बच्चे बहुत शैतान होते हैं और उनके पास अनगिनत सवाल होते हैं जो वो हर वक्त पूछते रहते हैं। कभी-कभी पैरेंट्स बच्चों की इन हरकतों से परेशान हो जाते हैं और चिड़चिड़े होकर उन पर झल्ला या चिल्ला उठते हैं। पैरेंट्स के इस व्यवहार से कई बार बच्चे नाराज हो जाते हैं और उनसे बात करना ही बंद कर देते हैं।
चिल्लाने का बच्चों के विकास पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए जितना हो सके पैरेंट्स को बच्चों पर चिल्लाने से बचना चाहिए। जब परिस्थिति आपके आपे से बाहर हो जाए तो बच्चों को कंट्रोल करने के लिए उन पर गुस्सा आ ही जाता है जबकि हम सभी जानते हैं कि ऐसा करना गलत होता है। समय के साथ पैरेंट्स को अपनी इस हरकत पर कंट्रोल कर लेना चाहिए।
वहीं आपको यह भी पता होना चाहिए कि बच्चों पर चिल्लाने के बाद, उनके साथ दोबारा कनेक्ट करने के लिए क्या करना चाहिए।
तो चलिए जानते हैं कि वो क्या तरीके हैं जो आपको बच्चों से झगड़े के बाद दोबारा रिकनेक्ट करने में मदद करेंगे।
बच्चे को कंफर्टेबल करें : बच्चे हमेशा अपने पैरेंट्स का प्यार और समय चाहते हैं। आप इस बात को समझने की कोशिश करें। उन्हें अपना प्यार और सपोर्ट दें जिससे वो आपसे खुलकर अपने मन की बात कह सकें।
गले लगाएं : बच्चे को गले लगाएं या चूमें, इस तरह आप बच्चे के लिए अपने प्यार को व्यक्त कर सकते हैं। इससे आप बच्चे को समझा सकते हैं कि आपका चिल्लाना नेगेटिव नहीं था बल्कि आप बस उसे कुछ गलत करने से रोकना चाहते थे।
बच्चे को हंसाए : किसी भी चीज की दवा हंसना है। बच्चे को हंसाकर आप उसकी नाराजगी को दूर कर सकते हैं। कोशिश करें कि आप बच्चे को हंसा पाएं। उसे कोई जोक या मजाकिया वाक्या सुनाएं या उसके पेट में गुदगुदी करें।
अपनी गलती मानें : बच्चे को सॉरी कहने में कोई बुराई नहीं है। दिल से उनके सामने अपनी गलती को स्वीकार करें। इससे आप आसानी से बच्चे के साथ रिकनेक्ट कर पाएंगे। उसे यह भी बताएं कि आप उससे माफी क्यों मांग रहे हैं। आपके ऐसा करने से बच्चे को यह भी समझ आएगा कि गलती करने पर मांफी मांगने या अपनी गलती को स्वीकार करने में कुछ गलत नहीं है।
प्रॉमिस करें : बच्चे को बताएं कि जो भी हुआ, वो अचानक से हो गया। ऐसा करने की आपकी कोई भावना नहीं थी। बच्चे से प्रॉमिस करें कि ऐसा दोबारा नहीं होगा। बच्चे से भी प्रॉमिस करवाएं कि वो दोबारा इस तरह का व्यवहार नहीं करेगा ताकि ऐसी स्थिति दोबारा न बने।
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