तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अब इस्लामी कानून को कड़ाई से लागू करना शुरू कर दिया है। रविवार को तालिबान के खुफिया एजेंटों की एक टीम ने काबुल में हजारों लीटर शराब को जब्त किया। इन एजेंटों ने पकड़े गए शराब को काबुल के एक नहर में कैमरे के सामने ही उड़ेल दिया। तालिबान ने अफगान मुसलमानों को शराब को बनाने और उसको बेचने से दूर करने की चेतावनी भी दी है।
मुसलमानों को दूर करने की सलाह दी : तालिबान के खुफिया महानिदेशालय (जीडीआई) के जारी वीडियो फुटेज में दिखाया गया है कि काबुल में छापेमारी के दौरान उसके एजेंट बैरल में रखी शराब को नहर में डालते हुए दिखाई देते हैं। रविवार को ट्विटर पर शेयर किए गए वीडियो में एक खुफिया अधिकारी ने कहा कि मुसलमानों को शराब बनाने और इसे बेचने के काम से गंभीरता से दूर रहना चाहिए।
तीन डीलरों को किया गिरफ्तार : हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह छापेमारी कब की गई या शराब की यह खेप कब नष्ट की गई। इसके बावजूद तालिबान की खुफिया एजेंसी ने दावा किया है कि इस छापेमारी के दौरान तीन डीलरों को गिरफ्तार भी किया है। इन लोगों पर इस्लामी कानून के अनुसार केस चलाया जाएगा और सजा का निर्धारण होगा। इस्लाम में शराब को हराम माना गया है।
शराब और दूसरे नशीले पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई तेज : अफगानिस्तान की नागरिक सरकार में भी शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ था। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद इस कानून को और कड़ाई से लागू किया है। तालिबान ने पूरे देश में नशे के कारोबार के खिलाफ कई छापेमारियां भी की है। इसमें अफीम और दूसरे नशीले पदार्थों को बनाने और तस्करी करने पर भी कार्रवाई की गई है।
तालिबान की कमाई का जरिया क्या है? : अफगानिस्तान में नागरिक शासन के दौरान भी काफी बड़े हिस्से पर तालिबान का नियंत्रण था। आतंकी समूह इन इलाकों से विद्रोह को वित्तपोषित करने के लिए काफी बड़ी मात्रा में पैसों की उगाही करता था। अकेले 2019-2020 में तालिबान ने अलग-अलग स्रोतों से 1.6 बिलियन डॉलर की कमाई की। विशेष रूप से तालिबान ने उस वर्ष अफीम बेचने से 416 मिलियन डॉलर कमाए। लौह अयस्क, संगमरमर और सोने जैसे खनन खनिजों से 400 मिलियन डॉलर से अधिक और निजी दाताओं और समूहों के दान से 240 मिलियन डॉलर कमाए।