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November 22, 2024
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चीन की नाकेबंदी के बावजूद फिलीपींस ने भेजे जहाज, दक्षिण चीन सागर में चरम पर तनाव

दक्षिण चीन सागर में द्वीपों को लेकर उलझे चीन और फिलीपींस में तनाव बढ़ता जा रहा है। पिछले हफ्ते चीनी नौसेना से भिड़ंत के बाद फिलीपींस की नौसेना ने दो जहाजो को विवादित क्षेत्र में फिर से भेजा है। इन जहाजों पर विवादित शोल द्वीप की रखवाली कर रहे नौसैनिकों के लिए भोजन और जरूरी सामान लदे हुए हैं। पिछले हफ्ते चीनी नौसेना ने फिलीपींस के जहाजों पर पानी की बौछार कर खदेड़ दिया था।
फिलीपींस बोला- चीन से मिला आश्वासन : फिलीपींस के रक्षा मंत्री डेल्फिन लोरेंजाना ने कहा कि नौसेना कर्मियों को लेकर लकड़ी के पतवार वाली दो असैन्य नौकाएं पश्चिमी पलावान प्रांत से निकली हैं। ये रात भर की यात्रा के बाद दूसरे थॉमस शोल में नौसेना के जहाज पर तैनात नौसैनिकों तक पहुंचनी चाहिए। लोरेंजाना ने कहा कि नौकाओं को मनीला में चीन के राजदूत के अनुरोध के अनुसार नौसेना या तटरक्षक द्वारा नहीं ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बातचीत में उन्हें आश्वासन दिया गया था कि नौकाओं को फिर से रोका नहीं जाएगा।
फिलीपींस के जहाजों को चीनी नौसेना ने खदेड़ा था : फिलीपींस की सरकार ने पिछले हफ्ते चीनी तट रक्षक जहाजों पर विवादित दक्षिण चीन सागर में अपनी नौकाओं पर पानी की बौछार करने का आरोप लगाया था। इस घटना के बाद दोनों देशों में तनाव और बढ़ गया था। फिलीपींस के विदेश मंत्री तेओदोरो लोक्सिन जूनियर ने चीन के जहाजों को पीछे हटने का आदेश दिया और चीन को चेतावनी दी कि मनीला की आपूर्ति नौकाओं को अमेरिका के साथ एक पारस्परिक रक्षा संधि द्वारा भेजा गया है।
फिलीपींस के द्वीपों को अपना मानता है चीन : चीन इसे दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीप समूह के व्हिटसन रीफ का हिस्सा मानता है। जुलिना फेलिप रीफ पर कब्जे के लिए फिलीपींस की नौसेना ने कई बार प्रयास भी किया है, लेकिन हर बार उन्हें चीनी नौकाओं ने खदेड़ दिया। फिलीपींस के रक्षा मंत्री डेल्फिन लोरेन्जाना ने कहा कि हम चाहें कितनी भी बार उस द्वीप के नजदीक जाएं, लेकिन हम उसपर कब्जा नहीं जमा सके हैं।
राजनयिक विरोध का चीन पर असर नहीं : फिलीपींस के विदेश मामलों के विभाग (डीएफए) ने पेइचिंग के समुद्री मिलिशिया की अवैध उपस्थिति को लेकर कई बार राजनयिक विरोध भी जताया है। मनीला में स्थिति चीनी दूतावास के अधिकारियों को कई बार तलब भी किया गया है, लेकिन इसका कोई प्रभाव पड़ता दिख नहीं रहा। चीनी विदेश मंत्रालय ने भी इस क्षेत्र को अपने देश का हिस्सा बताया है।

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