट गंवा चुकी थी तब किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि यह टीम अब मैच में वापसी कर पायेगी, लेकिन पंत और जड़ेजा के कमाल के शतकीय प्रहारों ने इंग्लैंड को चैथे दिन की सुबह तक सत्र दर सत्र बैकफुट पर धकेल दिया था। गेंदबाजों ने भारतीय टीम को पहली पारी में 132 रन की शानदार बढ़त भी दिला दी थी, तब हर कोई उम्मीद कर रहा था कि इंग्लैंड को चैथी पारी में 400 से अधिक का लक्ष्य मिलना चाहिये। टीम मीटिंग में क्या हुआ यह तो भारतीय खेमे को ही पता होगा लेकिन चैथे दिन पहले ही सत्र में पुजारा के आउट होने के बाद भारत को बढ़त हासिल करने के लिये ऋषभ पंत से जिम्मेदार व परिपक्व बल्लेबाजी की अपेक्षा थी तब पहले जैक लीच का ओवर, फिर ब्राॅड के ओवर में जिस तरह आउट होने के स्वयं के सिद्धहस्त हुनर भरे प्रयासों में ऋषभ पंत नाकाम हुये, उससे उन्होंने कोई सबक नहीं लिया बल्कि जैक लीच के अगले ही ओवर में आउट होने के एक और प्रयास में स्वयं सफल होकर पैवेलियन लौट गये। ‘‘फुटबाल’’ में इस तरह के प्रयास को ‘‘आत्मघाती’’ कहकर अलंकृत किया जाता है। मात्र 45 रनों के अंदर पुजारा, पंत और फिर श्रेयस अय्यर के आउट होने से मानो भारत की पराजय दिखाई देने लगी थी। भारत के खिलाफ सबसे बड़े लक्ष्य 378 का पीछा करते हुये 107 रनों की सलामी साझेदारी से चैथे ही दिन इंग्लैंड ने इरादे जता दिये थे कि न्यूजीलैंड के खिलाफ आखिरी दिन आतिशी अंदाज में टेस्ट मैच जीतना तुक्का नहीं था। बेयरस्टो 114 और रूट 142 की अटूट 269 रनों की साझेदारी ने फिर वह कर दिखाया जो भारत के खिलाफ अभी तक नहीं हुआ था।
जसप्रीत बुमराह ने कप्तान के तौर पर नये होने के बावजूद अपनी तरफ से प्रयासों में कोई कमी नहीं की किन्तु भारतीय टाॅप आर्डर में असफल गिल, पुजारा, हनुमा विहारी, कोहली और श्रेयस अय्यर के दोनों पारियों के कुल रनों को मिलाकर भी देखें तो अकेले बेयरस्टो ही सब पर भारी थे। कोच राहुल द्रविड़ ने मैच से पूर्व कहा था कि ’’शतक नहीं चाहिये बल्कि मैच जिताऊ पारी चाहिये’’, लेकिन भारत का बल्लेबाजी विकेट पर रूकने का कोच का आशय या तो समझ नहीं सका या फिर अति आत्मविश्वास का शिकार हो गया।
दूसरी पारी में इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने जैसे उकसावे का सटीक जवाब दिया और लगभग हारी हुई बाजी को पलट कर स्वयं को बाजीगर बना दिया।