चीन और बाल्टिक सागर के किनारे स्थित यूरोपीय देश लिथुआनिया में इस समय कूटनीतिक तनाव चरम पर है। लिथुआनिया की राजधानी विनियस में ताइवान का ऑफिस खुलने से नाराज चीन ने अपने राजदूत तक को वापस बुला लिया है। इतना ही नहीं, चीन ने लिथुआनिया के राजदूत को भी तुरंत पेइचिंग को छोड़ने का निर्देश दिया है। राजदूत को वापस बुलाना कूटनीतिक संबंधों को तोड़ने की आखिरी सीढ़ी मानी जाती है। ऐसे में दोनों देशों के बीच तनाव और भी ज्यादा बढ़ने के आसार हैं।
लिथुआनिया को परिणाम भुगतने की चेतावनी : चीनी विदेश मंत्रालय ने ताइवान के साथ संबंध स्थापित करने पर लिथुआनिया को संभावित परिणाम भुगतने तक की धमकी दे दी है। चीन ने कहा है कि इस तरह के कृत्य का मतलब पेइचिंग के साथ संबंधों को खत्म करना माना जाएगा। चीनी प्रवक्ता ने कहा कि यह निर्णय चीन और लिथुआनिया के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना पर जारी किए गए भावना का खुले तौर पर उल्लंघन करता है। लिथुआनिया का यह कदम चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को गंभीर रूप से कमजोर करता है।
चीन ने संप्रभुता का उल्लंघन बताया : दुनिया के केवल 15 देश ही ताइवान को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देते हैं। लिथुआनिया के अभी तक ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं। लेकिन दोनों ही देश तेजी से आपसी संबंधों को मजबूत कर रहे हैं। लिथुआनिया ताइवान, शिनजियांग, हॉन्ग कॉन्ग में चीन की दमनकारी कार्रवाइयों का मुखर आलोचक रहा है। लिथुआनिया ने तो कुछ महीने पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के महत्वकांक्षी मिशन सीईईसी को छोड़ने का ऐलान किया था।
लिथुआनिया और ताइवान बढ़ा रहे संबंध : लिथुआनिया ने ताइवान को कोरोना वायरस वैक्सीन देने का भी ऐलान किया हुआ है। 20 जुलाई को, ताइवान के विदेश मंत्री, जोसेफ वू ने घोषणा की कि ताइवान और लिथुआनिया आर्थिक और व्यापार संबंधों को मजबूत करने, विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के साथ ही लोगों के बीच मित्रता को मजबूत करने के लिए संबंधित प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित करेंगे। उम्मीद थी कि साल के अंत तक कार्यालय खुल जाएंगे।
फिजी से भी चीन ने किया था ‘झगड़ा’ : कुछ महीने पहले फिजी में एक केक पर ताइवान के झंडे की तस्वीर वायरल हुई थी। इस घटना पर भी चीन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। केक पर तस्वीर से दोनों देशों के डिप्लोमेटिक संबंधों पर भी हल्का असर पड़ा था। अमेरिकी राजनयिकों और नेताओं के ताइवान दौरे पर चीन कड़ी प्रतिक्रिया दे चुका है। पिछले साल यूरोपीय देश चेक रिपब्लिक ने भी अपने नेता को ताइवान भेजा था। चीन ने इस पर भी चेक रिपब्लिक को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी।
इसलिए दुश्मन हैं चीन और ताइवान : 1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाले कॉमिंगतांग सरकार का तख्तापलट कर दिया था। जिसके बाद चियांग काई शेक ने ताइवान द्वीप में जाकर अपनी सरकार का गठन किया। उस समय कम्यूनिस्ट पार्टी के पास मजबूत नौसेना नहीं थी। इसलिए उन्होंने समुद्र पार कर इस द्वीप पर अधिकार नहीं किया। तब से ताइवान खुद को रिपब्लिक ऑफ चाइना मानता है।