अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीनी ड्रैगन की दादागिरी से निपटने के लिए बुधवार को ऑस्ट्रेलिया के साथ ‘ऑकस’ (AUKUS) ऐतिहासिक समझौता करने का ऐलान किया। इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को बेहद घातक परमाणु पनडुब्बी और अमेरिकी ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाली टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें मिलेंगी। सबमरीन और मिसाइल डील की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटेन के बाद ऑस्ट्रेलिया दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसे ये महाविनाशकारी हथियार मिलने जा रहे हैं। ‘ऑकस’ डील के ऐलान से पूरी दुनियाभर की राजधानियों में हलचल बढ़ गई है।
ऑकस डील के ऐलान के बाद जो बाइडन ने कहा, ‘यह हमारी ताकत के सबसे बड़े स्रोत में निवेश करना है। हमारा गठबंधन और उन्हें इस तरह से अपडेट करना ताकि वे आज और भविष्य में आने वाले खतरों से अच्छे से निपट सकें। यह अमेरिका के वर्तमान सहयोगियों और भागीदारों को नए तरीके से जोड़ना है।’ इस दौरान ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन वीडियो के जरिए जुड़े हुए थे।
ऐतिहासिक संधि का असर कनाडा, न्यूजीलैंड और जापान तक : इन तीनों नेताओं ने स्पष्ट किया कि ये सबमरीन केवल परमाणु ऊर्जा से चालित होंगी, इनमें परमाणु बम नहीं लगाया जाएगा। इसकी वजह यह है कि ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर कर रखा है। इस संधि के तहत परमाणु हथियारों को हासिल करना और उन्हें तैनात करना प्रतिबंधित है। इस ऐतिहासिक संधि के ऐलान होते ही तत्काल उसका असर कनाडा, न्यूजीलैंड और जापान तक देखा गया जो अमेरिका के सहयोगी देश हैं। इस डील के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में आवाजें उठ रही हैं, वहीं न्यूजीलैंड ने चीन के कोप से बचने के लिए बहुत ही संतुलित बयान दिया है।
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री पॉल केइटिंग इस परमाणु डील के खिलाफ हैं और उन्होंने कहा कि इससे ऑस्ट्रेलिया अपनी संप्रभुता को नाटकीय तरीके से खो देगा। वहीं अमेरिका अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा, ‘अगर अमेरिकी सेना अपनी पूरी ताकत से मात्र एके-47 से लैस तालिबानियों को हरा नहीं सकी तो इस बात की क्या संभावना है कि चीन के साथ पूर्ण युद्ध की सूरत में जीत जाएंगे जो एशिया में सबसे बड़ा देश है।’
90 अरब डॉलर की पनडुब्बी डील रद होने से भड़का फ्रांस : इस डील में शामिल नहीं किए जाने से जहां कनाडा का भी दिल टूट गया है, वहीं फ्रांस बेहद गुस्से में है। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु पनडुब्बी की डील के बाद फ्रांस के साथ 90 अरब डॉलर के परंपरागत पनडुब्बी डील को रद कर दिया है। फ्रांस के विदेश मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि यह क्रूर फैसला ट्रंप की याद दिलाता है। उन्होंने कहा, ‘मैं गुस्सा हूं। यह सहयोगियों के बीच में नहीं किया जाना चाहिए था।’ उधर न्यूजीलैंड ने कहा है कि उससे ऑस्ट्रेलिया के साथ डील के बारे में सलाह नहीं ली गई थी। उसने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया की परमाणु पनडुब्बियों को न्यूजीलैंड के जलक्षेत्र में घुसने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इस बीच ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के इस गठबंधन से चीन भड़क गया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों में सहयोग कर रहे हैं जो क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को काफी कमजोर कर देगा, हथियारों की होड़ बढ़ा देगा और परमाणु अप्रसार की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को नुकसान पहुंचाएगा।’