17.3 C
Madhya Pradesh
November 22, 2024
Pradesh Samwad
देश विदेश

पोप से पीएम की मुलाकात, सद्भाव बढ़ाने वाली पहल


प्रधानमंत्री मोदी का पोप फ्रांसिस को भारत आने का निमंत्रण देना भी खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। न केवल इसलिए कि यह 1999 के बाद किसी पोप की पहली भारत यात्रा होगी बल्कि इसलिए भी कि पिछले वर्षों में ऐसी कोशिश नाकाम हो चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शनिवार को पोप फ्रांसिस के साथ हुई मुलाकात मौजूदा हालात में कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। प्रधानमंत्री जी-20 शिखर बैठक के लिए रोम गए थे और वहां से वह ग्लासगो में होने वाले कॉप-26 सम्मेलन में शिरकत करने जा रहे हैं। क्लाइमेट चेंज से जुड़े मसलों पर पोप फ्रांसिस पहले से ही काफी मुखर रहे हैं। उन्होंने इस बार भी सभी विश्व नेताओं से अपील की है कि वे जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए रैडिकल स्टेप लेने से न हिचकें। ऐसे में स्वाभाविक ही था कि मोदी और पोप के साथ हुई इस बैठक में भी क्लाइमेट चेंज एक प्रमुख मुद्दा रहा।
मोदी ने पोप को अपनी सरकार द्वारा क्लाइमेट चेंज से जुड़े मुद्दों पर उठाए गए कदमों के बारे में बताया। मगर मुद्दों से ज्यादा महत्वपूर्ण इस बैठक का मूड था। दोनों पक्षों ने इस बात का ख्याल रखा कि ऐसा कोई मुद्दा न उठे, जिससे सामंजस्य में किसी तरह की कमी का संदेश जाए। यही वजह रही कि जो बैठक 20 मिनट चलनी थी, वह लगभग एक घंटे तक चली।
प्रधानमंत्री मोदी का पोप फ्रांसिस को भारत आने का निमंत्रण देना भी खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। न केवल इसलिए कि यह 1999 के बाद किसी पोप की पहली भारत यात्रा होगी बल्कि इसलिए भी कि पिछले वर्षों में ऐसी कोशिश नाकाम हो चुकी है। पोप फ्रांसिस समय-समय पर भारत आने की अपनी इच्छा जाहिर करते रहे हैं। खासकर 2016 में इसकी संभावना काफी मजबूत मानी जाने लगी थी, जब उनकी साउथ एशियन देशों की यात्रा की योजना बन रही थी। अगले साल 2017 में वह बांग्लादेश और म्यांमार यात्रा पर तो आए, लेकिन कुछ वजहों से उनकी भारत यात्रा का योग नहीं बन सका।
कहीं न कहीं इसे दोनों पक्षों के बीच आई दूरी का सबूत माना जाने लगा था। अब इस बैठक के बाद पोप के भारत आने की संभावना काफी बढ़ गई है। दोनों पक्षों के बीच बढ़ती करीबी अल्पसंख्यकों, खासकर ईसाई मिशनरियों के खिलाफ देश में बढ़ती कथित असहिष्णुता संबंधी आरोपों की भी काट होगी। भले ही ये आरोप बढ़ा-चढ़ाकर लगाए जा रहे हों, लेकिन वैश्विक जनमत पर इनका कुछ न कुछ प्रभाव पड़ता है, जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि के भी प्रभावित होने का खतरा है। चूंकि ये आरोप धर्मांतरण संबंधी बहस से भी जुड़े हैं, जिसका एक छोर उन हिदुत्ववादी संगठनों तक जाता है, जो सत्तारूढ़ पक्ष के करीबी माने जाते हैं। इसलिए यह ज्यादा जरूरी हो जाता है कि सरकार विश्व जनमत को भ्रमित करने के प्रयासों को लेकर सतर्क रहे। इस संदर्भ में देखा जाए तो प्रधानमंत्री मोदी की पोप से मुलाकात की यह पहल न केवल दोनों पक्षों के रिश्तों को बेहतर बनाएगी बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिशों को भी निरस्त करेगी।

Related posts

नेपाल में अमेरिकी सहायता पर ओली ने खड़ा किया बवाल, कहीं चीन का दबाव तो नहीं कर रहा काम?

Pradesh Samwad Team

चाबहार के जरिए आर्मीनिया से दोस्ती बढ़ाएगा भारत, पाकिस्तान के ‘खास’ अजरबैजान को मिर्ची लगना तय

Pradesh Samwad Team

चीन ने अभी तक भारतीय छात्रों को वापस लौटने की इजाजत नहीं दी? श्रीलंका-पाकिस्तान के विद्यार्थियों को भेजा वापसी का न्यौता

Pradesh Samwad Team