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September 21, 2024
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डोनबास में हिंसा पर भड़के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने लगाया आरोप

मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Valdmir Putin) ने यूक्रेन के डोनबास में होने वाली हिंसक घटनाओं (Donbass Genocide) पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज से मुलाकात के बाद डोनबास हिंसा को नरसंहार (Ukraine Genocide in Donbass Region) बताया है। पुतिन ने कहा कि यूक्रेन व्यवस्थित रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। इसमें यूक्रेन की रूसी भाषी आबादी (Russians in Ukraine) के भेदभाव को वैध बनाना भी शामिल है। पुतिन ने रूसी संसद स्टेट ड्यूमा से पारित प्रस्ताव का भी समर्थन किया, जिसमें उनसे डोनबास में स्थित दो इलाकों को स्वघोषित पीपुल्स रिपब्लिक की मान्यता देने का अनुरोध किया गया है। पुतिन ने आशा जताई कि मिन्स्क समझौते अभी भी संभव हैं और उन्हें लागू करने में देर नहीं हुई है। इसके कुछ घंटे पहले ही रूसी रक्षा मंत्रालय ने ऐलान किया था कि वह यूक्रेनी सीमा से कुछ सैनिकों को वापस उनसे बेस स्टेशन की तरफ बुला रहा है। इस बीच अमेरिका ने चेतावनी दी है कि रूसी सेना ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेर रखा है और कभी भी आक्रमण कर सकता है।
मिन्स्क समझौते को न मानने पर यूक्रेन पर भड़के पुतिन : व्लादिमीर पुतिन ने मिन्स्क समझौते को लागू करने या जर्मनी और फ्रांस के साथ नॉरमैंडी फॉर्मेट के प्रस्तावों को न मानने पर यूक्रेन की जमकर आलोचना की। पुतिन ने 2015 मिन्स्क समझौतों के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि इस समझौते में तय संवैधानिक सुधार, सभी डोनबास निवासियों के लिए आम माफी, स्थानीय चुनाव और डोनबास की विशेष स्थिति के कानूनी पहलुओं जैसे मौलिक मुद्दों पर कोई प्रगति नहीं हुई है। रूसी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वह डोनबास मुद्दों को हल करने के हित में कार्य करेंगे और मिन्स्क समझौतों के पालन में आ रही परेशानियों को दूर करने पर ध्यान देंगे।
रूस का आरोप-2014 से डोनबास में हो रहा नरसंहार : रूस का आरोप है कि यूक्रेन में पश्चिम समर्थित तख्तापलट के कारण सत्ता में आई सरकार 2014 से स्व-घोषित डोनेट्स्क और लुगांस्क पीपुल्स रिपब्लिक के खिलाफ युद्ध छेड़ रही है। डोनबास क्षेत्र में रूसी भाषा बोलने वालों का आबादी ज्यादा है। ऐसे में इस इलाके में यूक्रेन के खिलाफ कई हिंसक प्रदर्शन भी हो चुके हैं। इन्हीं प्रदर्शनों को कुचलने के लिए यूक्रेन ने कई बार बल प्रयोग भी किया है। रूस का आरोप है कि यूक्रेन डोनबास में रूसी भाषी लोगों पर अत्याचार कर रहा है, इस कारण वहां के लोग विद्रोह कर रहे हैं।
यूक्रेन से क्या चाहता है रूस? : रूस का मानना है कि यूक्रेन को यूरोपीय संघ के साथ अपने रिश्तों को खत्म करना चाहिए। 2014 के बाद से ही यूक्रेन अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो का सदस्य बनना चाहता है। इससे रूस की सुरक्षा संबंधी चिंताएं काफी ज्यादा बढ़ गई हैं। रूस नहीं चाहता है कि उसकी सीमा तक नाटो की पहुंच हो। रूस इस बात से भी नाराज है कि यूक्रेन के कारण अमेरिकी सेना और बाकी दुश्मन देश उसकी सीमा तक पहुंच रहे हैं। पिछले कई साल से अमेरिकी सेना के अधिकारी लगातार यूक्रेन का दौरा कर रहे हैं। कई बार तो अमेरिकी सैनिकों को यूक्रेन और रूस की सीमा पर भी देखा गया है। रूस इसे बहुत बड़े खतरे के रूप में देख रहा है और बार-बार यूक्रेन को तनाव बढ़ाने के रोकने की धमकी भी दे रहा है।
यूक्रेन और रूस के रिश्तों की कहानी : यूक्रेन परंपरागत तौर पर सोवियत संघ का हिस्सा है। आज से 30 साल पहले सोवियत संघ के विघटन के समय यह वर्तमान रूस से अलग हुआ था। यूक्रेन के हिस्से में सोवियत संघ के जमाने के कई महत्वपूर्ण स्थल, बंदरगाह और सैन्य निर्माण ईकाईयां आईं थीं। हालांकि, आजादी के बाद यूक्रेन परंपरागत तौर पर रूस का हमदम बना रहा। साल 2014 तक विक्टर यानुकोविच के राष्ट्रपति पद से अपदस्थ होने तक दोनों देशों के रिश्ते काफी मजबूत थे। लेकिन, उनके हटते ही यूक्रेन में रूस विरोधी सरकार आ गई। इस कारण यूक्रेन के रूसी भाषी क्षेत्रों में अस्थिरता पैदा होने लगी।

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