17.3 C
Madhya Pradesh
November 22, 2024
Pradesh Samwad
देश विदेश

15 सैनिकों की मौत के बाद रूस की शरण में आर्मीनिया

नगर्नो-कराबाख में काफी दिनों तक शांति के बाद आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच एक बार फिर से जंग छिड़ती नजर आ रही है। आर्मीनिया ने कहा है कि अजरबैजान के हमले में उसके 15 सैनिकों की मौत हो गई है और 12 अन्‍य को बंदी बनाया गया है। अजरबैजान के हमले झेल रहे आर्मीनिया ने रूस से मदद की गुहार लगाई है। आर्मीनिया ने यह भी माना है कि उसे अपने दो मोर्चों को खोना पड़ा है। आर्मीनिया ने इस संघर्ष के बाद सीजफायर का ऐलान भी कर दिया है।
आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच पिछले साल 44 दिनों तक चले युद्ध के बाद यह अब तक का सबसे भीषण संघर्ष है। पिछले साल हुए युद्ध में कम से कम 6500 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं अजरबैजान को बड़ी सफलता हासिल लगी थी। इस संघर्ष में आर्मीनिया को कराबाख में अपना बड़ा इलाका खोना पड़ा था। इसके बाद रूस ने शांति समझौता कराया और इलाके में अपने दो हजार शांति सैनिकों को तैनात किया।
कम से कम 15 सैनिकों की मौत और 12 अन्‍य को जिंदा पकड़ा : इस संघर्ष में तुर्की ने अजरबैजान का जमकर साथ दिया और उसके दिए ड्रोन विमानों ने जमकर तबाही मचाई थी। आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय ने अपने ताजा बयान में कहा कि उसके सैनिक अजरबैजान की ओर से दागे गए तोप के गोले और गोलीबारी की चपेट में आ गए। मंत्रालय ने कहा कि उसके कम से कम 15 सैनिकों की मौत हो गई है और 12 अन्‍य को जिंदा पकड़ लिया गया है। यही नहीं अजरबैजान ने उसके युद्ध के दो मोर्चों पर कब्‍जा कर लिया है।
आर्मीनिया ने अब रूस से मदद की गुहार लगाई है और कहा कि अजरबैजान उसकी जमीन पर हमला कर रहा है। आर्मीनिया ने रूस को साल 1987 में की गई संधि का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि रूस आर्मीनिया की रक्षा करेगा। रूस का आर्मीनिया में सैन्‍य ठिकाना है। यही नहीं रूस के शांति सैनिक कराबाख में मौजूद हैं। उधर, अजरबैजान ने दावा किया है कि उसने आर्मीनिया की ओर से की गई उकसावे की कार्रवाई के बाद एक सैन्‍य अभियान शुरू किया है।
नगर्नो-कराबाख इलाका अजरबैजान का हिस्‍सा : वर्ष 1990 के दशक तक आर्मीनिया और अजरबैजान दोनों ही सोवियत संघ के हिस्‍सा थे। दोनों ही देशों के बीच पहाड़ी इलाके में कई युद्ध हो चुके हैं लेकिन अभी तक इस विवाद का समाधान नहीं हुआ है। नगर्नो-कराबाख इलाका अंतरराष्‍ट्रीय रूप से अजरबैजान का हिस्‍सा है लेकिन उस पर आर्मीनिया के जातीय गुटों का कब्‍जा है। पिछले साल हुए संघर्ष में अजरबैजान को जीत मिली थी और उसने कराबाख के एक बड़े इलाके पर कब्‍जा कर लिया था।

Related posts

तालिबान ने इमरान खान को दिया करारा झटका, कहा- अफगानिस्‍तान में नहीं हैं पाकिस्‍तान के दुश्‍मन

Pradesh Samwad Team

न्यूयॉर्क में तूफान इडा का कहर, भारी बारिश और बाढ़ में कम से कम 41 लोगों की मौत

Pradesh Samwad Team

एक्सिस बैंक के साथ रेल विभाग ने किया हस्ताक्षर

Pradesh Samwad Team