चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए अमेरिकी सेना गुआम नेवल बेस पर इजरायल की आयरन डोम सिस्टम को तैनात कर रही है। आयरन डोम की तैनाती का फैसला प्रशांत महासागर में चीन की आक्रामकता को देखने के बाद लिया गया है। अमेरिकी सेना आयरन डोम की दो बैटरियों को गुआम में तैनात कर रही है। अमेरिका ने इजरायल से आयरन डोम सिस्टम के दो अत्याधुनिक वर्जन को खरीदा है। इस सिस्टम को मूल रूप से रॉकेट और दूसरे आर्टिलरी राउंड को इंटरसेप्ट करने के लिए डिजाइन किया गया था। जबकि, नया सिस्टम कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन और क्रूज मिसाइलों को भी मार गिरा सकता है।
हवाई में तैनात अमेरिकी सेना की 94वीं आर्मी एयर एंड मिसाइल डिफेंस कमांड (AAMDC) ने आयरन डोम की तैनाती की घोषणा की है। जिसमें इस सिस्टम की तैनाती को अस्थायी और एक्सपेरिमेंटल के रूप में बताया गया था। हालांकि, जानकारों का मानना है कि इतने कम समय में किसी दूसरे देश के हथियार को अपने नेवल बेस की सुरक्षा में तैनात करना कहीं से भी एक्सपेरिमेंटल नहीं लगता है। अमेरिका को चीन की शरारत भरी हरकतों के बारे में पहले से ही पता है, इसलिए वह सतर्कता बरतते हुए यह तैनाती कर रहा है।
आयरन डोम तैनाती को ऑपरेशन आयरन आइलैंड नाम दिया : अमेरिकी सेना ने यह भी कहा है कि फोर्ट ब्लिस, टेक्सास से दूसरी बटालियन, 43वीं एयर डिफेंस आर्टिलरी रेजिमेंट के सैनिक गुआम पर आयरन डोम बैटरी का संचालन करेंगे। जापान में तैनात अमेरिकी सेना की 38वीं एयर डिफेंस आर्टिलरी ब्रिगेड के सैनिक भी इस इस सिस्टम को ऑपरेट करने में सहयोग करेंगे। इस पूरे मिशन को ऑपरेशन आयरन आइलैंड का नाम दिया गया है।
इजरायल का आयरन डोम कितना खतरनाक? : ‘आयरन डोम’ एक छोटी दूरी का एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे रॉकेट, तोपखाने और मोर्टारों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। इजरायल का यह सिस्टम कई बार अपनी सफलता से दुनिया को हैरत में डाल चुका है। आयरन डोम रक्षा प्रणाली हर मौसम में काम कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह रेंज और निशाने पर लिए गए क्षेत्र की दिशा की जांच करता है और वॉर्निंग सायरन बजाता है। सायरन बजने के बाद स्थानीय लोगों के पास सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए 30 से 90 सेकंड का समय होता है।
इजरायल का सुरक्षा कवच है आयरन डोम : इसके बाद आयरन डोम अपने रेडॉर की मदद से हमले का अंदाजा लगाते हुए ‘आयरन डोम’ ऑपरेटर्स काउंटर मिसाइल लॉन्च करता है और रॉकेट को हवा में नष्ट कर देता है। आयरन डोम के प्रत्येक लॉन्चर में 20 इंटरसेप्टर मिसाइलें होती हैं। इन मिसाइलों में रॉकेट और मिसाइलें को सूंघने की बेजोड़ क्षमता होती है। यह 70 किमी की ऊंचाई तक रॉकेट हमले को बर्बाद कर देता है। हालांकि इजरायल को इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है। उसे प्रत्येक इंटरसेप्टर मिसाइल पर 50 हजार डॉलर खर्च करना पड़ता है। इजरायल ने हमले के खतरे को देखते हुए पूरे देश में अज्ञात जगहों पर आयरन डोम सिस्टम की बैटरी को तैनात कर रखा है।
2011 से इजरायल की रक्षा कर रहा आयरन डोम : इजरायल ने वर्ष 2011 में पहली बार आयरन डोम सिस्टम को तैनात किया था। वर्ष 2006 में इजरायल-लेबनान युद्ध के बाद इजरायल सरकार ने इस सिस्टम को बनाने का ऐलान किया था। इजरायल-लेबनान युद्ध में हिज्बुल्ला ने हजारों की तादाद में रॉकेट इजरायल पर दागे थे। इस हमले से सबक लेते हुए इजरायल ने आयरन डोम सिस्टम को बनाने का फैसला किया था।
इजरायल की इस कंपनी ने किया है निर्माण : आयरन डोम सिस्टम का निर्माण इजरायल के राफेल अडवांस्ड डिफेंस सिस्टम ने किया था। इसमें उसकी इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने भी मदद की है। राफेल कंपनी का दावा है कि आयरन डोम 90 फीसदी हमलों को रोकने में सक्षम है। इसका एक मोबाइल वर्जन भी है जो सेना, उद्योगों और प्रशासनिक इमारतों को हवाई सुरक्षा देने का काम करता है। आयरन डोम का नौसैनिक वर्जन भी है जो समुद्र में इजरायली जहाजों को सुरक्षा प्रदान करता है।