आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में -28 डिग्री से. की कड़ाके की सर्दी में भोपाल की माउंटेनियर ज्योति रात्रे ने 26 जनवरी को 17598 फ़ीट की ऊँचायी पर स्थित एवरेस्ट बेस केम्प पर तिरंगा फहरा कर फिर एक बार अपनी हिम्मत एवं हौसले का लोहा मनवा लिया। इस बार उनके साथ भोपाल के ही उनके भतीजे तनिश गुर्जर साथ में गए थे । श्रीमती ज्योति रात्रे भोपाल की 53 वर्षीय माउंटेनियर हैं। इसके पूर्व गत वर्ष यूरोप की सबसे ऊँची चोटी माउंट एल्ब्रुस(18510 फ़ीट) पर विजय प्राप्त करने वाली भारत की सर्वाधिक आयु की महिला होने का गौरव प्राप्त कर चुकी हैं। इसके मात्रा 39 दिन बाद ही अफ़्रीका महाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी माउंट किलिमांजारो (19360 फ़ीट) पर भी 15 अगस्त 2021 को तिरंगा फहरा चुकी हैं । ज्योति रात्रे ने बताया की इस वर्ष उनका आर्जेंटीना साउथ अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी माउंट आकांकगुआ पर 26 जनवरी को झंडा फहराने का लक्ष्य था किंतु ट्रैंज़िट वीज़ा की परेशानी के कारण उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से बोर्डिंग नहीं करने दी गयी ।उसके बाद भी निराश ना होते हुए उन्होंने 4-5 दिन में ही एवेरेस्ट बेस केम्प जाने का प्लान बनाया एवं माउंट एवेरेस्ट पास देखने का बचपन का सपना पूरा किया । ज्योति रात्रे ने बताया कि एवरिस्ट बसे केम्प ट्रेक 130 कि. मी. का ट्रेक है और 12 दिन -7 से -28 डिग्री सेल्सियस के तापमान में रहना और इतनी ऊँचायी पर चढ़ना काफ़ी कठिन होता है । यह अभियान उन्होंने अपने आगे के अभियानों की तैयारी के रूप में किया है। उनका सपना विश्व के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊँची पर्वत चोटियों को फ़तह करने का है जिसमें से वे दो पर विजया प्राप्त कर चुकी हैं। मध्य प्रदेश शासन एवं अन्य प्रायोजकों से इसके लिए आर्थिक सहयोग की अपेक्षा है । पूर्व में माननीय मुख्य मंत्री जी ने माउंट किलिमांजारो अभियान के लिए रु 1.00 लाख की राशि स्वीकृत भी की है। उन्होंने बताया कि आगे भी अपेक्षा है कि शासन उनके अभियानों में आर्थिक सहयोग कर महिला सशक्तिकरण को और बढ़ावा देगा । ज्योति जी ने बताया की उनका उद्धेश्य महिलाओं को ये संदेश देना है की सपने पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती । यदि घर गृहस्थी के चक्कर में आपके सपने अधूरे रह जाते हैं तो भी आप निराश ना हो। किसी भी उम्र में आप अपने सपने पूरे कर सकती है। उमर बस एक नम्बर है। बस ज़रूरत है हिम्मत, लगन और दिल से मेहनत करने की, परिस्थियाँ अपने आप अनुकूल होती जाती हैं।
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