पाकिस्तान में मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना के लिए भस्मासुर की तरह से हो गया है। पाकिस्तान के कई शहरों में टीएलपी के हिंसक प्रदर्शनों से हालात बेहद खराब हो गए हैं। पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदर के मुताबिक टीएलपी के फायरिंग में कम से कम 4 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई है और 250 अन्य लोग घायल हो गए हैं। तनावपूर्ण हालात के बीच पंजाब प्रांत में अगले 60 दिनों के लिए पाकिस्तानी सेना को तैनात कर दिया गया है।
बरेलवी समुदाय से ताल्लुक रखने वाला यह कट्टरपंथी संगठन इस्लामाबाद को घेरने के लिए निकला है। इस संगठन को इमरान खान और सेना ने नवाज शरीफ सरकार के खिलाफ खड़ा किया था और आज यह दोनों के लिए भस्मासुर की तरह से बन गया है। बताया जा रहा है कि गोलीबारी की यह घटना पंजाब प्रांत के गुजरांवाला जिले में बुधवार को हुई। टीएलपी समर्थकों ने पुलिसकर्मियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा है। बताया जा रहा है कि घायलों में 70 पुलिसकर्मी हैं जिसमें से 8 लोगों की हालत गंभीर है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि टीएलपी के सदस्य पुलिसकर्मियों पर हमले के लिए मशीनगन, एके-47 राइफल और पिस्तौल का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसी वजह से पुलिसकर्मियों की मौत हो गई है।
पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद ने सेना को बुलाया : सोशल मीडिया में ऐसे कई वीडियो आए हैं जिसमें टीएलपी की ओर से गोलीबारी करते हुए देखा जा सकता है। इतना सब होने के बाद इमरान सरकार कट्टरपंथियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्हें खुश करने में जुटी है। उधर, कट्टरपंथी संगठन ने दावा किया है कि उसके कई कार्यकर्ता या तो मारे गए हैं या घायल हो गए हैं। ये पुलिसकर्मी टीएलपी के लोगों को इस्लामाबाद जाने से रोक रहे हैं और इसी वजह से दोनों के बीच गोलीबारी हुई। पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद ने बुधवार को बताया कि पाकिस्तानी सेना से जुड़े रेजर्स को अगले 60 दिनों तक कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पंजाब में तैनात कर दिया गया है।
इस बीच पाकिस्तान सरकार ने तहरीक-ए-लब्बैक को उग्रवादी संगठन घोषित कर दिया है। इससे पहले पाकिस्तान सरकार के प्रतिबंधित संगठन TLP के खिलाफ नरमी बरतने से पुलिसकर्मी नाराज हो गए थे। लब्बैक के समर्थकों ने 22 अक्टूबर को पंजाब की राजधानी लाहौर सहित कई शहरों में जमकर उत्पात मचाया था। ये समर्थक अपने सरगना साद हुसैन रिजवी की रिहाई की मांग कर रहे हैं। साथ ही फ्रांसीसी दूतावास को बंद कराना चाहते हैं। रिजवी को इसी साल अप्रैल में पूरे देश में दंगा फैलाने और सरकारी संपत्ति के नुकसान को लेकर हिरासत में लिया गया था। अब इमरान सरकार ने टीएलपी के पकड़े गए हुड़दंगियों को रिहा करने और दर्ज मामलों को वापस करने का फरमान सुनाया है। इसी को लेकर पंजाब पुलिस ने कड़ा एतराज और दुख जताया है।
पुलिस बोली- सरकार ने शहादतों को भूला दिया : पाकिस्तानी मीडिया डॉन ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया कि टीएलपी के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कर्तव्यों का पालन करते हुए हमारे कई साथी मारे गए। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी घायल भी हुए। लेकिन, हर बार सरकार ने टीएलपी के साथ समझौता कर लिया। उन्होंने इस बात की परवाह तक नही की कि हमारे लोगों को इन प्रदर्शकारियों के पेट्रोल बम, ईंट-पत्थरों, डंडों और दूसरे हथियारों का सामना करना पड़ा था। हमारी गाड़ियों को जला दिया गया, हथियार और सामान छीन लिए गए और सरकार समझौता कर रही है। यह सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान के अलावा है।