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November 24, 2024
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अमेरिका भेज रहा 1000 और सैनिक! अफगानिस्तान में गेम ओवर या अभी बाकी है? समझिए

अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने और राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भागने के बाद तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस बीच सूत्रों ने जानकारी दी है कि अमेरिका अपने 1000 और सैनिकों को अफगानिस्तान भेज रहा है। वहीं, वैश्विक स्तर पर आलोचनाओं से घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन आज देर रात अफगानिस्तान मुद्दे पर बयान देने वाले हैं। उधर, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और तालिबान के साथ शांति वार्ता दल के चीफ अब्दुला-अब्दुल्ला भी लगातार तालिबान के संपर्क में हैं। अफगानिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार से जुड़े ये दोनों नेता काबुल में मौजूद हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अफगानिस्तान में अब क्या होने वाला है?
अमेरिका भेज रहा 1000 अतिरिक्त सैनिक : अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को सुरक्षित रूप से निकालने के बाद अमेरिका के तेवर अब तल्ख नजर आ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिकी राजदूत लिंडा थामस ग्रीनफील्ड ने साफ शब्दों में कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अगर किसी भी कार्रवाई से हमारे मिशन या हमारे कर्मियों को नुकसान पहुंचता है तो हम तुरंत और प्रभावी सैन्य कार्रवाई करेंगे। इस बीच अमेरिका ने 1000 और सैनिकों को अफगानिस्तान भेजने की तैयारी कर ली है। अफगानिस्तान में करीब 5000 अमेरिकी सैनिक पहले से ही तैनात हैं। उधर अमेरिकी सेना के एक वरिष्ठ कमांडर आज दोहा में तालिबान के नेताओं से मिले हैं।
अफगानिस्तान के हालात पर बाइडन देंगे बयान : तालिबान के कब्जे के बाद निशाने पर आए जो बाइडन अफगानिस्तान के ताजा हालात पर आज देर रात बयान देने वाले हैं। माना जा रहा है कि वे अफगानिस्तान को लेकर अमेरिका के भविष्य की नीति से पर्दा उठा सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि आज की प्रेस क्रांफ्रेंस से यह भी साफ हो जाएगा कि कभी तालिबान का जॉनी दुश्मन रहा अमेरिका उसकी सरकार को मान्यता देगा कि नहीं। यह भी साफ नहीं हो पाया है कि अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सैनिक अब कौन से मिशन को अंजाम देंगे।
तालिबान से बातचीत कर रहे करजई और अब्दुल्ला : अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अफगान शांति वार्ता टीम को लीड करने वाले अब्दुल्ला अब्दुल्ला अब भी तालिबान के संपर्क में बने हुए हैं। अफगानिस्तान पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का दावा है कि इन दोनों नेताओं का तालिबान के प्रमुख नेता अब्दुल गनी बरादर से नजदीकी संबंध भी है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इन दोनों नेताओं की तालिबान की सरकार में बड़ी भूमिका हो सकती है।
तालिबान सरकार में पाकिस्तान का क्या रोल? : चीन के बाद पाकिस्तान ने भी तालिबान में बनने वाली सरकार को अपनी मंजूरी देने के संकेत दिए हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि उनका देश अफगानिस्तान में एक रचनात्मक भूमिका निभाना जारी रखेगा। यूएन में पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा कि तालिबान ने हमें भरोसा दिया है कि वह सभी लोगों को मिलाकर सरकार बनाएगा। हम आशा करते हैं कि अफगानिस्तान की सरकार में सभी गुटों का प्रतिनिधित्व होगा। हम तालिबान के साथ काम कर रहे हैं इसलिए हमने गैर पश्तून अफगान नेताओं को बातचीत के लिए इस्लामाबाद बुलाया है। इन सभी नेताओं ने तालिबान के साथ सहयोग करने पर सहमति भी जताई है।
तालिबान की भी राह आसान नहीं : ताकत के दम पर अफगानिस्तान में सत्ता पर बैठे तालिबान की राह भी आसान नहीं है। दुनियाभर के कई देश तालिबान सरकार को मान्यता देने से इनकार कर चुके हैं। ऐसे में अगर द्विपक्षीय संबंध टूटते हैं तो अफगानिस्तान को बड़ा नुकसान हो सकता है। अमेरिका ने अफगान सरकार के सभी फंडों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब तालिबान अमेरिकी बैंकों में रखे गए अफगान सरकार के धन का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

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