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December 8, 2024
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आरएसएस की तुलना नक्सलियों से, कवर्धा कांड में मंत्री मोहम्मद अकबर का नाम आने के बाद भूपेश बघेल ने ऐसा क्यों किया

कवर्धा कांड (Kawardha Kand Latest News) में बीजेपी में मंत्री मोहम्मद अकबर को बर्खास्त करने की मांग कर रही है। साथ ही सरकार पर एकपक्षीय कार्रवाई का आरोप लगा रही है। सीधे तौर पर इस घटना के लिए भूपेश सरकार के परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर को जिम्मेदार ठहरा रही है। पूरे प्रदेश में वीएचपी ने मंत्री को बर्खास्त करने के लिए प्रदर्शन किया है। पूर्व सीएम रमन सिंह ने भी तीन दिन पहले कवर्धा लाठीचार्ज में घायल हुए लोगों से जाकर मुलाकात की थी। इसके बाद बीजेपी ने मंत्री मोहम्मद अकबर पर हमले तेज कर दिए हैं। मंत्री का नाम इसमें उछलने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने नया राग छेड़ दिया है, उन्होंने आरएसएस की तुलना नक्सलियों से कर दी है।
भूपेल बघेल ने कहा कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ में सक्रिय नक्सलियों को दूसरे राज्यों में बैठे उनके वरिष्ठ नेता निर्देशित करते हैं, उसी प्रकार छत्तीसगढ़ के आरएसएस कार्यकर्ताओं को नागपुर से संचालित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के नागपुर शहर में आरएसएस का मुख्यालय है। सीएम ने कहा कि कवर्धा हिंसा की निष्पक्ष जांच होगी। छत्तीसगढ़ में आरएसएस के लोगों का 15 साल तक कोई काम नहीं हुआ। वे बंधुआ मजदूर की तरह काम करते रहे, आज इनकी नहीं चलती है। सभी नागपुर से संचालित होते हैं।
बघेल ने कहा कि जिस तरह नक्सलियों के नेता आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और दूसरे राज्यों में हैं और यहां के लोग केवल गोली चलाने और गोली खाने का काम करते हैं, उसी तरह आरएसएस की स्थिति भी यही है। यहां आरएसएस के लोगों का कोई बखत नहीं है, जो कुछ है वह नागपुर से करते हैं।
राज्यपाल ने निष्पक्ष जांच की मांग : कवर्धा कांड को लेकर प्रदेश में सियासी तापमान बढ़ गया है। बीजेपी इसे धर्म से जोड़कर भूपेश बघेल को घेर रही है। इस बीच छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सीएम भूपेश बघेल को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
भूपेश के करीबी है मोहम्मद अकबर : परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर का नाम उछालकर बीजेपी ने सीएम भूपेश बघेल की परेशानी बढ़ा दी है। मोहम्मद अकबर छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता भी हैं। साथ ही सीएम के करीबी लोगों में उनकी गिनती होती है। बीजेपी का कहना है कि सत्ता के दबाव में प्रशासन ने कवर्धा में पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की है। एक ही धर्म विशेष के लोगों को टारगेट किया गया है। उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल में डाला गया है। बीजेपी का सीधा आरोप मंत्री मोहम्मद अकबर पर है। पूर्व सीएम रमन सिंह का आरोप है कि उन्हीं के सरंक्षण में सब कुछ हुआ है।
यूपी में हो सकता है नुकसान : दरअसल, कवर्धा कांड को लेकर हिंदू संगठन के लोग हर तरफ विरोध कर रहे हैं। बीजेपी इसे यूपी में भुनाने की कोशिश में है। यूपी चुनाव में भूपेश बघेल पर्यवेक्षक की भूमिका में हैं। लखीमपुर खीरी की घटना में उनका एग्रेसिव रूप दिखा है। मगर कवर्धा की घटना को लेकर सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। सियासी जानकार कहते हैं कि हिंदू-मुस्लिम उलझने की जगह, भूपेश बघेल ने इस मुद्दे को दूसरे रूप में डायवर्ट कर दिया है। आरएसएस की बात करने पर उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं होगा। मगर हिंदू-मुस्लिम वाले विवाद सियासी रूप से ज्यादा नुकसान की संभावना है। अब बीजेपी के नेता भी कवर्धा को भूल आरएसएस की बात करने लगे हैं।
भूपेश बघेल ने यह भी कहा कि कोरोना काल के कारण बहुत सारे व्यापार अब जाकर खुल रहे हैं। अब ये लोग दंगा भड़काकर क्या इसे इस प्रकार से बर्बाद करेंगे। यह कतई नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में कोई भी छोटी घटना को हल्के में नहीं लेना है। यह किसी भी घटना को बड़ा बनाना चाहते हैं। यह हर लड़ाई को सांप्रादायिकता का रंग देने की कोशिश करेंगे। उस पर हमें कड़ी निगाह रखनी होगी।
‘चरमपंथियों की भाषा’ बोल रहे सीएम : बीजेपी ने भी सीएम भूपेश बघेल के बयान पर कड़ा जवाब दिया है। बीजेपी ने सीएम के बयान को ‘चरमपंथियों की भाषा’ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महात्मा गांधी की विचारधारा से भटक गई है। बीजेपी नेता धरमलाल कौशिक ने कहा कि जिस प्रकार से राज्य के मुख्यमंत्री संघ और नक्सलवाद की तुलना कर रहे हैं। वह वास्तविक रूप में भूपेश बघेल नहीं बोल रहे हैं बल्कि उनकी वामपंथी विचारधारा बोल रही है। कांग्रेस अपनी मूल विचारधारा से भटक गई है। गांधीवादी विचारधारा से कांग्रेस भटक गई है।
उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल को सलाह देना चाहता हूं कि संघ के बारे में बोलना है तो पहले एक बार संघ को पढ़ना चाहिए, संघ स्थान में जाना चाहिए और वहां जाकर संघ के कार्यों को देखना चाहिए। आपके अनुयायी जिस विचारधारा को लेकर आपको बढ़ा रहे हैं, उससे कांग्रेस का पतन हो रहा है। वह छत्तीसगढ़ में भी सुनिश्चित है। और जिस तरह यह चरमपंथी की भाषा जो बोली जा रही है एक दिन कांग्रेस इसी में डूबेगी।
क्या था विवाद : दरअसल, कवर्धा को लोहारा नाका चौक पर धार्मिक झंडा लगाने को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ था। एक पक्ष के लोगों ने झंडा लगा रहे युवक की पिटाई कर दी थी। इसके बाद विवाद बढ़ गया था। माहौल खराब होने के बाद हिंदू संगठन के लोगों ने प्रदर्शन किया था। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया था। इसमें बीजेपी के कई कार्यकर्ता घायल हुए थे। वहीं, पुलिस ने दावा किया था कि कबीरधाम में सुनियोजित तरीके से भीड़ को भड़काने की कोशिश की गई। बंद की रैली में पड़ोसी जिलों से भी लोग पहुंचे थे। उन लोगों ने जगह-जगह पर तोड़फोड़ की है।

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