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November 22, 2024
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तालिबान ने पहली बार कबूला- रूस में भारत के अधिकारियों से की मुलाकात, जानें क्या हुई बात?

तालिबान ने पहली बार सार्वजनिक तौर से कबूला है कि उसने भारत के अधिकारियों के साथ मुलाकात की है। इससे पहले तालिबान से भारत के साथ बैठक के हर सवाल का गोलमोल जवाब ही दिया है। तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि इस्लामिक अमीरात के पदाधिकारियों ने रूस में मॉस्को फॉर्मेट के इतर भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय मदद करने की पहल की है।
तालिबान का दावा- भारत मदद को तैयार : जबिउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि इस्लामिक अमीरात के प्रतिनिधियों ने बुधवार को मास्को में भारत के विदेश मंत्रालय के पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डिवीजन के संयुक्त सचिव जे पी सिंह से मुलाकात की। उन्होंने ट्वीट कर यह भी दावा किया था कि भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देने की हामी भरी है। इस्लामिक अमीरात के विदेश मंत्रालय ने भी इस मुलाकात की पुष्टि की है।
तालिबानी विदेश मंत्रालय ने भी जारी किया बयान : तालिबान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के उप प्रधानमंत्री मौलवी अब्दुल सलाम हनफी के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि श्री जेपी सिंह और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की चिंताओं को साझा किया और राजनयिक और आर्थिक संबंधों में सुधार करने पर बल दिया। भारतीय पक्ष ने अफगानों को व्यापक मानवीय सहायता प्रदान करने की इच्छा व्यक्त की।
मॉस्को फॉर्मेट में हिस्सा लेने पहुंचे हैं 10 देश : मॉस्को फॉर्मेट नाम की इस वार्ता में भारत, चीन, पाकिस्तान समेत दुनिया के 10 देश शामिल हो रहे हैं। इस बैठक में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने तालिबान को सीधी चेतावनी दी है। उन्होंने तालिबान के प्रतिनिधियों के सामने कहा कि अफगानिस्तान से प्रवासियों के शक्ल में आतंकवाद और ड्रग्स पड़ोसी देशों में फैल सकते हैं। उन्होंने तालिबान को नसीहत देते हुए कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल खासकर पड़ोसी देशों के खिलाफ न हो।
तालिबान को लेकर पुतिन भी जता चुके हैं चिंता : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अफगानिस्तान में तालिबान के शासन पर चिंता जता चुके हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने तालिबान सरकार को मान्यता देने के सवाल पर कहा था कि रूस को इसके लिए कोई जल्दीबाजी नहीं है। उन्होंने साफ लफ्ज में यह भी कहा था कि तालिबान की सरकार समावेशी नहीं है। इस सरकार में अफगानिस्तान के सभी लोगों का प्रतिनिधित्व भी नहीं है।

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