के जी शर्मा वरिष्ठ क्रिकेटर और क्रिकेट समीक्षक स्पोर्ट्स एज भोपाल
बैंगलुरू में 22 जून से मध्यप्रदेश और मुम्बई के बीच रणजी ट्राफी 2021-22 सत्र का फाइनल मैच प्रारंभ होगा तो प्रायः हर क्रिकेट प्रेमी रोमांचक फाइनल की उम्मीद कर रहा होगा। यह लाज़िमी भी है क्योंकि एक तरफ भारत के घरेलू क्रिकेट की सबसे सशक्त टीमों में से एक मुम्बई की टीम होगी तो वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश की वह टीम होगी जो 24 साल बाद इतिहास में मात्र दूसरी बार फाइनल में पहुॅंचकर पूरे प्रदेश में आम से लेकर सरकार के मुखिया तक सभी को गौरवान्वित कर रही है।
दोनों ही टीमों में तुलनात्मक रूप से देखें तो मुम्बई की टीम रणजी ट्राफी के इतिहास में 47वी बार फाइनल में पहुॅंची है जबकि 41 बार वह विजेता भी रही है। यह आंकड़े देखने में तो जबरदस्त लगते है। किन्तु यह कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि कहीं न कहीं इसका दबाव भी मुम्बई पर ही ज्यादा होगा। मध्यप्रदेश की टीम की बात करें तो म.प्र. की टीम 1998 के बाद दूसरी बार रणजी ट्राफी के फाइनल में पहुॅंच सकी है। तब 1998 में पहली बार फाइनल खेल रही मध्यप्रदेश टीम पहली पारी में एस.के. साहू के 130 और देवेन्द्र बुंदेला के 79 रनों के सहारे बढ़त लेकर मजबूत स्थिति में थी। किन्तु कर्नाटक के लिये दोनों पारियों में शानदार बल्लेबाजी कर चुके विजय भारद्वाज का चाय के बाद का ऑफब्रेक गेंदबाजी का स्पेल आज भी तब के कप्तान और वर्तमान कोच को टीस देता होगा। जैसे ही उस फाइनल के चौथे दिन वर्तमान कोच दूसरी पारी में 13 रन बनाकर विजय भारद्वाज का शिकार बने उसके बाद विजय भारद्वाज ने असंभव सी जीत कर्नाटक की झोली में डाल दी थी। लेकिन क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, दबाव में जो टीम दृढ होकर खेलेगी, ताज भी उसी के सिर पर होगा, इस लिहाज से म.प्र. टीम को यहॉं से जो भी हासिल होगा वह मध्यप्रदेश टीम के खिलाड़ियों की उपलब्धि ही होगी, इसलिये फाइनल के दबाव में मुम्बई की अपेक्षा मध्यप्रदेश के खिलाड़ी ज्यादा अच्छे से निखर कर आयेंगे, यह कहा जा सकता है। हालांकि सेमीफाइनल की बात करें तो बल्लेबाजी में मुम्बई के पृथ्वी शॉ, दोनों पारियों में शतक जमाने वाले यशस्वी जायसवाल, हार्दिक तामोर, अरमान जाफर और निचले मध्यक्रम में मुलानी ने दमदार बल्लेबाजी की थी। वहीं मध्यप्रदेश की ओर से हिमांशु मंत्री 165 के अलावा अक्षत रघुवंशी, बड़े खास मौके पर रजत पाटीदार व कप्तान आदित्य श्रीवास्तव ने 82 रन की पारी खेलकर फाइनल के लिये अपनी लय व फार्म दिखाकर मध्यप्रदेश के क्रिकेट प्रेमियों को खिताब के लिये आशान्वित जरूर किया है। बल्लेबाजों के दमदार प्रदर्शन के अलावा गेंदबाजी विभाग में मध्यप्रदेश के तेज गेंदबाज यदि पंजाब के विरूद्ध पहली पारी के शुरूआती प्रदर्शन को दोहराने में सफल हो जाते हैं तो गेंदबाजी यूनिट में मौजूद कार्तिकेय व सारांश जैन को अपना कमाल दोहराना ज्यादा कठिन नहीं होगा। मुम्बई के मुलानी 37 विकेट लेकर आगे भले हैं परन्तु कार्तिकेय भी 27 विकेट लेकर म.प्र. को फाइनल में पहुॅंचा चुके हैं।
लेकिन आंकड़ों से या पिछले प्रदर्शन से परे फाइनल में टॉस भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा, चौथी पारी किसे खेलना होगी, यह देखना दिलचस्प होगा। वर्षा की संभावना के बीच पहली पारी में बढ़त हासिल करना भी रोमांचक होगा। मैं मुम्बई की टीम को कम करके आंकने की भूल नहीं कर रहा हूॅं लेकिन मध्यप्रदेश के रणबाकुरे अपने मजबूत हौंसलों से इतिहास बनाने की दहलीज पर खड़े हैं और संभव है कि कोच और कप्तान मिलकर इतिहास रचकर, आने वाली पीढ़ी के लिये मिसाल बनकर बैंगलुरू से इन्दौर लौटेंगे।