25.5 C
Madhya Pradesh
September 21, 2024
Pradesh Samwad
देश विदेश

युद्धपोत, पनडुब्बी और एयरक्राफ्ट कैरियर… Quad देशों के मुकाबले चीनी नौसेना कितनी ताकतवर?

अमेरिका में होने वाले क्वाड देशों की समिट को लेकर चीन चिढ़ा हुआ है। इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापानी प्रधानमंत्री योशिहिडे सुगा और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन हिस्सा लेंगे। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। क्वाड के सभी देश आपसी हितों की सुरक्षा और चीन से निपटने की रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं।
चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना : वर्तमान में चीनी नौसेना (PLAN) में जितने युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हैं, उतनी तो अमेरिका के पास भी नहीं है। यह बात अलग है कि चीनी नौसेना के पास इतनी बड़ी संख्या में हथियारों के होने के बावजूद उनकी फायर पॉवर और युद्धक क्षमता दुनिया के कई देशों से काफी कम है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई बार अपने भाषणों में यह दावा कर चुके हैं कि उनकी सेना का उद्देश्य किसी देश पर हमला करना नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि फिर आखिर क्यों चीन इतनी तेजी से अपनी नौसेना की ताकत को बढ़ा रहा है?
तेजी से युद्धपोत और पनडुब्बियां बना रहा चीन : चीन इस समय काफी तेजी से अपनी नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। चीन की 62 में से सात पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से चलती हैं। ऐसे में पारंपरिक ईंधन के रूप में भी उसे अब ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ रहा है। चीन पहले से ही जहाज निर्माण की कला में पारंगत था। साल 2015 में चीनी नौसेना ने अपनी ताकत को अमेरिकी नौसेना के बराबर करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया था। पीएलए को विश्व-स्तरीय फाइटिंग फोर्स में बदलने के काम आज भी उसी तेजी से जारी है।
शिप टाइप चीन अमेरिका भारत जापान ऑस्ट्रेलिया
एयरक्राफ्ट कैरियर (बड़ा) — 11 — — —
एयरक्राफ्ट कैरियर (छोटा) 2 — 2 4 —
एम्फिबियस असाल्ट शिप LHD 3 9 — — 2
एम्फिबियस ट्रांसपोर्ट डॉक LPD 8 11 1 3 1
क्रूजर/डिस्ट्रॉयर (बड़ा) 3 24 — — —
डिस्ट्रॉयर 35 68 9 28 3
फ्रिगेट 39 22 13 14 8
मिसाइल कॉर्वेट्स 71 — 12 — —
डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी 46 — 15 21 6
परमाणु पनडुब्बी (SSN) 6 54 — — —
रणनीतिक पनडुब्बी (SSBN) 6 14 2 — —

Nuclear Submarine: परमाणु पनडुब्बी और डीजल पनडुब्बी में फर्क क्या है? समझें ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ डील क्यों तोड़ी

2025 तक चीनी नौसेना में होंगे 400 बैटल फोर्स शिप
यूएस ऑफिस ऑफ नेवल इंटेलिजेंस (ONI) के अनुसार, 2015 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के बेड़े में 255 बैटल फोर्स शिप थे। साल 2020 के आते-आते चीनी नौसेना के पास कुल बैटल फोर्स शिप की तादाद बढ़कर 360 तक पहुंच गई, जो अमेरिकी नौसेना की कुल शिप से 60 ज्यादा है। ओएनआई ने भविष्यवाणी की है कि आज से चार साल बाद यानी 2025 तक चीन के पास कुल 400 बैटल फोर्स शिप होंगी।
क्वाड समिट में अफगानिस्तान, चीन, कोरोना बड़े मुद्दे होंगे : क्वाड की बैठक में अफगानिस्तान, चीन और कोरोना वायरस बड़े मुद्दे हो सकते हैं। पहली बार आमने-सामने होने वाली क्वाड राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में अफगानिस्तान में तालिबान शासन पर बातचीत हो सकती है। सभी सदस्य देश अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता देने पर चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं चीन की आक्रामकता और अफगानिस्तान में बढ़ती पैठ पर भी चर्चा की संभावना है। इसके अलावा सभी देश कोरोना वैक्सीन के उत्पादन को तेज करने और बाकी देशों को मुहैया करवाने पर सहमति जता सकते हैं।
चीन इस समय काफी तेजी से अपनी नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। चीन की 62 में से सात पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से चलती हैं। ऐसे में पारंपरिक ईंधन के रूप में भी उसे अब ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ रहा है। चीन पहले से ही जहाज निर्माण की कला में पारंगत था। साल 2015 में चीनी नौसेना ने अपनी ताकत को अमेरिकी नौसेना के बराबर करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया था। पीएलए को विश्व-स्तरीय फाइटिंग फोर्स में बदलने के काम आज भी उसी तेजी से जारी है। जिनपिंग ने 2015 में शिपयार्ड और प्रौद्योगिकी में निवेश का आदेश दिया था। उन्होंने तब कहा था कि हमें एक शक्तिशाली नौसेना के निर्माण की जरुरत जो आज महसूस हो रही है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। जाहिर है कि सुप्रीम कमांडर का आदेश पाने के बाद से ही चीनी नौसेना ने पिछले 5-6 साल में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा लिया है। ऐसे में यह न केवल अमेरिका के लिए खतरे की बात है, बल्कि इस क्षेत्र में शांति और कानून का पालन करने वाले देशों की चिंताएं बढ़ाने वाला मुद्दा भी है। चीन साउथ चाइना सी के बड़े हिस्से पर अपना दावा करता है। इसे लेकर वह वियतनाम, ताइवान, फिलिपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया और ब्रुनेई के साथ उलझ भी चुका है।
यूएस ऑफिस ऑफ नेवल इंटेलिजेंस (ONI) के अनुसार, 2015 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के बेड़े में 255 बैटल फोर्स शिप थे। साल 2020 के आते-आते चीनी नौसेना के पास कुल बैटल फोर्स शिप की तादाद बढ़कर 360 तक पहुंच गई, जो अमेरिकी नौसेना की कुल शिप से 60 ज्यादा है। ओएनआई ने भविष्यवाणी की है कि आज से चार साल बाद यानी 2025 तक चीन के पास कुल 400 बैटल फोर्स शिप होंगी। दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बनाने के बाद भी चीन की भूख शांत नहीं हुई है। वह वर्तमान में भी आधुनिक युद्धपोत, पनडुब्बियां, एयरक्राफ्ट कैरियर, लड़ाकू विमान, एम्फिबियस असाल्ट शिप, बैलिस्टिक न्यूक्लियर अटैक सबमरीन, कोस्ट गार्ड के लिए कई आधुनिक पेट्रोल वेसल और पोलर आइसब्रेकर शिप का निर्माण खतरनाक गति से कर रहा है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में चीनी नौसेना की ताकत और ज्यादा बढ़ने वाली है, जिससे इसकी मौजूदगी दुनिया के हर कोने में होगी।
यूएस नेवल वॉर कॉलेज के चाइना मैरीटाइम स्टडीज इंस्टीट्यूट के एक प्रोफेसर एंड्रयू एरिकसन ने एक फरवरी को प्रकाशित किए गए अपने रिसर्च पेपर में चेतावनी देते हुए लिखा था की चीनी नौसेना को चीन के जहाज निर्माण उद्योग से कोई कबाड़ नहीं मिल रहा है, बल्कि काफी तेज गति से परिष्कृत, आधुनिक तकनीकियों से लैस युद्ध करने में सक्षम जहाज मिल रहे हैं। इनमें टाइप 055 डिस्ट्रॉयर भी शामिल है। जो कुछ विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिकी टिकोडरोगा-क्लास क्रूजर्स से फायर पावर के मामले में कई गुना अधिक शक्तिशाली है। चीन के एम्फिबियस शिप मिनटों में दुश्मन देशों के समुद्री किनारों पर हजारों की संख्या में चीनी सैनिकों को पहुंचा सकते हैं। ऐसे में यह उन देशों के लिए खतरे की बात है जिनका चीन के साथ समुद्री विवाद है। ताइवान इस समय चीन की नजरों में सबसे बड़ा कांटा है। खुद अमेरिकी सेना के पैसिफिक कमांड के प्रमुख यह अंदेशा जता चुके हैं कि आने वाले 3 से 4 साल में चीन कभी भी ताइवान पर हमला कर सकता है। यह यथास्थिति को परिवर्तित करने का ऐसा प्रयास होगा, जिसे दुनिया चाहकर भी बदल नहीं पाएगी। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि चीन अगर ताइवान पर एक बार कब्जा कर लेगा तो वह किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा।
एक तरफ जहां चीन साल 2025 तक अपनी नौसेना में कुल 400 बैटल फोर्स शिप को शामिल करने की योजना पर काम कर रहा है, वहीं अमेरिकी नौसेना इसे लेकर कोई खास सक्रिय नहीं दिख रही है। अमेरिकी नौसेना के लिए शिपबिल्डिंग का काम देखने वाली एजेंसियों ने भविष्य के लिए 355 बैटल फोर्स शिप के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है, हालांकि इसे पूरा करने के लिए उन्होंने कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की है। वर्तमान में अमेरिकी नौसेना के पास कुल 297 400 बैटल फोर्स शिप हैं। अगर नौसैनिकों की बात की जाए तो यहां अमेरिका का पड़ला काफी भारी है। अमेरिकी नौसेना में कुल 330,000 एक्टिव ड्यूटी नौसैनिक हैं, जबकि चीन के पास इनकी तादाद करीब 250,000 के आसपास है।
चीन की तुलना में अमेरिकी नौसेना के पास अधिक क्षमता वाले कई घातक गाइडेड मिसाइल ड्रिस्ट्रॉयर और क्रूजर हैं जो पल भर में भीषण तबाही मचा सकते हैं। ये युद्धपोत अमेरिका के क्रूज मिसाइल लॉन्च करने की क्षमता को कई गुना बढ़ाते हैं। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के रक्षा विश्लेषक निक चिल्ड्स के अनुसार, अमेरिका के पास अपने युद्धपोतों से लॉन्च किए जाने वाले 9000 से अधिक वर्टिकल लॉन्च मिसाइल सेल्स मौजूद हैं, जबकि चीन के पास यह क्षमता केवल 1000 के आसपास है। ऐसे में मिसाइलों के मामले में चीन कहीं भी अमेरिका को टक्कर नहीं दे सकता है। इसके अलावा अमेरिकी नौसेना के 50 पनडुब्बियों में सभी के सभी परमाणु शक्ति से संचालित होती हैं। वहीं, चीन के पास कहने को तो 62 पनडुब्बियां हैं, लेकिन उनमें से केवल 7 ही परमाणु शक्ति से चलती हैं। ऐसे में अमेरिका दुनिया के किसी भी कोने में समुद्री ताकत को प्रदर्शित करने के लिए चीन से बिलकुल भी कमतर नहीं है। अमेरिकी परमाणु शक्ति संचालित पनडुब्बियां महीनों तक पानी के अंदर छिपी हुई रह सकती हैं, जबकि चीन की 7 पनडुब्बियों को छोड़कर बाकी की डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को एक निश्चित समय के बाद सतह पर आना ही पड़ेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, चीन की सबसे बड़ी ताकत उसकी कोस्ट गार्ड और मिलिशिया है। जो आसपास के समुद्रों में बड़ी संख्या में छोटे-छोटे वेसल के जरिए गश्त करती रहती हैं। चीनी सेना के मिलिशिया दूसरे देशों के जलक्षेत्र में घुसकर मछली पकड़ने और समुद्री संसाधनों का दोहन भी करते हैं। अगर इनकी संख्या को भी चीनी नौसेना के साथ जोड़ ले तो यह लगभग दोगुनी हो जाती है। यही कारण है कि कोरोना से प्रभावित अमेरिका बजट और संसाधनों की कमी से अब बुरी तरह से जूझ रहा है। कई विश्लेषकों ने अंदेशा जताया है कि आने वाले दिनों में चीन अपने वार्षिक रक्षा बजट में 6.8% की वृद्धि करेगा। कहा भी जाता है कि यदि आपके पास बहुत सारे जहाज नहीं बन सकते हैं तो आपके पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना नहीं हो सकती है। चीन खुद को दुनिया के सबसे बड़े वाणिज्यिक शिपबिल्डर होने की क्षमता को भी प्रदर्शित कर रहा है। ऐसे में दुनियाभर के देश अब चीन की शिपबिल्डिंग कंपनियों को बड़े पैमाने पर कांट्रेक्ट भी दे रहे हैं।
AUKUS Pact को लेकर चीन को सता रहा डर : अमेरिका और ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया के साथ AUKUS समझौते पर सहमति जताई है। इसके जरिए अमेरिका अपनी परमाणु पनडुब्बी की तकनीक को ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा करेगा। ऑस्ट्रेलिया ऐसी 8 परमाणु पनडुब्बियों को बनाने की योजना पर काम कर रहा है। AUKUS के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका ने ऐसी डील अभी तक सिर्फ ब्रिटेन के साथ की है। माना जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया की ये पनडुब्बियां चीन के लिए चिंता का सबब बन सकती हैं।

Related posts

एलन मस्क बने ट्विटर के नए बॉस, 44 अरब डॉलर में फाइनल हुई डील

Pradesh Samwad Team

NATO में शामिल होने की ख्वाहिश रखने वाले फिनलैंड पर साइबर अटैक, जेलेंस्की कर रहे थे संसद को संबोधित

Pradesh Samwad Team

SCO देशों की तालिबान को दो-टूक, कहा- आतंक, युद्ध, ड्रग्स मुक्त होकर लोकतांत्रिक देश बने अफगानिस्तान

Pradesh Samwad Team